भारिबैं/2021-22/151 विवि.सं.पीआरडी.एलआरजी.79/21.04.098/2021-22 06 जनवरी, 2022 महोदय/महोदया, चलनिधि मानकों पर बेसल III फ्रेमवर्क – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), चलनिधि जोखिम निगरानी टूल्स और एलसीआर प्रकटन मानक तथा निवल स्थिर वित्तपोषण अनुपात – लघु व्यापार वाले ग्राहक कृपया निम्नलिखित निर्देशों का संदर्भ ग्रहण करें:
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09 जून 2014 को 'चलनिधि मानकों पर बेसल III फ्रेमवर्क – चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर), चलनिधि जोखिम निगरानी टूल्स और एलसीआर प्रकटीकरण मानक विषय पर जारी परिपत्र डीबीओडी.ओपीसी.ओसीसी.संख्या 120/21.04.098/2013-14;
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दिनांक 17 मई, 2018 को 'मानक – निवल स्थिर वित्तपोषण अनुपात (एनएसएफआर) - अंतिम दिशानिर्देश' विषय पर जारी परिपत्र डीबीआर.ओपीसी. ओसीसी.106/21.04.098/2017-18;
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दिनांक 31 मार्च, 2015 को 'पूंजी पर्याप्तता और चलनिधि मानकों पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - संशोधन' विषय पर जारी परिपत्र डीबीआर. संख्या.बीपी .बीसी.80/21.06.201/2014-15; और,
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12 अक्तूबर 2020 को 'नियामकीय खुदरा पोर्टफोलियो - जोखिम भारिता के लिए संशोधित सीमा' विषय पर जारी परिपत्र विवि.संख्या.बीपी.बीसी. 23/21.06.201/2020-21
2. बीसीबीएस मानक के साथ हमारे दिशानिर्देशों को बेहतर ढंग से संरेखित करने और बैंकों को चलनिधि जोखिम को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से, चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) के रखरखाव के उद्देश्य से गैर-वित्तीय लघु व्यवसाय ग्राहकों द्वारा किए गए जमा और अन्य विस्तारों के लिए सीमा को ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹7.5 करोड़ करने का निर्णय लिया गया है। 3. उपरोक्त संशोधन दिनांक 17 मई, 2018 को 'मानक – निवल स्थिर वित्तपोषण अनुपात (एनएसएफआर) - अंतिम दिशानिर्देश' विषय पर जारी परिपत्र डीबीआर.ओपीसी.ओसीसी.106/21.04.098/2017-18 में संदर्भित लघु व्यवसाय ग्राहकों से प्राप्त धन के जमा और अन्य विस्तारों पर भी लागू होता है। 4. संबंधित परिपत्रों में उपरोक्त परिवर्तनों को शामिल करने के बाद संशोधित पैराग्राफ अनुलग्नक में दिए गए हैं। प्रयोज्यता 5. यह परिपत्र क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों और भुगतान बैंकों के अतिरिक्त अन्य सभी वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होगा। 6. ये निर्देश परिपत्र की तिथि से लागू होते हैं। भवदीय (उषा जानकीरमन) मुख्य महाप्रबंधक
अनुलग्नक
क्रम संख्या |
आरबीआई का मूल संदर्भित पैराग्राफ |
आरबीआई के परिपत्र में मौजूदा टेक्स्ट |
संशोधित पाठ |
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दिनांक 09 जून, 2014 को जारी परिपत्र डीबीओडी.बीपी.बीसी.संख्या 120/21.04.098/2013-14, दिनांक 31 मार्च, 2015 के परिपत्र डीबीआर. संख्या.बीपी.बीसी.80/21.06.201/2014-15 के माध्यम से यथासंशोधित के व्याख्यात्मक नोट (v) से बीएलआर-1) |
(v) लघु व्यवसाय ग्राहक: इस श्रेणी में गैर-वित्तीय छोटे व्यवसाय ग्राहकों द्वारा किए गए धन के जमा और अन्य विस्तार शामिल हैं, जैसा कि 1 जुलाई, 2013 को बेसल III पूंजी विनियमन पर जारी आरबीआई के मास्टर परिपत्र के पैरा 5.9.3 (i) में परिभाषित किया गया है, जिन्हें खुदरा एक्सपोजर के रूप में प्रबंधित किया जाता है और आम तौर पर खुदरा खातों के लिए समान चलनिधि जोखिम विशेषताओं के रूप में माना जाता है बशर्ते कि ऐसे किसी भी छोटे व्यवसाय ग्राहक से कुल धन 5 करोड़ रुपये तक (समेकित आधार पर) जहां लागू हो) है । "एकत्रित धन" का अर्थ है सभी प्रकार के वित्तपोषण (जैसे जमा या ऋण प्रतिभूतियां या इसी तरह के व्युत्पन्न एक्सपोजर जिसके लिए प्रतिपक्ष को एक छोटा व्यवसाय ग्राहक माना जाता है) की सकल राशि (अर्थात विधिक इकाई को प्रदत्त ऋण के किसी भी रूप को नेटिंग में लिए बिना) । 