विमुद्रीकरण और बैंक जमा वृद्धि - आरबीआई - Reserve Bank of India
विमुद्रीकरण और बैंक जमा वृद्धि
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मिंट स्ट्रीट मेमो सं.01 भुपल सिंह और इंद्रजीत रॉय1 सार अध्ययन यह अनुमान लगाता है कि विमुद्रीकरण के बाद बैंक जमाराशियों में ‘आधिक्य’ वृद्धि 3.0-4.7 प्रतिशत बिंदुओं के दायरे में रही है। सांकेतिक मामलों में, इन अनुमानों का अभिप्राय जमाराशियों के आधिक्य से है जो विमुद्रीकरण के कारण बैंकिंग प्रणाली में ₹ 2.8-4.3 ट्रिलियन के दायरे में रही हैं। विशिष्ट प्रकार के खातों जो साधारणतया निम्न स्तरीय गतिविधि से चिह्नित होते हैं, में नकद जमाराशियों की असामान्य वृद्धि के सूक्ष्म-स्तरीय विश्लेषण भी निष्कर्षों में सहायता करता है। बैंक जमाराशियों में परिवर्तन से संबंधित ऐसे अभिलाभ, यदि टिकाऊ रहे, तो इनका बचतों के वित्तीयकरण के रूप में लाभदायक प्रभाव हो सकता है। I. परिचय 8 नवंबर 2016 को ₹ 1000 और ₹ 500 (विनिर्दिष्ट बैंक नोट या एसबीएन) मूल्यवर्ग के मुद्रानोटों जिनका मूल्य ₹ 15.4 ट्रिलियन था और प्रचलन में कुल नोटों के मूल्य का 86.9 प्रतिशत था, को विमुद्रीकृत कर दिया गया। प्रचलित मुद्रा के बाद की गिरावट को बैंक जमारशियों में उछाल में प्रतिबिंबित किया गया। 28 अक्टूबर 2016 से 6 जनवरी 2017 के बीच, प्रचलित नोट लगभग 8.8 ट्रिलियन तक कम हो गए जिन्होंने बाद में बैंकिंग प्रणाली की समग्र जमाराशियों में मुख्य रूप से चालू खाते और बचत खाते (कासा) की जमाराशियों (कम लागत की जमाराशियां) की हिस्सेदारी में लगभग 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई (चार्ट 1 और 2) विमुद्रीकरण से वित्तीय मध्यस्थता में भी काफी वृद्धि हुई जिसमें विमुद्रीकरण के बाद (9 नवंबर से 25 सितंबर 2017 तक) 18 मिलियन खातों के बढ़ने के साथ प्रधान मंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) खातों की जमाराशियों में 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नवीनतम आंकड़े दर्शाते हैं कि विमुद्रीकरण से 26 जुलाई 2017 तक 38.2 मिलियन नए खाते खोले गए (चार्ट 3)।2 II. आधिक्य जमाराशियों का अनुमान उपर्युक्त पृष्ठभूमि में, यह अध्ययन विमुद्रीकरण के कारण जमाराशियों की वृद्धि में आधिक्य का अनुमान लगाने की दृष्टि से जमा ‘व्यवहार’ का विश्लेषण करने का प्रयास करता है। पहला, कतिपय अनुमानों का उपयोग करके विमुद्रीकरण अवधि के दौरान बैंक की जमाराशियों में वृद्धि की सामान्य दर का आकलन करने के लिए समय-श्रृंखला मॉडल को अपनाया जाता है और फिर वृद्धि के ‘आधिक्य’ का वास्तविक वृद्धि के साथ तुलना करके वृद्धि का ‘आधिक्य’ निकाला जाता है। दूसरा, विशिष्ट खातों की सात श्रेणियां जो बैंक जमाराशियों का लगभग 30 प्रतिशत है, का पिछले वर्षों के दौरान दर्ज वृद्धि की तुलना में मूल्यांकन किया जाता है। ऐसे खातों को सामान्य समय के दौरान इन खातों में उल्लेखनीय गतिविधि के अभाव तथा असाधारण नकद जमाराशियों के संकेत से चिह्नित किया जाता है। परिणामी अनुमान नीचे प्रस्तुत हैं। II.1 समग्र बैंकिंग सांख्यिकी पर आधारित अनुमान वैकल्पिक परिदृश्यों में जमाराशि की वृद्धि की बेंचमार्क सांकेतिक दर को निम्नलिखित के अनुसार माना गया है-(i) वर्ष 2015-16 की इसी अवधि में जमाराशि में वृद्धि, (ii) पिछले दो वर्षों (अर्थात वर्ष 2014-15 और 2015-16) की इसी अवधि के दौरान दर्ज औसत वृद्धि तथा (iii) एआरआईएमए मॉडल का उपयोग करके अनुमानित वृद्धि। परिदृश्य 1: सामान्य जमाराशि वृद्धि को वर्ष 2015-16 में देखी गई दर द्वारा प्रतिनिधि स्वरूप देखा गया समग्र जमाराशियां 11 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 की अवधि के दौरान वर्ष 2015 की इस अवधि के दौरान 10.3 प्रतिशत की तुलना में 14.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़ी जो विमुद्रीकरण के कारण 4.2 प्रतिशत की आधिक्य जमाराशि वृद्धि की ओर संकेत करती हैं (सारणी 1)। सांकेतिक रूप से जमाराशियों का आधिक्य ₹ 3.8 ट्रिलियन बनता है। 11 नवंबर 2016 से 17 फरवरी 2017 की अवधि का आकलन दिखाता है कि पखवाड़े में औसत बैंक जमाराशि वृद्धि 13.9 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2015-16 की इस अवधि के दौरान 10.4 प्रतिशत की अनुमानित सामान्य वृद्धि से 3.5 प्रतिशत अंक अधिक है। यदि मार्च 2017 के अंत तक की अवधि पर विचार किया जाता है तो जमाराशियों की कुछ अस्थायी टेपरिंग को हिसाब में लेने की दृष्टि से जमाराशियों की 13.4 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि दर 10.1 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि दर से 3.3 प्रतिशत अंक अधिक है। परिदृश्य 2 : सामान्य जमा वृद्धि को वर्ष 2014-15 और 2015-16 के औसत द्वारा प्रतिनिधि स्वरूप में देखा गया वर्ष 2014-15 और 2015-16 के 11 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान बैंक जमाराशियों में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि औसत पखवाड़े में 10.6 प्रतिशत थी, जबकि वर्ष 2016-17 की इसी अवधि के लिए औसत जमाराशि वृद्धि 14.5 प्रतिशत रही। इस परिदृश्य में, विमुद्रीकरण के कारण आधिक्य जमाराशि वृद्धि का अनुमान 4.0 प्रतिशत बिंदुओ पर लगाया गया (सारणी 1)। उसी आधार पर, 11 फरवरी से 17 फरवरी 2017 की अवधि के दौरान जमाराशि वृद्धि पिछले दो वर्ष की इस अवधि के औसत पर आधारित 10.7 प्रतिशत की जमाराशि वृद्धि से 3.3 प्रतिशत अंक अधिक थी। यदि मार्च 2017 के अंत तक की अवधि पर विचार किया जाए तो जमाराशि वृद्धि 10.4 प्रतिशत के औसत जमाराशि वृद्धि से 3.0 प्रतिशत अंक अधिक निकलती है। परिदृश्य 3 : यूनिवैरियट पूर्वानुमान मॉडल एआरआईएमए पर आधारित अनुमान वर्ष 2012-13 से 2016-17 की अवधि (28 अक्टूबर 2016 को समाप्त पखवाड़े तक) के लिए 15 दिनों के आंकड़ों पर ऑटोरिग्रेसिव एकीकृत गतिशील औसत [एआरआईएमए (1,1)] का उपयोग करते हुए जमाराशि वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) पूर्वानुमान भी लगाया गया।: जहां, ŷt जमाराशि वृद्धि दर श्रंखला है। श्रंखलाओं का अंतर (yt-1,…, yt-p) ऑटोरिग्रेसिव टर्म्स हैं जबकि पूर्वानुमान त्रुटियों का अंतर (et-1,…, et-q) गतिशील औसत टर्म्स है। इस मॉडल को सांख्यिकीय रूप से मजबूत और लघुकालिक पूर्वानुमान के लिए उचित पाया गया है (अनुलग्नक सारणियां 1 से 4 और अनुलग्नक चार्ट 1 देखें)। इस मॉडल का उपयोग करते हुए विमुद्रीकरण के कारण जमाराशियों की अधिक वृद्धि दर 9.8 प्रतिशत की आदर्श पूर्वानुमान वृद्धि दर से 4.7 अधिक बनती है (सारणी 1)। 11 नवंबर 2016 से 17 फरवरी 2017 तक की अवधि के लिए जमाराशि वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत आदर्श पूर्वानुमान वृद्धि दर से 4.2 प्रतिशत अधिक थी। मार्च 2017 के अंत तक की अवधि पर विचार करने पर जमाराशि वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत आदर्श पूर्वानुमान वृद्धि दर से 3.8 प्रतिशत अधिक है। II.2 विशिष्ट बैंक खातों पर आधारित अति जमाराशियों का अनुमान 25 नवंबर 2016 को बैंक शाखाओँ में ओवर द काउंटर विनिमय सुविधा के बंद करने से पहले लगभग ₹ 370 बिलियन विनिर्दिष्ट बैंक नोट प्रस्तुत किए गए। एसबीएन की एक अच्छी राशि निम्निलिखित विशिष्ट प्रकार के खातों में आई जैसे मूल बचत बैंक जमा खाता (बीएसबीडीए), पीएमजेडीवाई खाते, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी), असक्रिय और अपरिचालनरत खाते, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के सहकारी बैंक खाते, बुलियन ट्रेडर/ज्वेलर्स खाते और ऋण खाते। असाधारण नकदी जमाराशियों का कम होने का अनुमान लगाया गया है जिसमें इन खातों के आंकड़ों और निम्नलिखित अनुमान पद्धतियों का उपयोग किया गया। परिदृश्य 1 : मौसमी समायोजन किए बिना महीने दर महीने वृद्धि नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान 52 बैंकों में इन सात प्रकार के खातों में नकदी जमाराशियों को ₹ 4,358 अनुमानित किया गया। सितंबर-अक्टूबर 2016 के दौरान इन खातों में नकदी जमाराशियां ₹ 2,701 बिलियन थी (सारणी 2)। इस प्रकार ₹ 1,657 बिलियन की घट-बढ़ का अनुमान सामान्य समय में ऐसे खातों में किसी उल्लेखनीय गतिविधि के अभाव में विमुद्रीकरण के कारण इन खातों में नकदी जमाराशियों में वृद्धि के रूप में लगाया जा सकता है।
परिदृश्य 2: समग्र नकद जमाराशियों की वर्ष-दर-वर्ष वृधि पर आधारित 52 बैंकों में सात प्रकार के खातों में अनुमानित नकद जमाराशियां नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान ₹ 4,358 बिलियन और नवंबर-दिसंबर 2015 के दौरान ₹ 3,065 थी। पिछले पांच वर्षों में नंवबर-दिसंबर के दौरान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के सभी प्रकार के खातों की निवल जमाराशियों (आहरण घटाकर जमाराशियां) की औसत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि (-) 9.2 प्रतिशत (सारणी 3) थी। नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान इन खातों की नकद जमाराशियों का अनुमानित ट्रेंड ₹ 2,783 बिलियन है। इस प्रकार, नवंबर-दिसंबर 2016 के दौरान नकद जमाराशियों की अधिक राशि ₹ 1,575 बनती है। III. निष्कर्ष विमुद्रीकरण (11 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक) की अवधि के दौरान बैंकिंग प्रणाली में जमाराशियों की अधिक वृद्धि 4.0-4.7 प्रतिशत अंक बनती है। यदि मध्य फरवरी 2017 तक की अवधि जिसमें कुछ उछाल कम हो गया था, को लिया जाए तो जमाराशियों की अधिक वृद्धि 3.3-4.2 प्रतिशत अंक के दायरे में बनती है। जमाराशियों की कुछ अधिक अस्थायी टेपरिंग पर विचार करते हुए मार्च 2017 के अंत तक की अवधि के लिए की गई कार्रवाई से पता चलता है कि जमाराशियों की अधिक वृद्धि दर 3.0-3.8 प्रतिशत अंकों के दायरे में रहेगी। सांकेतिक के रूप में, विमुद्रीकरण के कारण बैंकिंग प्रणाली में उपार्जित अधिक जमाराशियों का अनुमान ₹ 2.8-4.3 ट्रिलियन के दायरे में लगाया गया है। सामान्यतः कम सक्रिय रहने वाले विशिष्ट खातों में असाधारण नकद जमाराशियों का अनुमान ₹ 1.6-1.7 ट्रिलियन के दायरे में लगाया गया है। कुल मिलाकर, ऐसा प्रतीत होता है कि विमुद्रीकरण के कारण बैंक जमाराशियों में काफी वृद्धि हुई है, जो यदि संधारणीय रही तो इससे वित्तीय बचतों और पूंजी बाजारों में इसके चेनेलाइज होने से अनुकूल प्रभाव पड़ सकता है (मिन्ट स्ट्रीट मेमो सं. 2 “बचतों का गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ संस्थाओं में वित्तीयकरण” देखें)। संदर्भ: बॉक्स, जॉर्ज और जेंकिंस, ग्विलीम (1970), टाइम सीरिज एलैलिसिसः फॉरकास्टिंग एंड कंट्रोल, सान फ्रांसिस्कोः होल्डन-डे।
नोट: यदि एआरएमए प्रक्रिया (covariance) स्थिर है तो फिर सभी एआर रूट्स यूनिट सर्कल के अंदर होने चाहिए 1 भुपल सिंह और इंद्रजीत रॉय क्रमशः मौद्रिक नीति विभाग और सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग में निदेशक हैं। इस पेपर में निष्कर्ष और विचार पूरी तरह से लेखकों के हैं और इन्हें आवश्यक रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारिक विचारों के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। 2 विमुद्रीकरण का दूसरा महत्वपूर्ण परिणाम डिजिटल लेनदेनों के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि रही जिसमें नवंबर 2016 और जून 2017 के बीच प्री-पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) की मात्रा 44 प्रतिशत तक बढ़ गई। |