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विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

विप्रेषण पारिवारिक तथा राष्ट्रीय आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और बाह्य वित्तपोषण का एक सबसे बड़ा स्रोत भी है। भारत के हिताधिकारी बैंकिंग तथा डाक के माध्यम से सीमापारीय आंतरिक विप्रेषण प्राप्त कर सकते हैं। बैंकों को विप्रेषण का कारोबार करने हेतु अन्य बैंकों के साथ भागीदारी करने के लिए सामान्य अनुमति है। डाक के माध्यम हेतु समान्यतः यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के (यूपीयू) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली (आईएफ़एस) प्लैटफ़ार्म का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आवक विप्रेषण प्राप्त करने के लिए दो और चैनल हैं, अर्थात रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) तथा धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) जोकि देश में विप्रेषण प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाने वाली व्यवस्था है।

ये अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न आरडीए तथा एमटीएसएस से संबंधित सामान्य प्रश्न है और सामान्य मार्गदर्शन के लिए इनसे संदर्भ क्यी अजाए। प्राधिकृत व्यक्ति तथा उनके घटक यदि आवश्यक हो तो विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित परिपत्र/ दिशानिर्देश देखें।

रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)

रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) समुद्रपारीय अधिकार क्षेत्रों से सीमापारीय विप्रेषण प्राप्त करने का चैनल है। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्राधिकृत श्रेणी-I के बैंक एफ़एटीएफ़ का अनुपालन करने वाले देशों में स्थित अनिवासी विनिमय गृहों के साथ अपने वोस्टरों खाते खोलने तथा बनाए रखने के लिए गठबंधन करते हैं।
ये ऐसी कंपनियां तथा वित्तीय संस्थाएं हैं जिन्हें विप्रेषकों से निधियों की सोर्सिंग के लिए प्रेषक देश के सक्षम प्राधिकरण द्वारा लाइसेन्सिकृत तथा विनियमित किया जाता है।
एडी श्रेणी –I के बैंक द्वारा जब किसी अनिवासी विनिमय गृह के साथ आरडीए की प्रथम व्यवस्था केवल तब भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है। उसके बाद एडी श्रेणी-I बैंक निर्धारित दिशानिर्देश तथा रिज़र्व बैंक को उसकी तुरंत सूचना देने के अधीन आरडीए में शामिल हो सकते हैं।
आरडीए के अंतर्गत भारत में सीमा पारीय आवक विप्रेषण प्राथमिक रूप से निजी खातों पर किए जाते हैं। किन्हीं अपवादों को छोड़कर विप्रेषक तथा हिताधिकारी को व्यक्ति होना चाहिए। व्यापारी लेनदेन के वित्तपोषण के लिए विनिमय गृहों के माध्यम से विप्रेषण कुछ सीमा तक अनुमत हैं। यह योजना भारत से सीमा पारीय बाहरी विप्रेषणों के लिए प्रयोग में नहीं लाई जाती है।
विप्रेषण की राशि तथा संख्या पर कोई सीमा नहीं है। तथापि व्यापार संबंधी लेनदेन के लिए 15.00 लाख रुपयों की उच्चतम सीमा लागू है।
आरडीए के अंतर्गत विप्रेषणों के नकद संवितरण की अनुमति नहीं है। विप्रेषणों को अनिवार्यतः हिताधिकारी के बैंक खाते में जमा किया जाना चाहिए।
जी हां, अनिवासी विनिमय गृह के साथ आरडीए होने वाले एडी श्रेणी-I के बैंक द्वारा प्राप्त विदेशी आवक विप्रेषणों को हिताधिकारी के एडी श्रेणी –I के बैंक से अन्य बैंक में धारित खाते में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, जैसे कि एनईएफ़टी, आईएमपीएस, से सीधे जमा कर सकते हैं।धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

धन अंतरण सेवा योजना (MTSS) भारत में निवास करने वाले हिताधिकारियों को विदेश से व्यक्तिगत प्रेषणों के अंतरण का तरीका है। भारत में केवल परिवार के भरण-पोषण के लिए भेजे गए प्रेषण तथा भारत का दौरा करने वाले विदेशी पर्यटकों के पक्ष में भेजे गए प्रेषणों जैसे आवक व्यक्तिगत प्रेषण अनुमत हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत विदेशों में स्थित प्रख्यात धन अंतरण कंपनियाँ जिन्हें समुद्रपारीय प्रिंसिपल्स कहा जाता है तथा भारत में स्थित एजेंट जिन्हें भारतीय एजेंट कहा जाता है के बीच एक गठबंधन की परिकल्पना की गई है जो भारत में स्थित हिताधिकारियों को चालू विनिमय दरों पर निधियों का वितरण करेंगे।
समुद्रपारीय प्रिन्सिपल एक रजिस्टर्ड एंटीटी होना चाहिए जिसे धन अंतरण का कार्य करने के लिए संबंधित देश के केंद्रीय बैंक/ सरकार अथवा वित्तीय विनियमन प्राधिकरण का लाइसेन्स प्राप्त है। समुद्रपारीय प्रिन्सिपल के रजिस्ट्रेशन का देश एएमएल मानदंडों को पूरा करने वाला होना चाहिए। समुद्रपारीय प्रिन्सिपल को भुगतान प्रणाली प्रारम्भ/ परिचालित करने के लिए भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम (PSS एक्ट) 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक ऑथोराइजेशन प्राप्त करना होगा।
आवेदक को एजेंट बनने के लिए एक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –I बैंक अथवा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –II अथवा संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (FFMC) अथवा एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अथवा डाक विभाग होना चाहिए। साथ ही भारतीय एजेंट उप-एजेंट भी नियुक्त कर सकते हैं जो कि खुदरा दुकान अथवा कारोबार का स्थान रखने वाली वाणिज्यिक एंटीटी हो सकती है तथा उसकी सदाशयता (bonafides) भारतीय एजेंट को स्वीकार्य होनि चाहिए।
भारतीय एजेंट को एमटीएसएस ढांचे के अंतर्गत परिचालन करने के लिए संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है। साथ ही समुद्रपारीय प्रिन्सिपल को भुगतान प्रणाली प्रारम्भ/ परिचालित करने के लिए भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम (PSS एक्ट) 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक ऑथोराइजेशन प्राप्त करना होगा।
इस व्यवस्था के तहत भारत में केवल परिवार के भरण-पोषण के लिए भेजे गए प्रेषण तथा भारत का दौरा करने वाले विदेशी पर्यटकों के पक्ष में भेजे गए प्रेषणों जैसे आवक व्यक्तिगत प्रेषण अनुमत हैं। धर्मार्थ संस्थाओं/ न्यासों को दान/ अंशदान, व्यापार से संबंधित विप्रेषण, संपत्ति खरीदने, निवेश करने अथवा खातों में जमा करने हेतु विप्रेषण इस व्यवस्था के तहत अनुमत नहीं है।
इस योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत प्रेषणों पर 2500 अमरीकी डॉलर कि उच्चतम सीमा निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त कोई भी एकल व्यक्तिगत हिताधिकारी इस योजना के अंतर्गत एक कलेंडर वर्ष के दौरान केवल 30 प्रेषण प्राप्त कर सकता है।
भारत में स्थित हिताधिकारी को 50,000 हजार रुपे तक की राशि का नकद भुगतान किया जा सकता है। इन को बैंकों द्वारा जारी किए गए पूर्व –दत्त कार्डों में भी लोड किया जा सकता है। इस सीमा से अधिक कोई भी राशि का भुगतान अकाउंट पेयी चेक/ मांग ड्राफ्ट/ पेमेंट ऑर्डर, आदि के माध्यम से किया जाएगा अथवा सीधे हिताधिकारी के बैंक खाते में ही जमा की जाएगी। तथापि अपवादात्मक परिस्थितियों में जहां हिताधिकारी एक विदेशी पर्यटक है, उच्चतर राशियों का नकद वितरण किया जा सकता है।

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