स्पष्टीकरण – विदेशी कंपनियों (एंटिटीज) द्वारा भारत में शाखा कार्यालयों/संपर्क कार्यालयों की स्थापना – अधिकारों का प्रत्यायोजन - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्पष्टीकरण – विदेशी कंपनियों (एंटिटीज) द्वारा भारत में शाखा कार्यालयों/संपर्क कार्यालयों की स्थापना – अधिकारों का प्रत्यायोजन
भारिबैंक/2011-12/421 1 मार्च 2012 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – विदेशी कंपनियों (एंटिटीज) द्वारा भारत में शाखा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का ध्यान 30 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 24 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके जरिये विदेशी कंपनियों के भारतीय शाखा कार्यालयों/संपर्क कार्यालयों द्वारा वार्षिक गतिविधि (कार्य) प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने, संपर्क कार्यालयों के भारत में स्थापित रहने की वैधता अवधि बढ़ाने तथा शाखा कार्यालयों/संपर्क कार्यालयों को बंद करने के अधिकार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को प्रत्यायोजित किए गए हैं । 2. उल्लिखित ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र में ऐसे संपर्क कार्यालयों/ शाखा कार्यालयों की परिसंपत्तियों को अन्य को अंतरित करने की अनुमति देने के अधिकार प्रत्यायोजित नहीं किए गए हैं । इसलिए यह स्पष्ट किया जाता है कि संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय की परिसंपत्तियों को उसकी सहायक कंपनियों या किसी अन्य संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय या किसी अन्य कंपनी को अंतरित करने की अनुमति भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय के विशिष्ट अनुमोदन पर ही दी जाती है । 3. 30 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 24 की सभी अन्य शर्तें यथावत बनी रहेंगी । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |