विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा / संपर्क कार्यालयों की स्थापना-अधिकारों का प्रत्यायोजन - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा / संपर्क कार्यालयों की स्थापना-अधिकारों का प्रत्यायोजन
भारिबैंक/2009-2010/279 30 दिसंबर 2009 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक महोदया/महोदयविदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा / संपर्क कार्यालयों की स्थापना-अधिकारों का प्रत्यायोजन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 22/2000-आरबी अर्थ्ता विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना) विनियमावली 2000 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार भारत से बाहर रहनेवाले व्यक्ति को भारत में शाखा/संपर्क कार्यालय खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन अपेक्षित है । वर्ष 2008-09 के वार्षिक नीति विवरण (पैराग्राफ143) की मध्यावधि समीक्षा में यथा घोषित , प्राधिकृत व्यापारियों को भारत में विदेशी संस्थाओं की वैधता अवधि-विस्तार, शाखा/ संपर्क कार्यालयों के समापन संबंधी अधिकारों का प्रत्यायोजन और भारत में विदेशी संस्थाओं के शाखा/संपर्क कार्यालयों के लिए क्रियाविधिक दिशा-निर्देशों संबंधी ड्राफ्ट परिपत्र जनता के विचार जानने के उद्देश्य से रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाला गया था। जनता से प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर 30 दिसंबर, 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.23 द्वारा अंतिम दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। 2. उपर्युक्त परिपत्र में यथा निर्दिष्ट,विदेशी संस्था (बीमा और बैंकिंग में कार्यरत संस्था से इतर ) द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय (एलओ) खोलने के लिए किसी पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के माध्यम से फार्म एफएनसी में आवेदनपत्र देना चाहिए । पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को ऐसे आवेदनपत्र/आवेदनपत्रों को संबंधित दस्तावेजों और अपने अभिमतों/सिफारिशों के साथ प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई - 400001 को प्रेषित करना अपेक्षित है । पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक को अपने अभिमतों/सिफारिशों के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदनपत्र प्रेषित करने से पहले आवेदक की पृष्ठभूमि, कार्यकलाप का स्वरुप तथा स्थान, निधियों के स्त्रोत, आदि के संबंध में यथोचित भलीभाँति जाँच-पड़ताल कर लेना चाहिए और अपने ग्राहक को जानिये मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। 3. शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय (एलओ) खोलने के लिए बैंकों और बीमा कंपनियों से आवेदनपत्र पहले की तरह सीधे क्रमश: भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग और बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) द्वारा प्राप्त किये जाते रहेंगे तथा उनकी जांच की जाती रहेगी। विशेष आर्थिक क्षेत्र में विनिर्माण तथा सेवा गतिविधियों के लिए शाखा/इकाई स्थापित करने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन अपेक्षित नहीं है बशर्ते कि 16 जनवरी,2004 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.58 के साथ पठित 3 अक्तूबर 2003 की अधिसूचना सं. 102/2003-आरबी. विनिर्दिष्ट शर्तो का अनुपालन किया जाये। 4. एक समान ढ़ांचा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, मौजूदा शाखा/संपर्क कार्यालयों के साथ साथ कार्यालयों को एक विशिष्ट पहचान संख्या आबंटित की जाएगी । शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय (एलओ) /पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ किये जाने वाले पत्राचार में इस विशिष्ट पहचान संख्या का उल्लेख करना अपेक्षित है। 01 फरवरी 2010 से अधिकारों के प्रत्यायोजन के परिणामस्वरूप, मौजूदा शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय(एलओ) को भी अपने अनुरोधों/मामलों के लिए अनिवार्यतया उनके पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के जरिये भारतीय रिज़र्व बैंक को संपर्क करना होगा। 5. शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालयों(एलओ) की मौजूदा क्रियाविधि के उदारीकरण के लिए पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को अधिकारों के निम्नवत् प्रत्यायोजन का निर्णय लिया गया है : i) वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना वर्तमान में,शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय(एलओ) को अपने लेखा-परीक्षकों से यह प्रमाणित करते हुए एक वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्रीय कार्यालय/क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत करना अपेक्षित हैं कि शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय(एलओ) द्वारा केवल वहीं कार्यकलाप किये हैं जो कि भारतीय रिज़र्व बैंक यथा अनुमोदित है । 01 फरवरी 2010 से , 31मार्च को समाप्त स्थिति के अनुसार वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की एक प्रति 30 अप्रैल या उससे पहले पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को और एक प्रति आय कर महानिदेशालय (अंतरराष्ट्रीय कराधान), ड्रम शेप बिल्डिंग, आइ.पी.इस्टेट,नयी दिल्ली 110002 को निम्नवत् प्रस्तुत किया जाना चाहिए ; (क) एकमात्र शाखा कार्यालय (बीओ)/संपर्क कार्यालय एलओ) के मामले में-संबंधित शाखा कार्यालय(बीओ)/संपर्क कार्यालय (एलओ) द्वारा । (ख) बहुविध शाखा कार्यालयों (बीओ)/संपर्क कार्यालयों(एलओ) के मामले में, नोडल कार्यालय द्वारा सभी कार्यालयों के संबंध में-भारत में सभी कार्यालयों के लिए एक संयुक्त वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र शाखा कार्यालयों (बीओ)/संपर्क कार्यालयों(एलओ) के नोडल ऑफिस द्वारा पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की छानबीन करेगा और सुनिश्चित करेगा कि शाखा कार्यालय(बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ) के कार्यकलाप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुमोदन की शर्तों के अनुरूप हैं। लेखा-परीक्षकों अथवा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा कोई विसंगति पाये जाने पर संपर्क कार्यालयों के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और शाखा कार्यालयों के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय को वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि और उन पर उनके अभिमत के साथ पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा तुरंत रिपोर्ट किया जाना चाहिए। ii) संपर्क कार्यालयों की वैधता अवधि बढ़ाना यदि आवेदक ने निम्नलिखित शर्तों का अनुपालन किया हो और आवेदनपत्र अन्यथा सही हो, पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक 01 फरवरी 2010 से ,भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदत्त मूल अनुमोदन/समय-विस्तार समाप्त होने की तारीख से संपर्क कार्यालय/कार्यालयों की वैधता आगे 3 वर्षों की अवधि के लिए बढ़ा सकते हैं।
इस प्रकार का समय विस्तार , जितनी जल्दी हो सके, अनुरोध प्राप्त होने से एक महीने के भीतर प्रदान कर दिया जाए और मूल अनुमोदन की संदर्भ संख्या तथा विशिष्ट पहचान संख्या (यूएनआई) का उल्लेख करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई - 400001 को सूचित कर दिया जाए । यह ध्यान रखा जाए कि बैंकों के संपर्क कार्यालय बीमा व्यवसाय में कार्यरत संस्थाओं के मामले में, आवेदनपत्र क्रमश: बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक और बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) को उनके द्वारा यथा निर्धारित सीधे ही प्रस्तुत किये जाएं । इसके अतिरिक्त,गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और जो भवन निर्माण और विकास क्षेत्र (मूलभूत संरचना विकास को छोड़कर)में कार्यरत संस्थाओं के संपर्क कार्यालयों को समय विस्तार नहीं दिया जाएगा । मौजूदा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के अनुसार, वैधता अवधि की समाप्ति पर,इन संस्थाओं को एक तो बंद करना होगा अथवा संपूर्ण संयुक्त उद्यम (जेवी)/पूर्णत: स्वाधिकृत सहायक संस्था (डब्ल्यूओएस) में परिवर्तित करना होगा । iii) शाखा/संपर्क कार्यालय बंद करना शाखा/संपर्क कार्यालय बंद करने संबंधी कार्य,जो अब तक रिज़र्व बैंक (शाखा कार्यालयों के मामले में केंद्रीय कार्यालय और संपर्क कार्यालय के मामले में क्षेत्रीय कार्यालय) द्वारा किया जा रहा था , 01 फरवरी 2010 से पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक द्वारा किया जाएगा । समापन औपचारिकताएं 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 13/2000-आरबी के विनियम 6 (i) अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का अंतरण)विनियमावली, 2000 के अनुसार होंगी । उपर्युक्त विनियम की अपेक्षानुसार, पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक को निम्नलिखित दस्तावेज प्राप्त करना अपेक्षित है : क) भारत में कार्यालय स्थापित करने के लिए सेक्टोरल नियंत्रक/नियंत्रकों से रिज़र्व बैंक के अनुमति पत्र की प्रति, ख) निम्नलिखित को दर्शाते हुए लेखा-परीक्षक का प्रमाणपत्र-i) आवेदक की आस्तियों तथा देयताओं के विवरण द्वारा समर्थित प्रेषणयोग्य राशि की गणना तथा परिसंपत्तियों के निपटान का तरीका ii) इस बात की पुष्टि कि कार्यालय के कर्मचारियों को उपदान की बकाया राशि और अन्य लाभों, आदि सहित भारत में सभी देयताएं एक तो पूर्णत: चुका दी गयी हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान कर लिया गया है; और iii) इस बात की पुष्टि कि भारत से बाहर के स्त्रोतों से प्राप्त होने वाली कोई आगम राशि भारत में प्रत्यावर्तित होने के लिए नही बची है ।