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स्वयं सहायता समूह (एसएसजी) के सदस्यों के संबंध में ऋण सूचना रिपोर्टिंग

भारिबैं/2015-16/291
बैंविवि.सीआईडी.बीसी.सं.73/20.16.56/2015-16

14 जनवरी 2016

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)

महोदय / महोदया,

स्वयं सहायता समूह (एसएसजी) के सदस्यों के संबंध में ऋण सूचना रिपोर्टिंग

कृपया 27 जून 2014 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.सं.सीआईडी.बीसी.127/20.16.056/2013-14 के पैरा (V) में निहित अनुदेश देखें जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे स्वयं सहायता समूह से संबंधित सदस्य स्तर के आंकड़े इस परिपत्र की तारीख से छ: महीनों के भीतर रिपोर्ट करें।

2. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेशों के कार्यान्वयन की समीक्षा करने पर यह पता चला कि बैंकों ने इस संदर्भ में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं की है। बैंकों ने इन निदेशों के कार्यान्वयन में आने वाली अनेक चुनौतियों पर ध्यान दिलाते हुए उनके दायरे को और अधिक स्पष्ट करने के लिए अनुरोध किया है। इसके फलस्वरूप भारतीय रिजर्व बैंक ने कार्यान्वयन की समस्याओं का अध्ययन करने तथा उनका निवारण करने के लिए एक कार्यदल का गठन किया जिसमें नाबार्ड, बैंकों तथा ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) से सदस्य शामिल किए गए।

3. कार्यदल ने वित्तीय समावेशन, बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थाओं (एमएफआई) तथा एसएचजी ऋण संविभागों की ऋण गुणवत्ता के लिए एसएचजी सदस्यों की ऋण-सूचना रिपोर्टिंग के महत्व को अधोरेखित करते हुए जल्द से जल्द एसएचजी सदस्यों के लिए ऋण सूचना रिपोर्टिंग प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया। फिर भी, कार्यदल ने भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशों के कार्यान्वयन के लिए चरणबद्ध विधि अपनाने का सुझाव दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आंकड़ों की गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जा रहा है। इस परिपत्र में कार्यान्वयन के पहले दो चरणों की अपेक्षाओं का उल्लेख किया गया है।

II. ऋण सूचना संकलन और रिपोर्टिंग का ढांचा

4. बैंकों द्वारा एसएचजी सदस्यों से संबंधित संकलित की जानेवाली तथा सीआईसी को रिपोर्ट की जाने वाली ऋण सूचना का ढांचा निम्नानुसार है।

1 एसएचजी सदस्य को दिए जाने वाले अथवा उसके द्वारा लिए जाने वाले ऋण की राशि रु 30000 से अधिक होने की स्थिति में बैंक द्वारा एसएचजी सदस्यों से संकलित की जानेवाली सूचना सारणी 1
2 एसएचजी सदस्य को दिए जाने वाले अथवा उसके द्वारा लिए जानेवाले ऋण की राशि रु 30000 तक होने की स्थिति में बैंक द्वारा एसएचजी सदस्यों से संकलित की जानेवाली सूचना सारणी 2
3 बैंकों द्वारा सभी व्यक्तिगत एसएचजी सदस्यों पर सीआईसी को रिपोर्ट की जानेवाली सूचना सारणी 3
4 बैंकों द्वारा एसएचजी का नया बचत बैंक खाता खोलते समय प्रत्येक एसएचजी सदस्य के संबंध में संकलित की जानेवाली सूचना सारणी 4

5. डाटा सारणियां अनुबंध में दी गई हैं। जैसा कि ऊपर दर्शाया गया है, बैंकों को सभी एसएचजी सदस्यों से सारणी 1 और 2 में सूचना संकलित करनी चाहिए तथा सारणी 3 में निर्धारित किए गए अनुसार सीआईसी को रिपोर्ट करना चाहिए। सारणियां निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं :

