प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण की सह-उत्पत्ति (को-ओरिजिनेशन) - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण की सह-उत्पत्ति (को-ओरिजिनेशन)
आरबीआई/2018-19/49 21 सितंबर 2018 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/ महोदय/महोदया, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ऋण की सह-उत्पत्ति (को-ओरिजिनेशन) कृपया 01 अगस्त 2018 के तीसरे द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2018-19 की विकासात्मक एवं विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य के पैरा 3 का संदर्भ लें जिसमें प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां - जमाराशि स्वीकार न करने वाली- सिस्टमिक रूप से महत्वपूर्ण (एनबीएफसी-एनडी-एसआई) के मध्य सह-उत्पत्ति मॉडेल की शुरुआत की गई है। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं:- 2. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की आस्तियों के सृजन हेतु, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को छोड़कर), एनबीएफसी-एनडी-एसआई (इसके उपरांत एनबीएफसी के रूप में माने जाने वाले) के साथ ऋण की सह-उत्पत्ति कर सकते हैं। सह-उत्पत्ति व्यवस्था सुविधा स्तर पर दोनों उधारदाताओं द्वारा ऋण के संयुक्त योगदान तक सीमित होनी चाहिए। इसमें अपने संबंधित व्यावसायिक उद्देश्यों के उचित संरेखण को सुनिश्चित करने के लिए पारस्परिक समझौते के अनुसार, बैंकों और एनबीएफसी के बीच अन्य बातों के साथ-साथ अनुलग्नक 1 में दर्शाए गए आवश्यक विशेषताओं को कवर करते हुए रिस्क और रिवार्ड को भी साझा करना शामिल होना चाहिए। 3. बैंक, सह-उत्पत्ति व्यवस्था में शामिल होने पर अपने क्रेडिट के हिस्से के संबंध में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की स्थिति का दावा कर सकते हैं। हालांकि, बैंक की बहियों में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र से संबंधित आस्तियाँ हमेशा एनबीएफसी के पास दायित्व रहित ही होनी चाहिए। इसके अलावा, सह-उत्पत्ति ढांचे के तहत विदेशी बैंकों द्वारा प्रदान किए गए ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की आस्तियों के रूप में अर्हता प्राप्त करने वाले ऋणों तक ही सीमित होंगे। 4. संबंधित ब्याज दरों और जोखिम साझा करने के अनुपात के आधार पर, स्थायी दर ऋण के मामले में अंतिम उधारकर्ता को एक मिश्रित ब्याज दर की पेशकश की जानी चाहिए। अस्थायी ब्याज दरों के परिदृश्य में, संबंधित ऋण योगदान के अनुपात में बेंचमार्क ब्याज दरों का भारित औसत पेश किया जाना चाहिए। क्रेडिट के अपने हिस्से के लिए बैंक द्वारा प्रभारित ब्याज दर, अग्रिमों के संबंध में ब्याज दरों पर लागू दिशानिर्देशों के अधीन होगी। इसके अलावा, एनबीएफसी-एमएफआई जिन्हें एनबीएफसी-एनडी-एसआई के रूप में वर्गीकृत किया गया है, को भी सह-उत्प्रेरित ऋण के प्रति उनके योगदान के संबंध में "क्वालिफ़ाइंग असेट" के अंतर्गत कवर ऋणों के लिए क्रेडिट का मूल्य और अन्य लागू दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक होगा। इसकी परिकल्पना की गई है कि बैंकों से कम लागत वाले निधियों और एनबीएफसी की कम लागत वाले परिचालनों की सुविधा को मिश्रित दर / भारित औसत दर के माध्यम से अंतिम लाभार्थी तक पहुंचाया जाए। इस संबंध में, बैंक / एनबीएफस, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जब कभी भी मांगा जाए, ब्याज दर और अन्य प्रभारों, जोखिम साझाकरण व्यवस्था आदि के विवरण सहित सभी ऋण संबंधी जानकारी प्रदान करेंगे। 