सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी – खुदरा निवेशकों को गैर प्रतिस्पर्धी बोली की सुविधा - आरबीआई - Reserve Bank of India
सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी – खुदरा निवेशकों को गैर प्रतिस्पर्धी बोली की सुविधा
आरबीआई/2017-18/99 23 नवंबर 2017 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/ महोदय, सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी – खुदरा निवेशकों को गैर प्रतिस्पर्धी बोली की सुविधा कृपया 7 दिसंबर 2001 का परिपत्र सं.आईडीएमडी/08.01.02/2001-02 तथा 28 जुलाई 2016 को जारी प्रेस प्रकाशनी देखें जिसके माध्यम से खुदरा निवेशकों को भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों तथा ट्रज़री बिलों में गैर प्रतिस्पर्धी बोली लगाने की सुविधा के लिए अनुमति दी गई थी। 2. सरकारी प्रतिभूतियों के लिए निवेशक आधार को व्यापक बनाने की रणनीति के भाग के रूप में भारत सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक कई प्रयास कर रहे हैं। सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिक नीलामी में खुदरा निवेशकों को गैर प्रतिस्पर्धी बोली लगाने का अवसर दिया जाना भी इसमें शामिल है। इस प्रयास को जारी रखते हुए 2016-17 के केंद्रीय बजट में अन्य बातों के साथ यह घोषणा की गई थी कि भारतीय रिज़र्व बैंक शेयर बाजरों के माध्यम से प्राथमिक बाज़ार में खुदरा भागीदारी हेतु सुविधा देगी। इस घोषणा के अनुरूप तथा सेबी से परामर्श लेते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अनुसूचित बैंकों तथा प्राथमिक डीलरों के अतिरिक्त; (ए) विनिर्दिष्ट शेयर बाजारों को भी एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर के रूप में कार्य करने की अनुमति होगी। (बी) ये शेयर बाज़ार नीलामी की प्रक्रिया के दौरान एकल समेकित गैर प्रतिस्पर्धी बोली प्रस्तुत करेंगे और प्राथमिक नीलामी के दौरान आबंटित प्रतिभूतियों को अपने सदस्यों/ ग्राहकों को अंतरित करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया तैयार करेंगे। (सी) एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर के रूप में कार्य करने की इच्छा रखने वाले शेयर बाज़ार आवश्यक स्वीकृतियों के लिए सेबी से प्राप्त अनापत्ति प्रमाणपत्र के साथ मुख्य महाप्रबंधक, आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क करें। 3. सरकारी प्रतिभूतियों तथा ट्रज़री बिलों की नीलामी में गैर प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा के संदर्भ में अद्यतित योजना अनुबंध में दिया गया है। भवदीया (ए. मंगलगिरी) भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों तथा ट्रज़री बिलों की नीलामी में I. स्कोप:- सरकारी प्रतिभूतियों के रीटेल होल्डिंग बढ़ाने तथा व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों तथा ट्रज़री बिलों के संदर्भ में चुनिंदा नीलामियों में खुदरा निवेशकों को गैर प्रतिस्पर्धी बोली लगाने के लिए अनुमति दी है। II. परिभाषाएं:- इस योजना के अंतर्गत दिए गए शब्दों के लिए निम्न प्रकार अर्थ लगाया जाए (ए) खुदरा निवेशक – किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, कार्पोरेट निकाय, संस्थाएं, भविष्य निधि, ट्रस्ट या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अन्य किसी संस्था (बी) एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर – एक अनुसूचित बैंक या प्राथमिक डीलर या विनिर्दिष्ट शेयर बाज़ार जिसे प्राथमिक नीलामी के गैर प्रतिस्पर्धी खंड में निवेशकों से प्राप्त बोली को एग्रगेट करते हुए एकल बोली प्रस्तुत करने के लिए अनुमति है। (सी) विनिर्दिष्ट शेयर बाज़ार – सेबी से मान्यता प्राप्त शेयर बाज़ार जिसे प्राथमिक नीलामी खंड में एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर के रूप में कार्य करने के लिए सेबी से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त है। (डी) पात्र भविष्य निधि – भविष्य निधि अधिनियम, 1925 तथा कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत कार्यरत गैर सरकारी भविष्य निधि जिनका निवेश पैटर्न भारत सरकार द्वारा निर्धारित है। III. पात्रता:- (ए) नीलामी में गैर प्रतिस्पर्धी आधार पर भाग लेने का अवसर निम्न खुदरा निवेशकों को है, जिन्होंने
छूट (ए) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और सहकारी बैंक:
(बी) राज्य सरकार, पात्र भविष्य निधि एवं अन्य:
IV. मात्रा:- खुदरा निवेशकों से गैर-प्रतिस्पर्धी बोली का आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट अनुसार अधिसूचित राशि के भीतर इस निर्गम की कुल नॉमिनल राशि के अधिकतम पांच प्रतिशत तक सीमित या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य प्रतिशत के अनुसार किया जाएगा। V. बोली की राशि:- 1. बोली लगाने के लिए न्यूनतम राशि ₹10,000 (अंकित मूल्य) होगी और इसके बाद ₹10,000 के गुणकों में होगी। 2. भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों की नीलामी में, खुदरा निवेशक प्रत्येक प्रतिभूति के लिए प्रत्येक नीलामी में अधिकतम दो करोड़ रुपए (अंकित मूल्य) के लिए एकल बोली लगा सकते हैं। VI. अन्य परिचालन दिशानिर्देश:- 1. इस योजना के तहत नीलामी में भाग लेने के लिए इच्छुक खुदरा निवेशक को किसी भी डिपॉज़िटरी के पास डेपोजिटरी खाता या एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर के पास सीएसजीएल के अधीन गिल्ट खाता बनाए रखने की आवश्यकता होगी। 2. इस योजना के तहत, एक निवेशक नीलामी में केवल एक बोली ही लगा सकते हैं। निवेशक द्वारा केवल एक बोली लगाने के आशय का एक वचनपत्र उनसे प्राप्त करते हुए उसे एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर द्वारा रिकॉर्ड हेतु रखा जाना चाहिए। बोली की प्रस्तुति 3. अपने घटकों से प्राप्त पक्का आदेश के आधार पर प्रत्येक एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर भारतीय रिज़र्व बैंक के कोर बैंकिंग समाधान (ई-कुबेर) सिस्टम पर अपने सभी घटकों की ओर से एक एकल समेकित गैर-प्रतिस्पर्धी बोली प्रस्तुत करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक के कोर बैंकिंग समाधान (ई-कुबेर) प्रणाली की सामान्य असफलता जैसी असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर अन्य परिस्थितियों में भौतिक रूप में गैर-प्रतिस्पर्धी बोली स्वीकार नहीं की जाएगी। बोली आबंटन 4. एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी खंड के तहत आबंटन प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर नीलामी में उभरने वाले उपज/ मूल्य की भारित औसत दर पर होगा। चाहे एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त कर लिया है या नहीं, प्रतिभूतियों को एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर को जारी किए जाने की तिथि पर भुगतान पर उन्हें जारी किया जाएगा। 5. यदि बोली की कुल राशि आरक्षित राशि (अधिसूचित राशि का 5%) से अधिक है, तो यथानुपात आबंटन किया जाएगा। आंशिक आवंटन के मामले में अपने ग्राहकों को उचित रूप से और पारदर्शी तरीके से प्रतिभूतियों को आवंटित करने की जिम्मेदारी एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर की होगी। 6. यदि बोली की कुल राशि आरक्षित राशि से कम है, तो कमी को प्रतिस्पर्धात्मक हिस्से में ली जाएगी। प्रतिभूति जारी करना 7. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केवल एसजीएल फॉर्म में प्रतिभूति जारी की जाएगी। एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर द्वारा गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों को प्रस्तुत करते समय अपने मुख्य एसजीएल या सीएसजीएल खाते में जमा करने हेतु अपेक्षित राशि (अंकित मूल्य) का संकेत स्पष्ट रूप से दिया जाना है। 8. मुख्य एसजीएल खाते से भौतिक रूप में डिलिवरी बाद में निवेशक के अनुरोध पर अनुमत है। 9. अपने ग्राहकों को प्रतिभूति हस्तांतरित करना एग्रीगेटर/ फीसिलिटेटर की जिम्मेदारी होगी। असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर, ग्राहकों को प्रतिभूतियों का हस्तांतरण, जारी होने की तारीख से पांच कार्य दिवसों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। ग्राहक पर कमीशन/ ब्रोकरेज लगाना 10. एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर अपने ग्राहकों को सेवा प्रदान करने के लिए उनसे ब्रोकरेज/ कमीशन/ सेवा शुल्क के रूप में प्रत्येक ₹100 के लिए छः पैसे तक की वसूली कर सकते हैं। ऐसी लागतों को बिक्री मूल्य में शामिल किया जा सकता है या ग्राहकों से अलग-अलग वसूल किया जा सकता है। 11. यदि प्रतिभूतियों को उसे जारी करने की तारीख के बाद हस्तांतरित किया जाता है, तो ग्राहक द्वारा एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर को देय कन्सिडरेशन राशि में जारी होने की तारीख से उत्पन्न उपार्जित ब्याज शामिल होगी। 12. एग्रीगेटर/ फेसिलिटेटर द्वारा अपने ग्राहक के साथ किए समझौते के अनुसार ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने के लिए प्रतिभूतियों की लागत में अर्जित ब्याज (जहां लागू हो), और ब्रोकरेज/ कमीशन/ सेवा शुल्क आदि शामिल किया जा सकता है। 13. यह ध्यान दिया जाए कि फंडिग कोस्ट जैसे कोई अन्य लागत मूल्य में न जोड़ा जाए या ग्राहक से न वसूला जाए। VIII. रिपोर्टिंग आवश्यकताएं: एग्रीगेटर्स/ फेसिलिटेटर से यह अपेक्षित है कि वे योजना के तहत परिचालन से संबंधित सूचनाएं भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंक) को बैंक द्वारा समय – समय पर निर्धारित अवधि के भीतर प्रस्तुत किया जाए। IX. पूर्वोक्त दिशानिर्देश बैंक की समीक्षा के अधीन हैं और तदनुसार, यदि आवश्यक है तो इस योजना को संशोधित किया जाएगा। |