मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा
आरबीआई/2019-20/02 01 जुलाई, 2019 सभी बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ प्रबंध निदेशक/ महोदया/ महोदय, मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा कृपया नोटों तथा सिक्कों के विनिमय की सुविधा संबंधी 02 जुलाई 2018 का हमारा मास्टर परिपत्र डीसीएम (नोट विनिमय) सं. जी - 2/08.07.18/2018-19 देखें । उक्त विषय पर संशोधित मास्टर परिपत्र की एक प्रतिलिपि आपकी सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए संलग्न है । मास्टर परिपत्र की प्रतिलिपि हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध है । भवदीय (मानस रंजन महान्ति) संलग्न : यथोक्त मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा – 01 जुलाई 2019 1. बैंक शाखाओं में नोट / सिक्कों के विनिमय की सुविधा (क) पूरे देश में सभी बैंक शाखाएं जनसाधारण को निम्नलिखित ग्राहक सेवाएं अधिक तत्परता और कारगर ढंग से अनिवार्य रूप से प्रदान करें ताकि उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में निम्नलिखित प्रयोजनों हेतु न आना पड़े:- I. नए / अच्छी हालत के सभी मूल्यवर्ग के नोटों तथा सिक्कों की मांग; II. गंदे/कटे-फटे/दोषपूर्ण नोटों को बदलना * * लघु वित्त बैंकों एवं भुगतान बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि वे कटे-फटे और दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं। और III. लेनदेन अथवा विनिमय में नोट एवं सिक्के स्वीकारना । सिक्के, विशेष रूप से रू. 1 तथा 2 मूल्यवर्ग के सिक्के, भार के हिसाब से स्वीकार करना बेहतर होगा । यद्यपि, प्रत्येक थैली में 100 सिक्के पैक कर स्वीकार करना शायद खजांची के साथ साथ ग्राहक के लिए भी अधिक सुविधाजनक होगा । इस प्रकार की थैलियाँ काउंटर पर भी रखी जाएँ तथा ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध करवाई जाएँ । (ख) सभी शाखाएं कारोबार के सभी दिनों पर किसी पक्षपात के बिना आम जनता को उपरोक्त सुविधा प्रदान करेंगी । एक माह में किसी रविवार के दिन कतिपय चयनित मुद्रा तिजोरी वाली शाखाओं द्वारा विनिमय सुविधा प्रदान करने की योजना यथावत बनी रहेगी । ऐसी सभी बैंक शाखाओं के नाम और उनके पते संबंधित बैंकों के पास उपलब्ध होने चाहिये । (ग) आम आदमी की जानकारी के लिए शाखाओं के स्तर पर उपलब्ध ऐसी सेवाओं का, व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये । (घ) कोई भी बैंक शाखा, उसके काउंटरों पर प्रस्तुत किए गए छोटे मूल्यवर्ग के नोट और/या सिक्के की स्वीकृति के लिए इन्कार नहीं करें । 2. भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 - शक्तियों का प्रत्यायोजन (क) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 58(2) के साथ पठित धारा 28 के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत सरकार द्वारा जारी करेंसी नोटों या बैंकनोटों में से किसी गुम हो चुके, चोरी हो गये, विकृत या अपूर्ण करेंसी नोट का मूल्य भारत सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक से अधिकार के तौर पर वसूल करने का पात्र नहीं है । तथापि , वास्तविक मामलों में जनता को कठिनाई से बचाने के प्रयोजन से यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से भारतीय रिज़र्व बैंक उन परिस्थितियों तथा उन शर्तों और परिसीमाओं का निर्धारण कर सकता है, जिनके अनुसार ऐसे करेंसी नोटों या बैंक नोटों का मूल्य एक अनुग्रह के