5. सह-उत्पत्ति व्यवस्था में शामिल होने के दौरान, बैंक / एनबीएफसी द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ वित्तीय सेवाओं के आउटसोर्सिंग पर मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है। तदनुसार, हालांकि एनबीएफसी से बैंक और एनबीएफसी के बीच पारस्परिक रूप से सहमत मानकों के अनुसार ऋण सोर्स करने की अपेक्षा है, बैंक एनबीएफसी से अपने हिस्से के स्वीकृत क्रेडिट घटक को आउटसोर्स नहीं करेगा। 6. शिकायत निवारण के संबंध में, उधारकर्ता द्वारा एनबीएफसी / बैंक के विरुद्ध दर्ज किसी भी शिकायत को बैंक / एनबीएफसी के साथ भी साझा किया जाएगा, यदि शिकायत का निपटान 30 दिनों के भीतर नहीं किया गया तथा उधारकर्ता के पास संबंधित बैंकिंग लोकपाल / एनबीएफसी हेतु लोकपाल के पास जाने का विकल्प भी होगा। 7. बैंक / एनबीएफसी, एनबीएफसी / बैंक के साथ सह-उत्पत्ति समझौते करने हेतु बोर्ड अनुमोदित नीति तैयार करेंगे। सह-उत्पत्ति समझौते के तहत ऋण, आंतरिक दिशानिर्देशों, समझौते की शर्तों और मौजूदा विनियामक आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बैंक / एनबीएफसी के आंतरिक लेखा परीक्षकों द्वारा आवधिक सत्यापन के अधीन होंगे। भवदीय, (गौतम प्रसाद बोरा) अनुलग्नक : यथोक्त बैंकों और एनबीएफसी-एनडी-एसआई के बीच सह-उत्पत्ति मॉडल की आवश्यक विशेषताएं i) रिस्क और रिवार्ड साझा करना: प्रत्यक्ष एक्सपोजर के माध्यम से क्रेडिट जोखिम का न्यूनतम 20% परिपक्वता तक एनबीएफसी की बहियों में और शेष बैंक की बहियों में होगा। एनबीएफसी, बैंक को वचन (अंडरटेकिंग) देगी कि ऋण राशि के प्रति उसका योगदान, सह-उत्पत्ति बैंक या साझेदार बैंक की किसी अन्य समूह कंपनी से उधार नहीं लिया गया है। ii) ब्याज दर: एनबीएफसी के पास, अपने एक्सपोजर के हिस्से का मूल्य तय करने की स्वतंत्रता होगी, जबकि बैंक अपने संबंधित जोखिम आवश्यकता / उधारकर्ता का आंकलन और आरबीआई द्वारा समय-समय पर जारी विनियमनों के अनुसार उपयुक्त तरीके से अपने एक्सपोजर के हिस्से का मूल्य निर्धारण करेंगे। एकल मिश्रित / भारित औसत दर पर पहुंचने के लिए एक संकेतक उदाहरण अनुलग्नक 2 में प्रस्तुत है। हालांकि, उधारकर्ता से ब्याज की मिश्रित / भारित औसत दर चार्ज करने के बावजूद, ब्याज की चुकौती / वसूली, बैंक और एनबीएफसी के बीच उनके क्रेडिट और ब्याज के हिस्से के अनुपात में साझा की जाएगी। iii) अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी): सह-उत्पत्ति उधारदाता, बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर) / गैर-बैंकिंग विनियमन विभाग (डीएनबीआर) द्वारा निर्धारित केवाईसी / एएमएल दिशानिर्देशों का पालन करेंगे और डीबीआर द्वारा जारी केवाईसी पर मास्टर निदेश के पैरा 14 द्वारा मार्गदर्शित हो सकते हैं। iv) ऋण स्वीकृति: एनबीएफसी, प्रस्तावों को प्रासंगिक पाए जाने पर संयुक्त ऋण के लिए बैंक को सिफारिश करेगा। उधारदाता, आवेदक उधारकर्ताओं के जोखिम और आवश्यकताओं का स्वतंत्र आंकलन करने के हकदार होंगे। ऋण समझौता प्रकृति में त्रिपक्षीय होगा, जिसमें बैंक और एनबीएफसी ग्राहक के साथ ऋण समझौते के लिए उधारदाताओं के रूप में एक पार्टियां होंगी। v) साधारण खाता: बैंक और एनबीएफसी फ्लोट के उपयोग के लिए धन धारण किए बिना, ऋण के संवितरण तथा उधारकर्ताओं से उचित ऋण चुकौती के लिए उधारदाताओं के संबंधित ऋण योगदानों को पूल करने के लिए एक निलंब प्रकार का साधारण खाता खोल सकते हैं। ऋण शेष के संबंध में, एनबीएफसी / बैंक, व्यक्तिगत उधारकर्ता के खातों को बनाए रखेंगे तथा बैंक / एनबीएफसी के साथ आवश्यक जानकारी के उचित साझाकरण के माध्यम से उन्हें ग्राहक को एक एकीकृत विवरण सृजित करने और साझा करने में भी सक्षम होना चाहिए। vi) निगरानी और वसूली: दोनों उधारदाता पारस्परिक रूप से सहमत होते हुए ऋण पर दैन-दिन निगरानी और ऋण की वसूली के लिए ढांचा तैयार करेंगे। vii) प्रतिभूति और प्रभार का सृजन : उधारदाता पारस्परिक रूप से स्वीकार्य शर्तों के अनुसार प्रतिभूति और प्रभार के सृजन की व्यवस्था करेंगे। viii) प्रावधान / रिपोर्टिंग आवश्यकता: प्रत्येक उधारदाता उनपर लागू विनियामक दिशानिर्देशों के अनुसार एनपीए के रूप में खाते की घोषणा सहित अपनी प्रावधान आवश्यकताओं का पालन स्वतंत्र रूप से करेंगे। प्रत्येक उधारदाता उधार देने के अपने हिस्से के लिए क्रमशः लागू कानून और विनियमों के तहत, साख सूचना कंपनियों को रिपोर्टिंग सहित अपने संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। ix) ऋण सीमाओं में परिवर्तन / असाइनमेंट: किसी भी उधारदाता द्वारा ऋण का कोई भी असाइनमेंट केवल दोनों उधारदाताओं की आपसी सहमति के साथ ही किया जा सकता है। इसके अलावा, सह-उत्पत्ति सुविधा की ऋण सीमा में कोई भी परिवर्तन केवल दोनों उधारदाताओं की आपसी सहमति के साथ ही किया जा सकता है। x) शिकायत निवारण: सह-उत्पत्ति मॉडल के माध्यम से पेश किए गए उत्पादों तथा अपने उत्पादों के बीच के अंतर के बारे में अंतिम उधारकर्ता को बताना एनबीएफसी की ज़िम्मेदारी होगी। फ्रंट-एंड लैंडर मुख्य रूप से उधारकर्ता को आवश्यक ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। हालांकि, उधारकर्ता द्वारा एनबीएफसी या/और बैंक के विरुद्ध दर्ज किसी भी शिकायत को बैंक / एनबीएफसी के साथ भी साझा किया जाएगा, यदि शिकायत का निपटान 30 दिनों के भीतर नहीं किया जाता है तथा उधारकर्ता के पास संबंधित बैंकिंग लोकपाल / एनबीएफसी हेतु लोकपाल के समक्ष इसे उठाने का विकल्प भी होगा। xi) व्यवसाय निरंतरता योजना: बैंक और एनबीएफसी दोनों सह-उत्पत्ति समझौते के तहत ऋण चुकाने तक उधारकर्ताओं को निर्बाध सेवा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापार निरंतरता योजना तैयार करेंगे। मिश्रित / भारित औसत ब्याज दर की गणना के लिए संकेतात्मक उदाहरण परिदृश्य 1: स्थायी ब्याज दरें ग्राहकों को ऋण के पूरे जीवनकाल में स्थायी ब्याज दर की पेशकश की गई है।
परिदृश्य 2: फ़्लोटिंग ब्याज दरें
अन्य प्रभार कोई अन्य लागू प्रभार, सह-उत्पत्ति उधारदाताओं के बीच पारस्परिक रूप से निर्णय लिया जाएगा और ग्राहक को सूचित किया जाएगा। नोट: उपरोक्त उदाहरण केवल संकेतात्मक प्रकृति के हैं और अनिवार्य नहीं है। हालांकि, उधारदाताओं द्वारा मिश्रित ब्याज दर पर पहुंचने के लिए कोई भी पद्धति नियोजित की जा सकती है, परंतु उसका मुख्य उद्देश्य बैंकों से कम लागत वाले निधियों और एनबीएफसी की कम लागत वाले परिचालनों की सुविधा को अंतिम लाभार्थी तक पहुंचाना ही होगा। |