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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि उत्कल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 अगस्त 2025 के आदेश द्वारा दि उत्कल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुवनेश्वर (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ‘पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (एसएएफ)’ के अंतर्गत जारी विशिष्ट निदेशों तथा ‘सहकारी बैंकों द्वारा साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता’ और ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ संबंधी जारी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए ₹2.53 लाख (दो लाख तिरपन हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) और 56  के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 23 के साथ पठित धारा 25 के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।                    

31 मार्च 2024 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।   

बैंक ने:

  1. एसएएफ के अंतर्गत जारी निदेशों के अननुपालन में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति के बिना पूंजीगत व्यय किया;
  2. ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी तीन साख सूचना कंपनियों को प्रस्तुत करने में विफल रहा;
  3. ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) पर अपलोड करने में विफल रहा; और
  4. खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा की प्रणाली स्थापित करने में विफल रहा, जिसकी आवधिकता कम से कम छह महीने में एक बार हो।

यह कार्रवाई, विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।     

(पुनीत पंचोली)
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/882

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