ग) धनप्रेषण/धनप्रेषणो के लिए आय-कर प्राधिकरण से अनापत्ति / कर बेबाकी प्रमाणपत्र । घ) आवेदक से इस बात की पुष्टि कि भारत में किसी न्यायालय में कोई मुकदमा लंबित नहीं है और धनप्रेषण के लिए कोई कानूनी अड़चन नहीं है । ङ) भारत में कार्यालय समापन के मामले में ,रजिस्ट्रार कंपनीज से इस आशय का एक प्रमाणपत्र कि कंपनी अधिनियम 1956 के प्रावधानों का अनुपालन किया गया है । उपर्युक्त के अतिरिक्त,अनुमोदन देते समय रिज़र्व बैंक अथवा किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य दस्तावेज प्राप्त किये जाएं और सत्यापित किये जाएं। पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि शाखा/संपर्क कार्यालयों ने मौजूदा शाखा/संपर्क कार्यालयों से संबंधित पिछले वर्षों की वार्षिक कार्यकलाप रिपोर्ट रिज़र्व बैंक में फाइल की थी ।शाखा कार्यालयों के मामले में रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय और संपर्क कार्यालय के मामले में संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से इसकी पुष्टि की जाए ।जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है,दस्तावेज प्राप्त हो जाने पर, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक, वास्तविकता से संतुष्ट होने के बाद, अपने पास चल रहे उनके खाते बंद करते हुए कार्यालय बंद करने और आगम राशि विदेशी संस्था को प्रेषित करने की अनुमति दें । पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक द्वारा ऐसे शाखा/संपर्क कार्यालय का समापन की सूचना यह उल्लेख करते हुए रिज़र्व बैंक को देना चाहिए कि (संपर्क कार्यालयों के लिए संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय और शाखा कार्यालयों के लिए केंद्रीय कार्यालय ) शाखा/संपर्क कार्यालय द्वारा प्रस्तुत सभी आवश्यक दस्तावेजों की छान-बीन कर ली गयी है और वे सही पाये गये हैं । यदि दस्तावेज सही नहीं पाये जाएं तो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक द्वारा अपने अभिमत के साथ आवेदनपत्र आवश्यक कार्रवाई हेतु रिज़र्व बैंक को प्रेषित किये जाएं । 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक द्वारा, शाखा/संपर्क कार्यालय परिचालन संबधी सभी दस्तावेज अपने आंतरिक लेखा-परीक्षकों/रिज़र्व बैंक के निरीक्षण अधिकारियों द्वारा सत्यापन हेतु, अपने रखे जाएं । 7. प्रत्यायोजित अधिकारों के दायरे में न आनेवाले मामले पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक के जरिये रिज़र्व बैंक को प्रेषित किया जाना जारी रहेगा । 8. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.13/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का प्रेषण) विनियमावली, 2000 और 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.22/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध ( भारत में शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थान की स्थापना)विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं । 9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - 1 बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी ग्राहकों को अवगत करा दें । 10. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये है और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है । भवदीय (डी मिश्र ) अनुबंध [ सितंबर 2009 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं. को संलग्न वार्षिक कार्यकलाप प्रमाणपत्र का फॉर्मेट] (लेखों को अंतिम रुप देने की तारीख से एक महीने के भीतर प्रस्तुत किया जाना है ) जो भी संबंधित हो, को यह प्रमाणित किया जाता है और इसकी पुष्टि की जाती है कि मेसर्स------------की शाखा/संपर्क कार्यालय/कार्यालयों/पैन सं.-----------ने -------से----------तक की अवधि के दौरान केवल ऐसे ही कार्यकलाप किये हैं जो रिज़र्व बैंक द्वारा उनके दिनांक------------के अनुमोदन पत्र/पत्रों सं.-- के जरिये विशिष्ट रुप से अनुमत किये गये हैं और उपर्युक्त में उल्लिखित पत्र/पत्रों में विनिर्दिष्ट शर्तों का पालन किया है । -------------------------- (सनदी लेखाकार का नाम) स्थान: दिनांक: |