आधार दर – संशोधित दिशानिर्देश
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आरबीआई/2013-14/211 2 सितंबर 2013 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदय/महोदया आधार दर – संशोधित दिशानिर्देश कृपया 9 अप्रैल 2010 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.डीआईआर.बीसी.88/13.03.00/2009-10 देखें जिसके द्वारा बैंकों को सूचित किया गया था कि 01 जुलाई 2010 से बैंक अपने ऋण की दरों की गणना के लिए आधार दर प्रणाली अपना लें। उक्त परिपत्र के पैरा 2(iii) के अनुसार, बैंकों को आधार दर प्रणाली को स्थिर करने के लिए कुछ समय प्रदान करने के लिए, बैंकों को आरंभ के छः महीनों अर्थात् दिसंबर 2010 के अंत तक के दौरान कभी भी बेंचमार्क और पद्धति बदलने के लिए अनुमति दी गई थी जिसे बाद में दिनांक 6 जनवरी 2011 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.सं.डीआईआर.बीसी.73/13.03.00/2010-11 द्वारा विस्तारित कर 30 जून 2011 कर दिया गया था। 2. इस संबंध में हमें कतिपय बैंकों से पत्र प्राप्त हुए हैं जिनमें विभिन्न आधारों पर आधार दर की पद्धति को परिवर्तित करने की अनुमति के लिए अनुरोध किया गया है। अतएव यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को आधार दर पद्धति की संगणना/संशोधन में लचीलापन प्रदान किया जाए ताकि वे इस संबंध में आने वाली कठिनाइयों को दूर कर सकें। तदनुसार, हम सूचित करते हैं कि: (i) जिन बैंकों ने भारत में अपना बैंकिंग परिचालन जुलाई 2010 में आधार दर प्रणाली लागू होने के बाद शुरू किया है लेकिन जिनके बैंकिंग परिचालन का 1 वर्ष इस परिपत्र की तिथि को पूरा नहीं हुआ है उन्हें भारत में अपने व्यवसाय के परिचालन शुरू होने के 1 वर्ष के भीतर अपनी आधार दर पद्धति को संशोधित करने की अनुमति होगी। (ii) जो बैंक भारत में अपना बैंकिंग व्यवसाय इस परिपत्र के जारी होने के बाद करेंगे उन्हें भारत में अपना बैंकिंग व्यवसाय शुरू करने की तिथि से 1 वर्ष के भीतर अपनी आधार दर पद्धति को संशोधित करने की अनुमति दी जाएगी। (iii) यदि, उक्त पैरा 2(i) एवं (ii) में सूचीबद्ध किए गए बैंकों समेत, कोई बैंक अपनी आधार दर प्रणाली को अंतिम रूप देने के 5 वर्ष बाद उसकी समीक्षा करना चाहे तो वह बैंक इस संबंध में अनुमति के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकता है। 3. इस संबंध में जारी अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे। भवदीय (प्रकाश चंद्र साहू) |
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