1 जुलाई, 2013 को बेसल III पूंजी विनियमन पर आरबीआई के मास्टर परिपत्र के पैरा 5.9.3 (i) में परिभाषित छोटे व्यवसाय ग्राहक की परिभाषा के बावजूद, कोई बैंक इस श्रेणी में किसी जमा राशि को शामिल कर सकता है बशर्ते कि ग्राहक से जुटाई गई सकल निधीयन 5 करोड़ रुपये तक (सकल आधार पर, जहां लागू हो) की हो और इस जमा को खुदरा जमा के रूप में प्रबंधित किया जाता हो। इसका तात्पर्य यह है कि बैंक अपने आंतरिक जोखिम प्रबंधन प्रणालियों में इस प्रकार की जमाओं को लगातार समय के साथ और अन्य खुदरा जमाओं की तरह समान रूप में सम्मिलित करता है तथा ऐसे जमाओं को बड़े कॉर्पोरेट जमाओं की तरह व्यक्तिगत रूप से प्रबंधित नहीं कर रहे हैं । |
(v) लघु व्यवसाय ग्राहक: इस श्रेणी में गैर-वित्तीय छोटे व्यवसाय ग्राहकों द्वारा किए गए धन के जमा और अन्य विस्तार शामिल हैं, जैसा कि 1 जुलाई, 2015 को बेसल III पूंजी विनियमन पर जारी आरबीआई के मास्टर परिपत्र के पैरा 5.9.3 (i) में परिभाषित किया गया है, जिन्हें खुदरा एक्सपोजर के रूप में प्रबंधित किया जाता है और आम तौर पर खुदरा खातों के लिए समान चलनिधि जोखिम विशेषताओं के रूप में माना जाता है बशर्ते कि ऐसे किसी भी छोटे व्यवसाय ग्राहक से कुल धन 7.5 करोड़ रुपये तक (समेकित आधार पर) जहां लागू हो) है । "एकत्रित धन" का अर्थ है सभी प्रकार के वित्तपोषण (जैसे जमा या ऋण प्रतिभूतियां या इसी तरह के व्युत्पन्न एक्सपोजर जिसके लिए प्रतिपक्ष को एक छोटा व्यवसाय ग्राहक माना जाता है) की सकल राशि (अर्थात विधिक इकाई को प्रदत्त ऋण के किसी भी रूप को नेटिंग में लिए बिना) । 1 जुलाई, 2015 को बेसल III पूंजी विनियमन पर आरबीआई के मास्टर परिपत्र के पैरा 5.9.3 (i) में परिभाषित छोटे व्यवसाय ग्राहक की परिभाषा के बावजूद, कोई बैंक इस श्रेणी में किसी जमा राशि को शामिल कर सकता है बशर्ते कि ग्राहक से जुटाई गई सकल निधीयन 7.5 करोड़ रुपये तक (सकल आधार पर, जहां लागू हो) की हो और इस जमा को खुदरा जमा के रूप में प्रबंधित किया जाता हो। इसका तात्पर्य यह है कि बैंक अपने आंतरिक जोखिम प्रबंधन प्रणालियों में इस प्रकार की जमाओं को लगातार समय के साथ और अन्य खुदरा जमाओं की तरह समान रूप में सम्मिलित करता है तथा ऐसे जमाओं को बड़े कॉर्पोरेट जमाओं की तरह व्यक्तिगत रूप से प्रबंधित नहीं कर रहे हैं । |
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निवल स्थिर वित्तपोषण अनुपात पर 17 मई 2018 के हमारे परिपत्र डीबीआर बीपी.बीसी.संख्या 106/21.04.098/2017-18 को जारी परिपत्र का पैराग्राफ 7.4 |
90% एएसएफ कारक प्राप्त करने वाली देयताओं में "कम स्थिर" (जैसा कि 9 जून, 2014 को एलसीआर पर जारी परिपत्र में बीएलआर-1 के 'व्याख्यात्मक नोट्स' में परिभाषित किया गया है) 09 जून 2014 को जारी और 31 मार्च, 2015 को यथासंशोधित परिपत्र के बीआरएल -1 के व्याख्यात्मक नोट्स में दी गई परिभाषा के अनुसार खुदरा एवं छोटे व्यवसायों के ग्राहकों द्वारा गैर-परिपक्वता (मांग) की एक वर्ष से कम अवधि की अवशिष्ट जमा और/या सावधि जमा शामिल हैं। |
90% एएसएफ कारक प्राप्त करने वाली देयताओं में "कम स्थिर" (जैसा कि 9 जून, 2014 को एलसीआर पर जारी परिपत्र में बीएलआर-1 के 'व्याख्यात्मक नोट्स' में परिभाषित किया गया है) 09 जून 2014 को जारी और 31 मार्च, 2015 को परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.80 /21.06.201/2014-15 तथा 06 जनवरी 2022 को जारी परिपत्र विवि.सं.पीआरडी.एलआरजी.79/21.04.098/2021-22 के माध्यम से यथासंशोधित परिपत्र के बीआरएल -1 के व्याख्यात्मक नोट्स में दी गई परिभाषा के अनुसार खुदरा एवं छोटे व्यवसायों के ग्राहकों द्वारा गैर-परिपक्वता (मांग) की एक वर्ष से कम अवधि की अवशिष्ट जमा और/या सावधि जमा शामिल हैं। |
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