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कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

आरबीआइ सं. 2009-10/380
ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी. 63/03.05.72/2009-10

6 अप्रैल 2010

अध्यक्ष
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

महोदय

कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति
वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 30 जुलाई 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि. केंका. आरआरबी.सं.बीसी. 18/03.05.072/2008-09, 17 नवंबर 2008 का परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरआरबी.सं.बीसी. 64/03.05.072/2008-09, 23 मार्च 2009 का परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरआरबी.सं.बीसी. 92/03.05.072/2008-09, 01 जुलाई 2009 का परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरआरबी.सं.बीसी. 11/03.05.072/2009-10 तथा 11 सितंबर 2009 का ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं. 20/03.05.72/2009-10 देखें ।

2. दिनांक 11 सितंबर 2009 के उपर्युक्त परिपत्र के द्वारा हमने यह सूचित किया था कि भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भारत सरकार से 25% की ऋण राहत पाने के लिए ’अन्य किसानों’ के खाते पात्र होंगे बशर्ते वे अपने 75% के संपूर्ण हिस्से का भुगतान 31 दिसंबर 2009 तक कर देते हों।

3. हाल ही में कुछ राज्यों में सूखा तथा देश के कुछ अन्य भागों में भयंकर बाढ़ को देखते हुए जैसाकि यूनियन बजट 2010-11 में घोषित किया गया था, भारत सरकार ने अब यह निर्णय लिया है कि ऋण राहत योजना (कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना के अधीन) के अंतर्गत ’अन्य किसानों’ द्वारा अतिदेय हिस्से के 75% के भुगतान की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2009 से और छ: महीने बढ़ाकर 30 जून 2010 तक कर दी जाए । पात्र ’अन्य किसानों’ को 30 जून 2010 तक एक या अधिक किश्तों में इस राशि की चुकौती के लिए अनुमति दी जा सकती है ।

4. भारत सरकार ने यह भी सूचित किया है कि बैंकों/ऋणदात्री संस्थाओं को एकमुश्त निपटान योजना (ओटीएस) के तहत पात्र राशि के 75% से कम राशि भी स्वीकार करने की अनुमति है बशर्ते बैंक/ऋणदात्री संस्थाएं इस अंतर को खुद वहन करें और उसके लिए न तो सरकार से दावा करें और न ही किसान से । ऋण राहत के अंतर्गत सरकार वास्तविक पात्र राशि के केवल 25% का भुगतान करेगी ।

5. सरकार ने दुबारा भी स्पष्ट किया है कि ऋणदात्री संस्थाएं 29 फरवरी 2008 से 30 जून 2009 के बीच की अवधि के लिए पात्र राशि पर कोई ब्याज नहीं लगाएंगी । तथापि, वे पात्र राशि पर 1 जुलाई 2009 से निपटान की तारीख तक के लिए सामान्य ब्याज दर लगा सकते हैं । साथ ही, विलंब प्रतिपूर्ति समय-सारणी के अनुसार ऋणदात्री संस्थाओं को 25% राशि की प्रतिपूर्ति करते समय योजना के अंतर्गत इस छ: माह के विस्तार के लिए भारत सरकार द्वारा ऋणदात्री संस्थाओं को ब्याज का भुगतान नहीं किया जायेगा।

6. जिन मामलों में ऋण राहत योजना के दायरे में आने वाले किसानों ने एकमुश्त निपटान योजना के अंतर्गत अपने अंश का भुगतान करने की सहमति के रूप में वचनबद्धता दे दी है वहां बैंक उनके संबंधित खातों को ‘मानक’/‘अर्जक’ मान सकते हैं, बशर्ते -

(क) बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से बकाया सभी प्राप्य राशियों के लिए उनके वर्तमान मूल्य के अनुसार हानि के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया हो । (इस योजना के अंतर्गत वर्तमान मूल्य के आधार पर हानि की राशि की गणना करने के लिए किसानों से प्राप्य शेष राशि को 30 जून 2010 को देय माना जाए और उस पर ब्याज का भुगतान उपर्युक्त पैराग्राफ 5 के अनुसार होगा । वर्तमान मूल्य की गणना करने के लिए नकदी प्रवाह पर उस दर पर बट्टा लगाया जाना चाहिए जिस ब्याज दर पर ऋण मंजूर किया गया था और जिसमें सरकार से प्राप्त ब्याज सहायता के तत्व को भी शामिल किया गया हो) ।

(ख) ऐसे किसान निपटान के अपने हिस्से का भुगतान संशोधित अंतिम तारीख अर्थात् 30 जून 2010 तक अनिवार्य रूप से करते हों।

7. तथापि, यदि किसानों द्वारा 30 जून 2010 तक भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसे किसानों के संबंधित खातों में बकाया राशि को अनर्जक आस्ति माना जाएगा। इस तरह के खातों के आस्ति वर्गीकरण का निर्धारण अनर्जक आस्ति की मूल तिथि के संदर्भ में किया जाएगा (मानो कि उपर्युक्त वचनबद्धता के आधार पर खाते को बीच की अवधि के दौरान अर्जक के रूप में नहीं माना गया था)। खातों की श्रेणी को इस प्रकार घटाए जाने के बाद विद्यमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार अतिरिक्त प्रावधान किया जाना चाहिए ।

8. एडीडब्ल्यूडीआरएस, 2008 के ऋण राहत भाग के लिए छ: माह के विस्तार को देखते हुए, ऋणदात्री संस्थानों के शिकायत निवारण अधिकारियों द्वारा शिकायत प्राप्त करने की अंतिम तारीख भी तदनुसार 31.7.2010 तक बढ़ायी जाए।

9. दिनांक 11 सितंबर 2009 के हमारे परिपत्र के पैराग्राफ 7 में दर्शाए अनुसार ऋण राहत योजना हेतु लेखा प्रतिपादन का पालन करना जारी रहेगा।

10. उपर्युक्त परिपत्रों की अन्य सभी शर्तें प्रावधानीकरण सहित अपरिवर्तित रहेंगी ।

भवदीय

(आर.सी. षडंगी)
मुख्य महाप्रबंधक

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