रूप में दिया जा सके । (ख) जनता के लाभ और सहूलियत के लिए विनिमय सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से, बैंकों की सभी शाखाओं को भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 के नियम 2(ज) के अंतर्गत कटे-फटे दोषपूर्ण/ बैंक नोटो के निःशुल्क विनिमय के लिए अधिकार दिए गए हैं | (ग) आम जनता को महात्मा गांधी (नई) शृंखला, जो पूर्व की शृंखला की तुलना में आकार में छोटे है, के कटे फटे नोटों के विनिमय में सक्षम करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 को संशोधित किया गया था । पचास रूपये तथा इससे उच्च मूल्यवर्ग के नोटों के पूर्ण मूल्य के भुगतान के लिए आवश्यक नोट के सबसे बड़े एकल अविभाजित टुकड़े के न्यूनतम क्षेत्र में भी संशोधन किया गया था । भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2018 को 06 सितंबर 2018 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है । 3. गंदे नोट की परिभाषा का सरलीकरण विनिमय सुविधाओं में तेजी लाने के उद्देश्य से गंदे नोटों की परिभाषा को विस्तारित किया गया है । '' गंदा नोट '' उस नोट को माना जाता है जिसका सामान्य रूप से बहुत अधिक इस्तेमाल किये जाने के कारण गंदा बना हुआ हो और उस नोट को भी गंदा नोट माना जाता है जिसे दो टुकडों को चिपकाकर बनाया गया हो जिसमें प्रस्तुत नोट के दोनों टुकडे एक ही नोट के हैं और नोट में सभी आवश्यक विशेषताएं मौजूद हैं । सरकारी देनदारी चुकता करने के लिए या बैंक के काउन्टरों पर अपने खातों में जमा करने के लिए जनता द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर भी ये नोट स्वीकार किए जाएं । इस प्रकार के चलन में न लाने योग्य नोटों को किसी भी हाल में पुन: जारी करने योग्य नोटों के रूप में जनता को फिर से जारी न किया जाए बल्कि इन्हें अगले प्रसंस्करण के लिए गंदे नोट प्रेषण के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों को भेजने हेतु मुद्रा तिजोरियों में जमा कर दिया जाए । 4. विरूपित नोट - प्रस्तुत एवं पास किया जाना ‘विरूपित नोट’ का अभिप्राय ऐसे नोट से है जिसका कि एक हिस्सा गायब हो अथवा जिसे दो टुकडों से अधिक टुकडों से बनाया गया हो । विरूपित नोटों को किसी भी बैंक की शाखा में प्रस्तुत किया जा सकता है । इस प्रकार के प्रस्तुत किये गये नोटों को स्वीकृत करना होगा और भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के तहत बनाए गये उल्लिखित नियमों के अनुसार अधिनिर्णयन कर विनिमय प्रदान करना होगा । 5. अत्यधिक खस्ताहाल, जले, टुकड़े-टुकड़े, चिपके हुए नोट ऐसे नोट जो बहुत ही खस्ताहाल हों या बुरी तरह से जल गए हों, टुकड़े - टुकड़े हो गए हों अथवा आपस में बुरी तरह से चिपक गए हों, और इस वजह से वे अब सामान्यतया उठाने-रखने लायक न रह गए हों तो बैंक शाखाओं को ऐसे नोटों को बदलने के लिए स्वीकृत नहीं करना चाहिये । ऐसे नोटों को बदलने के लिए लेने के बजाए धारक को सलाह दी जाये कि वह इन नोटों को संबंधित निर्गम कार्यालय में प्रस्तुत करे, जहां पर इनका अधिनिर्णयन एक विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाएगा । 6. गंदे / विरूपित / अपूर्ण नोटों के लिए विनिमय की सुविधा की प्रक्रिया 6.1 गंदे नोटों का विनिमय: 6.1.1 कम संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट: जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 20 नग तक है और जिसका अधिकतम मूल्य रू. 5000/- प्रतिदिन हो, तो बैंक को उसे काउंटर पर नि:शुल्क बदल कर देना चाहिए । 6.1.2 अधिक संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट: जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 20 नग अथवा मूल्य रू 5000 प्रतिदिन से अधिक हो, तो बैंक रसीद देकर, बाद में मूल्य को जमा करने के लिए नोटों को स्वीकार कर सकते हैं । बैंकों में ग्राहक सेवा विषय पर मास्टर परिपत्र (दिनांक 01 जुलाई, 2015 का परिपत्र डीबीआर.सं.एलईजी.बीसी.21/09.07.006/2015-16) के अनुसार स्वीकृत किया गया सेवा प्रभार बैंक वसूल सकते हैं । यदि प्रस्तुत किया गया मूल्य रू. 50000/- से अधिक है तो, बैंकों से सामान्य सावधानियाँ बरतने की अपेक्षा की जाती है । 6.2 विरूपित तथा अपूर्ण नोटों का विनिमय: 6.2.1 यद्यपि प्राधिकृत शाखाएँ नोट वापसी नियमावली, 2009 के भाग III (www.rbi.org.in>प्रकाशन>सामयिक) में विरूपित तथा अपूर्ण नोटों के विनिमय के लिए दी गई प्रक्रिया को जारी रख सकती हैं तथा अधिनिर्णयन के लिए प्रस्तुत किए गए नोटों के लिए प्राप्ति रसीद जारी करें, गैर-तिजोरी शाखाओं को कम संख्या तथा अधिक संख्या में प्रस्तुत किए गए नोटों के लिए निम्न प्रक्रिया का अनुसरण करने की आवश्यकता है । 6.2.2 कम संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट : जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 5 नग तक है, गैर-तिजोरी शाखाओं को सामान्यत: इन नोटों का अधिनिर्णयन नोट वापसी नियमावली, 2009 के भाग III में दी गई प्रक्रिया के अनुसार करना चाहिए तथा विनिमय मूल्य का भुगतान काउंटर पर ही करें । यदि गैर-तिजोरी शाखाएँ विरूपित नोटों का अधिनिर्णयन करने में सक्षम नहीं हैं, तो प्राप्ति रसीद देकर नोट प्राप्त किए जा सकते हैं तथा अधिनिर्णयन के लिए सम्बद्ध मुद्रा तिजोरी शाखाओं को भेजा जा सकता है । प्रस्तुतकर्ता को रसीद पर भुगतान की संभावित तारीख के बारे में सूचित करना चाहिए तथा यह 30 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए । इलैक्ट्रोनिक माध्यम से विनिमय मूल्य को जमा करने के लिए प्रस्तुतकर्ता से बैंक खाते का विवरण प्राप्त किया जाना चाहिए । 6.2.3 अधिक संख्या में प्रस्तुत किए गए नोट : जहां किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या 5 नग से अधिक हो एवं अधिकतम मूल्य रू 5000 हो तो प्रस्तुतकर्ता इस प्रकार के नोटों को बीमाकृत डाक द्वारा अपने बैंक खाते का विवरण (खाता संख्या, शाखा का नाम, आईएफएससी आदि) देते हुए नजदीकी मुद्रा तिजोरी शाखा में भेजने हेतु सूचित करें अथवा व्यक्तिगत रूप से जाकर बदलवा लें ।अन्य सभी व्यक्ति जो रू 5000 मूल्य से अधिक के विरूपित नोट प्रस्तूत करते हैं उन्हे निकटतम तिजोरी शाखा जाने के लिए सूचित करें। बीमाकृत डाक द्वारा विरूपित नोट प्राप्त होने पर मुद्रा तिजोरी शाखाएँ 30 दिन के भीतर विनिमय मूल्य को प्रेषक के खाते में इलैक्ट्रोनिक माध्यम से जमा करना चाहिए। 6.3 इस संबंध में बैंकों द्वारा दी गई सेवाओं से असंतुष्ट प्रस्तुतकर्ता बैंक/डाक रसीदों को प्रमाण के रूप में संलग्न कर बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के अन्तर्गत प्रक्रिया का पालन करते हुए संबन्धित बैंकिंग लोकपाल से आवश्यक कार्रवाई हेतु संपर्क कर सकते हैं। 7. भुगतान करें/भुगतान किया/निरस्त ’की मुहरें लगे नोट क) प्रत्येक शाखा के प्रभारी अधिकारी अर्थात् शाखा प्रबंधक और प्रत्येक शाखा की लेखा अथवा नकदी विंग के प्रभारी अधिकारी, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के अनुसार शाखा में प्राप्त नोटों का अधिनिर्णयन करने के लिए ‘निर्धारित अधिकारी’ के रूप में कार्य करेंगे। कटे-फटे नोटों के अधिनिर्णयन करने के बाद निर्धारित अधिकारी के लिए यह आवश्यक है वह नोटों पर दिनांक वाली मुहर लगाकर अपने आद्यक्षर करते हुए "भुगतान करें"/"भुगतान किया"/"निरस्त" का आदेश रिकॉर्ड करें । "भुगतान करें"/"भुगतान किया"/"निरस्त" आदेश वाली मुहरों पर बैंक और संबंधित शाखा का नाम भी होना चाहिए और इन मुहरों का गलत इस्तेमाल टालने के लिए इन्हें ‘निर्धारित अधिकारी’ की अभिरक्षा में रखा जाएं । ख) ऐसे कटे-फटे/ दोषपूर्ण नोट जिन पर भारतीय रिज़र्व बैंक के किसी भी निर्गम कार्यालय अथवा किसी बैंक शाखा की "भुगतान करें"/"भुगतान किया"/या "निरस्त" की मुहर लगी हो तो ऐसे नोटों को दुबारा किसी भी बैंक शाखा में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए जाने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6(2) के अंतर्गत भुगतान करने से मना कर दिया जाए और प्रस्तुतकर्ता को सूचित कर दिया जाए कि ऐसे विकृत नोट (नोटों) का मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही दिया जा चुका है, और भुगतान के प्रमाण-स्वरूप इन/इस पर "भुगतान करें"/"भुगतान किया" की मुहरें लगी हुई हैं। सभी बैंक शाखाओं को यह हिदायत दी गई है कि वे "भुगतान करे"/"भुगतान किया" की मुहर लगे नोटों को जनता में दुबारा भूल से भी न जाने दें। शाखाएं अपने ग्राहकों को सावधान कर दें कि वे किसी भी अन्य बैंक या व्यक्ति से ऐसे नोट न लें । 8. राजनैतिक नारा या संदेश आदि लिखे हुए नोट यदि किसी नोट के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कोई नारा अथवा राजनीतिक प्रकृति का संदेश लिखा हो तो यह विधिमान्य मुद्रा नहीं रह जाती और भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6 (3)(iii) के अंतर्गत ऐसे नोटों को निरस्त कर दिया जाएगा । इसी प्रकार विरूपित किए गए नोट भी भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6 (3)(ii) के अंतर्गत निरस्त किये जा सकते हैं । 9. जानबूझकर काटे गए नोट यदि जानबूझकर काटे गए अथवा बेईमानी से फेर- बदल किये नोटों को विनिमय मूल्य पाने के लिये प्रस्तुत किया जाता है तो उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली 2009 के नियम 6 (3)(ii) के अंतर्गत निरस्त कर दिया जाये । यद्यपि जानबूझकर काटे नोटों की कोई ठीक-ठीक परिभाषा निर्धारित करना संभव नहीं है, तथापि ऐसे नोटों को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह कार्य जानबूझकर धोखा देने के उद्देश्य से किया गया है, क्योंकि ऐसे नोटों को जिस प्रकार से काटा/विरूपित किया जाता है उसमें नोटों के आकार/गायब हुए टुकड़ों में एकरूपता देखने को मिलती है अर्थात ये नोट किसी खास जगह पर ही विकृत होते हैं, खासकर जब नोट बड़ी मात्रा में प्रस्तुत किये जाते हैं । ऐसे मामलों में प्रस्तुतकर्ता का नाम, प्रस्तुत किए गए नोटों की संख्या और मूल्यवर्ग आदि विवरण, भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम विभाग के उप महाप्रबंधक /महाप्रबंधक, जिनके अधिकार क्षेत्र में शाखा आती है, को रिपोर्ट किये जायें । बड़ी मात्रा में ऐसे नोट प्रस्तुत किए जाने की स्थिति में मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को भी दे दी जाये । 10. प्रशिक्षण हमारे निर्गम कार्यालय, बैंक शाखाओं के " निर्धारित अधिकारियों " के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं । चूँकि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य निर्धारित अधिकारियों को दोषपूर्ण नोटों के अधिनिर्णयन की प्रक्रिया की जानकारी देना तथा उनमें आत्मविश्वास पैदा करना हैं, अत: यह अनिवार्य है कि संबंधित शाखाओं के निर्धारित अधिकारियों को ऐसे कार्यक्रम में नामित किया जाए । 11. नोटिस बोर्ड लगाना सभी बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे अपनी शाखाओं में आसानी से दिखाई देने वाले स्थान पर इस आशय का नोटिस बोर्ड लगाएं जिस पर लिखा होना चाहिए कि "यहाँ पर गंदे/दोषपूर्ण नोट व सिक्के बदले एवं स्वीकार किये जाते हैं"। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी सभी शाखाएं नोट एवं सिक्कों के विनिमय की सेवाएं प्रदान कर रही है । शाखाओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि नोट बदलने की यह सुविधा केवल उनके ग्राहकों के लिए सीमित नहीं हैं बल्कि अन्यों को भी दी जा रही है । तथापि उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा की नोट विनिमय सुविधा केवल निजी मुद्रा परिवर्तकों/दोषपूर्ण नोटों के व्यवसायियों तक ही सीमित न रह जाए । 12. बैंक शाखाओं के स्तर पर अधिनिर्णीत नोटों का निपटान बैंक शाखाओं द्वारा अधिनिर्णीत नोटों की लेखा परीक्षा के सम्बन्ध में सभी बैंक शाखाओं से अपेक्षित है कि वे पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को उन तिजोरी शाखाओं को भेजे जिनके साथ उन्हें सहलग्न किया गया है और वहां से पूर्व - निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार गंदे नोटों के अगले प्रेषण के साथ संबंधित निर्गम कार्यालय को भेज दिया जाए । आधा मूल्य भुगतान किए गए तथा निरस्त नोट जो कि मुद्रा तिजोरी शाखा के अपने नकदी शेष में रखे हैं, आवश्यकतानुसार या तो पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों के प्रेषण के साथ अलग से पैकिंग करके या फिर पंजीकृत एवं बीमाकृत डाक द्वारा भेज दिये जायें । पूर्ण मूल्य प्रदत्त नोटों को निर्गम कार्यालय द्वारा तिजोरी प्रेषण माना जायेगा जबकि आधा मूल्य प्रदत्त तथा निरस्त नोट, अधिनिर्णयन हेतु प्रस्तुत किए गये नोट माने जायेंगे तथा तद्नुसार उनका प्रसंस्करण किया जायेगा । सभी मुद्रा तिजोरीवाली शाखाओं से यह अपेक्षित हैं कि उनके द्वारा महीने के दौरान अधिनिर्णित किए गए नोटों की संख्या मासिक विवरणी में दर्शाकर हमारे निर्गम कार्यालयों को प्रेषित की जाएं । 13. अप्रचलित सिक्के भारत सरकार द्वारा जारी 20 दिसंबर 2010 की राजपत्रित अधिसूचना सं. 2529 के अनुसरण में, समय - समय पर जारी किये गये 25 पैसे और उससे निम्न मूल्यवर्ग के सिक्के, 30 जून 2011 के प्रभाव से भुगतान के साथ – साथ लेखा के लिए वैध मुद्रा नहीं रहेंगे | 14. निगरानी और नियंत्रण (क) बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधक/आंचलिक प्रबंधक, बैंक शाखाओं का आकस्मिक दौरा करें और इस संबंध में अपने प्रधान कार्यालय को अनुपालन की स्थिति से अवगत करायें जो कि इन रिपोर्ट्स की समीक्षा करेंगे तथा जहाँ जरूरी होगा, तत्परता से सुधारात्मक कार्रवाई करेंगे । (ख) इस संबंध में किसी अनुदेश का अनुपालन न करना भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों की अवहेलना/उल्लंघन माना जायेगा । मास्टर परिपत्र - नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा – 01 जुलाई 2019 मास्टर परिपत्र द्वारा समेकित परिपत्रों/ अधिसूचनाओं की सूची
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