(i) कुछ सूचना (सारणी 1 और 2 की मद संख्या 17) एसएचजी सदस्य पहले जिस एसएचजी समूह के साथ संबद्ध थे, उनके एक्सपोजर सहित उनके वर्तमान एक्सपोजरों से संबंधित है। इसका उद्देश्य एसएचजी सदस्यों से संबंधित सुविज्ञ ऋण निर्णय लेने मे बैंकों की सहायता करना है। एसएचजी सदस्य द्वारा दी गई प्रमुख जानकारी के आधार पर बैंकों द्वारा यह सूचना सीधे सीआईसी से संकलित की जा सकती है। अतः बैंकों को सारणी 3 के अनुसार सीआईसी को रिपोर्ट किए जाने वाले आंकड़ों में यह सूचना शामिल करने की आवश्यकता नहीं है।

(ii) सूचना अपेक्षाओं का कार्यान्वयन दो चरणों मे किया जाएगा। पहला चरण 1 जुलाई 2016 से लागू होगा तथा 1 वर्ष के लिए प्रभावी होगा। संकलित की जाने वाली ऋण संबंधी सूचना की गंभीरता 1 जुलाई 2017 से लागू होने वाले दूसरे चरण में बढ़ेगी। दूसरे चरण में लागू होने वाले परिवर्धन / संशोधन सारणी 1 और 2 के अंतिम स्तंभ में दर्शाए गए हैं।

(iii) एसएचजी सदस्यों के संबंध मे ऋण सूचना का संकलन तथा रिपोर्टिंग,केवल उन्हीं एसएचजी के सदस्यों तक सीमित रहेगा, जिन्होंने रु.1,00,000 से अधिक ऋण लिया है। तथापि एसएचजी के सभी सदस्यों से यह अपेक्षित है कि जब एसएचजी ऋण प्रस्ताव देता है, तब समूह ऋण की राशि पर ध्यान दिए बिना ऋणेतर सूचना एसएचजी समूह की माध्यम से बैंक को रिपोर्ट करनी चाहिए।

(iv) उपर्युक्त (iii) के अधीन, एसएचजी ऋण में रु. 30000 या उससे अधिक हिस्सेदारी वाले एसएचजी सदस्यों से संबंधित ऋण सूचना अपेक्षाएं रु. 30000 तक की ऋण हिस्सेदारी वाले सदस्यों से अधिक विस्तृत है। चरण II में कुछ और ब्योरे शामिल किए जाने पर यह अंतर कम हो जाएगा, हालांकि पूरी तरह समाप्त नहीं होगा।

(v) व्यक्तिगत उधारकर्ताओं की पहचान तथा बैंकों, विनियामक और सरकारी एजंसियों को एसएचजी सदस्यों के विभिन्न उप उप-खंडों में ऋण प्रवाह के मूल्यांकन के प्रयोजन, दोनों ऋणेतर सूचना अपेक्षाओं को और इन उप खंड़ों की सामाजिक आर्थिक रूपरेखा को ध्यान में रखकर समुचित ऋण प्रसार कार्यनीतियां बनाने के परिप्रेक्ष्य ऋणेतर सूचना अपेक्षाओं को डिजाइन किया गया है। बैंकों को सीआईसी को इस प्रकार सूचना भेजनी चाहिए जिससे सीआईसी विशिष्ट एसएचजी से जुड़े हुए सभी सदस्यों की तथा विशिष्ट व्यक्ति किस एसएचजी से जुड़ा है, इसकी पहचान कर सके।

6. बैंक अपनी सॉफ्टवेअर प्रणाली में आवश्यक परिवर्तनों सहित आवश्यक प्रणालियां तथा पद्धतियां बनाएंगे ताकि वे 1 जुलाई 2016 (चरण I) तथा 1 जुलाई 2017 (चरण II) से एसएचजी सदस्यों से संबंधित सूचना का संकलन तथा सीआईसी को अपेक्षित सूचना रिपोर्टिंग कर सकें।

7. बैंकों के पास एसएचजी सदस्य स्तर के आंकड़ों का संकलन तथा रिपोर्टिंग स्वयं करने या किसी संस्था को आउटसोर्स करने का विकल्प है। तथापि बैंकों को 3 नवंबर 2006 के हमारे परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.40/21.04.158/2006-07 में निर्धारित तथा समय-समय पर यथा संशोधित आउटसोर्सिंग संबंधी सभी सामान्य अनुदेशों का, जिस सीमा तक लागू हैं, अनुपालन करना चाहिए और आउटसोर्स एजंसियों द्वारा सीआईसी को प्रस्तुत किए आकड़ों की सत्यता के लिए उत्तरदायी होना जारी रखना चाहिए। बैंकों को उन संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए आकड़ों की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए उचित नियंत्रण प्रणाली बनानी चाहिए, जिन्हें कार्य आउटसोर्स किया गया है।

8. बैंकों को, यदि अब तक शुरू नहीं की गई हो तो, एसएचजी सेगमेंट के एनपीए स्तर की लगातार निगरानी अविलंब शुरू करनी चाहिए। साथ ही, यदि एसएचजी सेगमेंट का सकल एनपीए 10% से अधिक हो या बैंक के सकल एनपीए के 5 प्रतिशतता बिंदु से अधिक हो तो रु. 20000/- की निम्न प्रारम्भिक सीमा से अधिक ऋण लेनेवाले एसएचजी सदस्यों से संबंधित विस्तृत सूचना संकलित करनी चाहिए।

9. बैंकों द्वारा उपर्युक्त अनुदेशों का पालन न करने पर प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र (पीएसएल) के लक्ष्य के प्रयोजन से मान्यता के लिए पात्र ऋण पोर्टफोलियो में से अननुपालित एसएचजी ऋण खातों को निकाल दिया जाएगा। प्रत्येक चरण के अंत में उस चरण के लिए लागू अपेक्षित ऋण और ऋणेतर सूचना के अनुपालन की समीक्षा के आधार पर पीएसएल लाभ के लिए पात्र ऋणों के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

III. अन्य परिचालनात्मक अनुदेश

10. इस स्तर पर केवल एसएचजी सदस्यों द्वारा बैंकों तथा एमएफआई से ली गई ऋण सुविधा के ब्यौरे संकलित करना अपेक्षित है। अतः एसएचजी सदस्यों के बीच उनकी अपनी बचत से आपसी ऋण लेन-देन को शामिल नहीं किया जाएगा। तथापि, एसएचजी सदस्यों की समग्र ऋणग्रस्तता जानने के लिए एसएचजी में उनका आपसी ऋण एक्सपोजर जानना आवश्यक है। एसएचजी सदस्यों से संबंधित सूचना की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु निरंतर प्रयास के भाग के रूप में चरण II के स्थिरीकरण के बाद उनके आपसी ऋण की सूचना की आवश्यकता की समीक्षा की जाएगी।

11. एसएचजी को बैंक द्वारा दी गयी ऋण राशि में से एसएचजी सदस्यों द्वारा लिए गए व्यक्तिगत ऋण निष्पादन की निगरानी और रिपोर्टिंग की महत्वपूर्ण चुनौतियों को देखते हुए इन ऋणों की चुकौती तथा वसूली की निगरानी के लिए भी ऋण रिपोर्टिंग प्रणाली शुरु करने का विचार नहीं है। तथापि, दूसरा चरण शुरू होने के बाद इस पर भी ध्यान दिया जाएगा।

12. संभावित एसएचजी सदस्य ऋणकर्ताओं का समुचित सूचना आधार बनाने के उद्देश्य से तथा जब एसएचजी क्रेडिट लिंक्ड होंगे, तब एसएचजी सदस्यों संबंधी केवाईसी अनुपालन सूचना के संकलन और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया में तेजी लाने की दृष्टि से, बैंकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि जब एसएचजी बचत खाता खोलने के लिए बैंकों से संपर्क करते हैं तब एसएचजी सदस्यों कोछोटे खाते/ बुनियादी बचत बैंक जमाखाते खोलने का प्रस्ताव दें। ऐसे मामलों में, जहां एसएचजी सदस्य इस प्रकार के खाते खोलने के लिए सहमत हो जाते हैं, सारणी 4 में सूचना संकलित की जाए तथा रिकॉर्ड में रखी जाए ताकि जब एसएचजी ऋण के लिए बैंक से संपर्क करे, तब इसका उपयोग किया जा सके। तथापि एसएचजी का बचत खाता खोलने के लिए इसे पूर्व-शर्त नहीं बनाया जाना चाहिए।

13. इस परिपत्र में विनिर्दिष्ट किसी भी डेटा -अपेक्षाओं को एसएचजी को ऋण देने के प्रयोजन से पूर्व-शर्त नहीं बनाया जाना चाहिए, हालांकि इन अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए बैंकों को गंभीर प्रयास करने चाहिए।

14. बैंकों को, जहां लागू हो, एसएचजी के लिए नाबार्ड की डिजिटायजेशन योजना सहित बैंक ऋण से अपने सदस्यों को दिए गए ऋण का लिखित रिकार्ड रखने के लिए एसएचजी को प्रोत्साहित करना चाहिए, तथा इस संदर्भ में उचित प्रोत्साहन देने पर विचार करना चाहिए।

15. बैंकों को ऐसे स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों / एसएचजी से ऋण सुविधा के लिए प्राप्त आवेदनों पर कार्रवाई करने के लिए उपयुक्त नीति बनानी होगी, जिन पर सीआईसी द्वारा चूक रिपोर्ट की गई है। बैंकों को इसके लिए उचित सावधानी बरतनी होगी कि केवल ऐसी चूकों के कारण एसएचजी/व्यक्तिगत सदस्यों को ऋण अस्वीकृत नहीं किया जाए बल्कि बैंकों को, सदस्यों के ऋण इतिहास का स्वयं उचित रूप से मूल्यांकन करना चाहिए और उनके ऋण आवेदनों पर विचार करते समय उनके कार्यकलापों की आर्थिक व्यवहार्यता और प्रस्तावित ऋण चुकाने की समूह की क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए।

16. क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (विनियमन) अधिनियम 2005 तथा बैंकों और एमएफआई द्वारा क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्टिंग पर भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान अनुदेशों के अनुसार व्यक्तिगत एसएचजी सदस्यों से संबंधित ऋण सूचना, का संकलन, रिपोर्टिंग और प्रसारण किया जाएगा।

IV. सीआईसी को विनिर्दिष्ट अनुदेश

17. ऊपर उल्लिखित समय सारणी के अनुसार उपर्युक्त अनुदेशों को लागू करने के लिए सीआईसी अपनी प्रणाली और पद्धति में आवश्यक परिवर्तन करेंगे।

18. क्रेडिट प्लानिंग और अनुसंधान के प्रयोजन से सरकारी एजंसियों, नाबार्ड, बैंकों और एमएफआई के साथ एसएचजी या एसएचजी सदस्यों से संबंधित ऋण सूचना को सकल आधार पर साझा करने के लिए सीआईसी अपने निदेशक मंडल की अनुमति से उचित नीतियां बनाएंगे। अपने निदेशक मंडल द्वारा स्वीकृत नीतियों के अनुसार सीआईसी भी अन्य पार्टियों के साथ अनुसंधान के प्रयोजन से ऐसी सकल सूचना साझा कर सकती हैं, जो एसएचजी सेगमेंट के लिए लाभकारी है। सकल सूचना इसप्रकार साझा की जाएगी, जो देश के संबंधित कानूनों के अनुसार पक्षपातपूर्ण न हो तथा व्यक्तिगत एसएचजी समूहों तथा एसएचजी सदस्यों की गोपनीयता का सम्मान रखती हो।

भवदीय,

(राजिंदर कुमार)
मुख्य महाप्रबंधक

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