स्पष्टीकरण – विदेशी संस्थाओं (एंटिटीज़) द्वारा भारत में परियोजना कार्यालयों की स्थापना – सामान्य अनुमति - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्पष्टीकरण – विदेशी संस्थाओं (एंटिटीज़) द्वारा भारत में परियोजना कार्यालयों की स्थापना – सामान्य अनुमति
भारिबैंक/2011-12/392 09 फरवरी 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, स्पष्टीकरण – विदेशी संस्थाओं (एंटिटीज़) द्वारा भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (प्रा.व्या. श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचनासं.फेमा 22/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा अथवा कार्यालय अथवा कारोबार की अन्य जगह स्थापित करना) विनियमावली, 2000 के विनियम 4 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान अथवा चीन का नागरिक होने के कारण,रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बगैर भारत में कोई शाखा अथवा कोई संपर्क कार्यालय अथवा कोई परियोजना कार्यालय अथवा किसी भी नाम से व्यापार के किसी अन्य स्थान की स्थापना नहीं करेगा । प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 15 नवंबर 2003 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.37 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसमें किसी विदेशी संस्था (एंटिटी) को भारत में कतिपय शर्तों के अधीन, परियोजना कार्यालय स्थापित करने के लिए समान्य अनुमति से संबंधित दिशानिर्देश दिये गये थे । 2. यह स्पष्ट किया जाता है कि 15 नवंबर 2003 के दिशानिर्देशों के अनुसार दी गयी सामान्य अनुमति, पूर्वोक्त, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 22/2000-आरबी के विनियम 4 के उपबंधों तथा उसमें विनिर्दिष्ट शर्तों के पालन के अधीन है। 3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |