"विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों और साधारण शेयरों [निक्षेपागार रसीद प्रणाली (डिपाज़िटरी रिसीट मेकेनिज्म)] की निर्गमन योजना, 1993" में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
"विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों और साधारण शेयरों [निक्षेपागार रसीद प्रणाली (डिपाज़िटरी रिसीट मेकेनिज्म)] की निर्गमन योजना, 1993" में संशोधन
भारिबैंक/2013-14/363 8 नवंबर 2013 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, "विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों और साधारण शेयरों [निक्षेपागार रसीद प्रणाली प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान, अमेरिकन निक्षेपागार रसीदें (एडीआर)/वैश्विक निक्षेपागार रसीदें (जीडीआर) जारी करने से संबंधित 5 सितंबर 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.11 के साथ पठित, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 4 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार वैश्विक निक्षेपागार रसीदों (जीडीआर)/विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों तक पहुंच के मार्फत अभी तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार से पूंजी जुटाने का मार्ग न अपना चुकी गैर सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों से अपेक्षित रहा है कि वे पहले से अथवा साथ-साथ घरेलू बाजार में भी सूचीबद्ध (लिस्टेड) हों। 2. समीक्षा करने पर अब यह निर्णय लिया गया है कि भारत में निगमित गैर सूचीबद्ध कंपनियों को प्रारंभ में दो सालों के लिए पहले से अथवा बाद में भारत में सूचीबद्ध होने की अपेक्षा के बिना, विदेश से पूंजी जुटाने के लिए निम्नलिखित शर्तों के तहत अनुमति दी जाए। उक्त निवेश निम्नलिखित शर्तों के तहत होगा: (ए) गैर सूचीबद्ध कंपनियां केवल IOSCO/FATF अनुपालित क्षेत्रों अथवा सेबी के साथ द्विपक्षीय करार किए हुए स्टाक एक्स्चेंजों पर ही विदेश में अपने को सूचीबद्ध करेंगी; (बी) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, अधिसूचित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी विनियमों के अनुसार यथा लागू सेक्टोरल कैप, प्रवेश मार्ग, न्यूनतम पूंजीकरण मानकों, कीमत निर्धारण मानकों के तहत एडीआर/जीडीआर जारी किए जाएंगे; (सी) भारत से बाहर के निवासियों को जारी किए जाने वाले ऐसे एडीआर/जीडीआर की कीमत का निर्धारण, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 1 के पैराग्राफ 6 के अंतर्गत विनिर्दिष्ट उक्त योजना के अनुसार की जाएगी (डी) एडीआर/जीडीआर जारी करने के लिए प्रस्तावित अंर्निहित ईक्विटी शेयरों की स्थानीय अभिरक्षक (कस्टोडिन) के पास रखी जाने वाली संख्या पहले से निर्धारित की जाएगी और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत गैर सूचीबद्ध कंपनी के ईक्विटी शेयरों के लिए यथा लागू कीमत निर्धारण मानकों के आधार पर उसके ईक्विटी शेयरों का अनुपात पहले से निश्चित किया जाएगा; (ई) गैर सूचीबद्ध भारतीय कंपनी डाउनस्ट्रीम निवेश के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, अधिसूचित अनुदेशों का अनुपालन करेगी; (एफ) एडीआर/जीडीआर के मार्फत निधियां जुटाने वाली गैर सूचीबद्ध कंपनी के लिए पात्रता मानदण्ड भारत सरकार द्वारा किए गए विनिर्देशानुसार होंगे; (जी) समुद्रपार (ओवरसीज़) से ली गई पूंजी का उपयोग बकाया समुद्रपारीय ऋण के भुगतान अथवा अर्जन सहित समुद्रपारीय सद्भावी परिचालनों के लिए किया जा सकता है; (एच) यदि समुद्रपार से ली गयी निधियों का उपयोग उल्लेखानुसार समुद्रपारीय परिचालनों के लिए नहीं किया जाता है, तो कंपनी 15 दिनों के भीतर उन्हें भारत प्रत्यावर्तित करेगी और उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक से मान्यता प्राप्त प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के पास ही रखा जाएगा तथा उनका उपयोग पात्र प्रयोजनों के लिए ही किया जाएगा; (आई) फेमा अधिसूचना सं. 20 की अनुसूची I के पैराग्राफ 4 के उप-पैराग्राफ (2) और (3) के अंतर्गत किए गए विनिर्देशानुसार गैर सूचीबद्ध कंपनी इस संबंध में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करेगी। 3. वित्त मत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी 27 सितंबर 2013 की प्रेस प्रकाशनी और 11 अक्तूबर 2013 की सरकारी अधिसूचना की प्रतिलिपि (क्रमश: अनुबंध 1 और 2 के रूप में) संलग्न हैं। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |