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आर-विवरणियों का समेकन – FETERS के तहत रिपोर्टिंग

भारिबैंक/2015-16/317
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.50

11 फरवरी 2016

विदेशी मुद्रा का कारोबार करने वाले सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

आर-विवरणियों का समेकन – FETERS के तहत रिपोर्टिंग

प्राधिकृत व्यापारियों (श्रेणी –I) का ध्यान विदेशी मुद्रा लेनदेन इलेक्ट्रोनिक रिपोर्टिंग सिस्टम (FETERS) के अंतर्गत रिपोर्टिंग के लिए आर-रिटर्न के समेकन हेतु दिशानिर्देश से संबन्धित 29 फरवरी 2012 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.84, माल और सेवाओं के निर्यात संबंधी सूचनाओं का बैंकों द्वारा प्रस्तुतीकरण सुगम बनाने हेतु EDPMS प्लैटफ़ार्म के जरिये निर्यात संबंधी सूचनाओं हेतु निर्यात डाटा प्रोसेसिंग एवं निगरानी प्रणाली (EDPMS) विषयक 4 फरवरी 2014 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.101, और FETERS के तहत निर्यात दस्तावेजों की पावती और अनुसूची 3 से 6 (निर्यात आगम राशि की वसूली) हेतु ENC (एक्सपोर्ट बिल निगोसिएटेड / वसूली हेतु प्रेषित) में अलग से रिपोर्टिंग को समाप्त करने वाले 28 जुलाई 2014 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 15 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा वेब आधारित डाटा प्रस्तुतीकरण

2. डाटा प्रस्तुतीकरण में सुरक्षा-स्तर को बढ़ाने और डाटा की गुणवत्ता में और सुधार लाने के लिए अप्रैल 2016 के प्रथम पखवाड़े (अर्थात उन लेनदेनों की रिपोर्टिंग जो 1 अप्रैल 2016 से आवश्यक होंगे) से FETERS के अंतर्गत डेटा प्रस्तुतीकरण के लिए जारी दिशानिर्देशों में निम्नलिखित संशोधन प्रभावी होंगे :

  1. ई-मेल आधारित प्रस्तुतीकरण वेब-आधारित डेटा प्रस्तुतीकरण द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। हालांकि, प्रस्तुतीकरण की अवधि, फ़ाइल ले-आउट, डीलीमिटर, गुणवत्ता जांच और BOP6.txt और QE.txt फाइलों में अंतर-संबंध के साथ-साथ उनकी नामावली परिपाटी में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

  2. डेटा प्रस्तुतीकरण (29 फरवरी 2012 के उल्लिखित परिपत्र में दिए गए संपर्क और अन्य ब्योरे) हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए लॉगिन – नेम और पासवर्ड से वेब पोर्टल https://bop.rbi.org.in पर कार्य करने के लिए बैंकों के नोडल कार्यालय इनका प्रयोग करें।

  3. इस पोर्टल से बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए वलिडेटर-टेम्पलेट को अपने कम्प्यूटर पर डाउनलोड कर सकते हैं और पोर्टल पर डेटा प्रस्तुतीकरण से पूर्व यदि उसमें कोई त्रुटि हो तो उसे दूर करने के लिए अपनी FETERS डाटा फ़ाइल पर ऑफलाइन में जांच कर सकते हैं । जावा-आधारित और एक्सेल आधारित दोनों प्रकार के वलिडेटर उपलब्ध कराए गए हैं : बड़ी फाइलों के लिए जावा आधारित वैलिडेटर का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। यह पोर्टल संबन्धित मास्टर फाइलें (अर्थात देश, मुद्रा, एडी कोड़, प्रयोजन कोड मास्टर्स) भी उपलब्ध कराता है।

  4. वैलिडेट की गई फाइलें अपलोड करने पर बैंकों को पावती प्राप्त होगी। डाउनलोड सुविधा के साथ विगत 2 पखवाड़ों के दौरान प्रस्तुत की गई डेटा फाइलों को देखा जा सकता है। यदि आवश्यक हो तो लेनदेन से संबन्धित पहले प्रस्तुत प्रयोजन कोड को संशोधित किया जा सकता है जिसे उक्त प्रणाली के मार्फत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रमाणीकृत किया जाएगा।

  5. बैंक अपने बैंक के लिए एडी कोड में वृद्धि और (बी) एडी श्रेणी को अद्यतन कर सकते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रमाणित किए जाने पर जो एडी मास्टर डेटाबेस में शामिल हो जाएगी ।

  6. FETERS में ENC.txt और SCH3to6.txt के समाप्त होने पर नेपाल और भूटान से भिन्न क्षेत्रों के लिए वसूली हेतु भेजे गए निर्यात बिल (माल के संबंध में) के लिए प्रयोजन कोड P0105 और नेपाल और भूटान से भिन्न NPD निर्यात बिल की वसूली (बिल का पूरा मूल्य रिपोर्ट किया जाए) हेतु P0107 निष्क्रिय हो गए हैं और इसलिए समाप्त कर दिये गए हैं।

फ़ॉर्म ए2 में संशोधन

3. इसके अलावा FETERS के अंतर्गत उदारीकृत विप्रेषण योजना से संबन्धित लेनदेनों की रिपोर्टिंग को सटीक बनाने के लिए और ORFS प्रणाली में रिपोर्ट करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि प्रयोजन कोड S0023 के अंतर्गत सामूहिक रूप से रिपोर्ट करने के बजाय उदारीकृत विप्रेषण योजना विषयक लेनदेन संबन्धित FETERS पर प्रयोजन कोड (अर्थात पर्यटन/यात्रा, चिकित्सा, अचल संपत्ति की खरीद, विदेश में अध्ययन, निकट संबंधियों की देखभाल, आदि को रिपोर्ट किया जाएगा।) के अंतर्गत रिपोर्ट किए जाएँ। इसलिए प्रयोजन कोड S0023 निम्नवत संशोधित किया जाएगा ताकि 'विदेश में किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोलना' रिपोर्ट किया जा सके।

प्रयोजन कोड 29 फरवरी 2012 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.84 तथा फॉर्म ए2 के अनुसार विवरण संशोधित विवरण
एस 0023 व्यक्तियों के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत किए गए विप्रेषण विदेश में किसी बैंक में विदेशी करेंसी खाता खोलना

i. ORFS के तहत LRS संबंधी वर्तमान मासिक रिपोर्टिंग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से प्राधिकृत व्यापारी बैंक केवल निम्नलिखित कोड का प्रयोग करें ।

क्र. उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत विभिन्न मदें यदि LRS के तहत लेनदेन की पहचान की गई है तो उससे संबन्धित FETERS प्रयोजन कोड
1 विदेश में किसी बैंक में विदेशी करेंसी खाता खोलना एस0023
2 अचल संपत्ति की खरीद एस0005
3 इक्विटि, डेट, संयुक्त उद्यम, पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, ESOP, IDR आदि में निवेश एस0001 एस0002 एस0003 एस0004 एस0021 एस0022
4 उपहार एस1302
5 दान एस1303
6 यात्रा (कारोबारी यात्रा, तीर्थ यात्रा, चिकित्सा उपचार हेतु यात्रा, शिक्षा, रोजगार, व्यक्तिगत) एस0301 एस0303 एस0304 एस0305 एस0306
7 नजदीकी रिश्तेदारों की देखभाल एस1301
8 चिकित्सा उपचार एस1108
9 विदेश में शिक्षा एस1107
10 उत्प्रवास एस1307
11 "अन्य" जैसे कि नजदीकी अनिवासी भारतीय रिश्तेदारों को ऋण और चिकित्सा बीमा एस0011 एस0603

ii. प्राधिकृत व्यापारी बैंक यह सुनिश्चित करें कि FETERS प्लैटफ़ार्म पर उनके द्वारा LRS संबंधी प्रस्तुत की गई जानकारी ORFS प्लैटफ़ार्म पर उनके द्वारा प्रस्तुत जानकारी के साथ मेल खाती हो।

iii. तदनुसार फॉर्म-ए2 को भी संशोधित (अनुलग्नक के अनुसार) किया गया है जिसमें LRS लेनदेनों के लिए संबन्धित ब्लॉक में एक चेक-बॉक्स दिया गया है, जो निम्नप्रकार है:

क्र. लेनदेन यदि उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत है
(हाँ /नहीं)
प्रयोजन कोड विवरण
       
    अनुलग्नक के अनुसार

iv. आगे यह भी, कि LRS योजना के तहत 2,50,000 अमेरिकी डॉलर राशि तक की विदेशी मुद्रा की खरीद संबंधी घोषणापत्र-सह आवेदन" को फॉर्म ए2 में विलीन कर दिया गया है ताकि ग्राहकों को रिपोर्टिंग हेतु भरे जाने वाले फॉर्मों की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।

विप्रेषक द्वारा फ़ॉर्म ए2 का ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण

4. विविध विप्रेषणों को सुविधाजनक बनाने और भुगतान लेनदेनों से संबन्धित कागजी कार्य को कम करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि इंटरनेट बैंकिंग सुविधा ग्राहकों को प्रदान करने वाले प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपने ग्राहकों को फॉर्म ए2 ऑनलाइन प्रस्तुत करने की सुविधा दें। इसके अलावा यदि आवश्यक हो तो विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 के अंतर्गत निर्मित मौजूदा नियमों अथवा विनियमों के अंतर्गत अनुमत विप्रेषणों हेतु दस्तावेजों को अपलोड करने / प्रस्तुत करने की भी सुविधा दे सकते हैं। जिन विप्रेषणों के लिए प्रलेखीकरण (अर्थात उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत कतिपय लेनदेन) आवश्यक न हों, उन्हें केवल उक्त फॉर्म ए2 के आधार पर दर्ज किया जा सकता है। प्रारम्भ में, ऑनलाइन आधार पर विप्रेषण करने के लिए लेनदेन की सीमा व्यक्तियों के लिए 25000 अमेरिकी डॉलर (समतुल्य राशि) और कारपोरेट हेतु 100000 अमेरिकी डॉलर (अथवा उसके समतुल्य) उपलब्ध कराया जाएगा। यह नोट किया जाए कि ये विप्रेषण फेमा की धारा 10 (5) में यथा निर्धारित प्राधिकृत व्यापारियों की संतुष्टि के अधीन किए जा सकते हैं। तदनुसार प्राधिकृत बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ग्राहकों के साथ संपर्क में आने वाले अपने कार्मिकों के लिए उचित दिशानिर्देश तैयार करें ताकि सांविधिक /विनियामक उपबंधों की सीमा में ग्राहकों के साथ लेनदेन को सुविचाजनक बनाया जा सके। यह भी नोट किया जाए कि प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अब तक की भांति FETERS के अंतर्गत लेनदेन की रिपोर्टिंग की जाती रहेगी ।

5. प्रौद्योगिकी और / अथवा परिचालन प्रणाली में प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा आवश्यक रूप से परिवर्तन तुरंत किए जाएंगे और इस संबंध में अनुपालन रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाएगा।

6. इस परिपत्र में दिये गए परिवर्तन तत्काल प्रभाव से किन्तु 1 अप्रैल 2016 तक आवश्यक प्रभावी हों।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत करा दें।

8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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