आयात के सीमाशुल्क घटक के लिए वायदा संविदा बुक करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
आयात के सीमाशुल्क घटक के लिए वायदा संविदा बुक करना
आरबीआइ/2006-07/207 दिसंबर 13, 2006 सेवा में महोदया/महोदय, आयात के सीमाशुल्क घटक के लिए वायदा संविदा बुक करना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 25/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित और समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) नियमावली, 2000 की अनुसूची-1 [अ.1(ञ)] तथा अप्रैल 29, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.98 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार, भारत में निवासी कोई व्यक्ति उसमें दी गई अन्य शर्तों के अधीन, विदेशी मुद्रा में अंकित परंतु भारतीय रुपये में निपटाए गए लेनदेनों के संबंध में विनिमय जोखिम की जोखिम रक्षा के लिए भारत स्थित किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I के साथ वायदा संविदा कर सकता है। 2. वर्ष 2006-07 की वार्षिक नीति की मध्यावधि समीक्षा (पैरा 103) में की गई घोषणा के अनुसार प्रक्रिया और उदार और लचीला बनाने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, आयात पर देय सीमाशुल्क के मामले में आयातकों के आर्थिक (मुद्रा सूचीकृत) जोखिम की रक्षा के लिए वायदा संविदा प्रदान कर सकते हैं। तदनुसार, अब से आगे आयातकों को आयात के सीमा शुल्क घटक के लिए वायदा संविदा बुक करने की अनुमति होगी। ये संविदाएं परिपक्वता तक रखी जाएंगी तथा परिपक्वता तारीख पर संविदा को रद्द करके नकदी निपटान किया जाएगा। एक बार रद्द किए गए वायदा संविदा पुनः बुकिंग के लिए पात्र नहीं हैं। तथापि, सीमा शुल्क की दर में परिवर्तन के मामले में, सरकारी अधिसूचनाओं की वजह से, आयातक वायदा संविदाओं को परिपक्वता से पहले रद्द और/अथवा पुनःबुक कर सकते हैं। 3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदाएं) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 4. प्राधिकृत व्यापारी - श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |