बाह्य वाणिज्यिक उधार और एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी का ईक्विटी में परिवर्तन - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार और एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी का ईक्विटी में परिवर्तन
भारिबैंक/2013-14/449 16 जनवरी 2014 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय बाह्य वाणिज्यिक उधार और एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी का ईक्विटी में परिवर्तन प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान उल्लिखित विषय पर 1 अक्तूबर 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.15 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. उक्त परिपत्र के अनुसार उसमें निहित शर्तों के अंतर्गत और जारी किए जाने वाले ईक्विटी शेयरों के मूल्य से संबंधित, समय-समय पर, रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय कंपनी बाह्य वाणिज्यिक उधार के बदले ईक्विटी शेयर जारी कर सकती है। रुपया राशि, जिसके बदले ईक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे, कैसे आकलित की जाएगी, यह जानने के लिए रिजर्व बैंक को कुछ संदर्भ प्राप्त हुये हैं; दूसरे शब्दों में, निवासी एंटीटी द्वारा अनिवासी एंटीटी से/को विदेशी मुद्रा में उधार ली गई अथवा देय राशि के लिए किस विनिमय दर का प्रयोग किया जाएगा। 3॰ यह स्पष्ट किया जाता है कि जहां मांगी गयी देनदारी, जो कंपनी द्वारा परिवर्तित की जानी है, विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत है जैसे बाह्य वाणिज्यिक उधार, पूंजीगत माल के आयात, आदि, वहां ऐसे परिवर्तन के समय संबंधित पार्टियों के बीच हुए करार की तारीख को प्रचलित विनिमय दर लागू करना उचित होगा। यदि उधारकर्ता कंपनी बाह्य वाणिज्यिक उधारदाता की परस्पर सहमति (mutual agreement) से, उल्लेखानुसार आकलित दर से कम दर पर रुपया राशि हेतु ईक्विटी शेयर जारी करने की इच्छुक हो तो रिजर्व बैंक को कोई आपत्ति नहीं होगी। यह नोट किया जाए कि जारी किए जानेवाले ईक्विटी शेयरों का उचित मूल्य केवल परिवर्तन की तारीख के अनुसार आकलित किया जाए। 4. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उक्त पैराग्राफ 3 में यथा उल्लिखित विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत देनदारी के लिए समतुल्य भारतीय रुपए की गणना का सिद्धांत, आवश्यक परिवर्तनों सहित, ऐसे सभी मामलों में लागू होगा जहाँ भारतीय कंपनी द्वारा एकमुश्त शुल्क/रॉयल्टी, आदि जैसे भुगतान/जैसी देनदारी ईक्विटी शेयरों में परिवर्तित करने अथवा संबंधित विनियमावली में विनिर्दिष्ट शर्तों के अंतर्गत किसी अनिवासी को अन्य प्रतिभूतियों के रूप में जारी करने की अनुमति है। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय (रुद्र नारायण कर) |