भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुक्कुपेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुक्कुपेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 3 जनवरी 2025 के आदेश द्वारा मुक्कुपेरी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ‘पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा (एसएएफ़)’ के अंतर्गत जारी विशिष्ट निदेशों, ‘निदेशकों, उनके रिश्तेदारों तथा फर्मों/संस्थाओं, जिनमें उनका हित हो, को ऋण और अग्रिम राशि’ तथा ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹1.75 लाख (एक लाख पचहत्तर हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
31 मार्च 2023 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों तथा उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:
बैंक ने:
i) एसएएफ के अंतर्गत जारी निर्देशों का पालन नहीं किया, जब उसने उस क्षेत्र में अपना एक्सपोज़र बढ़ाया, जहां एनपीए का स्तर अधिक था;
ii) निदेशक से संबंधित ऋण स्वीकृत किए; और
iii) निर्धारित समय सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा।
यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/1953 |