RBI/2013-14/666 डीबीओडी.सं.सीआईडी.बीसी.127/20.16.056/2013-14 27 जून 2014 सभी वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) अखिल भारतीय अधिसूचित वित्तीय संस्थाएं एवं सभी साख सूचना कंपनियां महोदय/महोदया साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत किए जाने हेतु डेटा फार्मेट और अन्य विनियामक उपाय भारतीय रिज़र्व बैंक ने साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत किए जाने हेतु डेटा फॉर्मेट की अनुशंसा करने के लिए एक समिति (अध्यक्षः श्री आदित्य पुरी) का गठन किया था। समिति की रिपोर्ट 22 मार्च 2014 को रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर रखी गई थी तथा समिति की सिफारिशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। समिति की रिपोर्ट की एक प्रति संदर्भ के लिए संलग्न है। (/en/web/rbi/-/publications/reports/report-of-the-committee-to-recommend-data-format-for-furnishing-of-credit-information-to-credit-information-companies-763) 2. समिति की सिफारिशों और प्राप्त टिप्पणियों /सुझावों पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित सिफारिशों को, जहां अपेक्षित हो, सुधारों के साथ कार्यान्वित किया जाए :
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ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) के प्रति जागरूकता पैदा करना: ऋण आवेदकों की बेहतर स्क्रीनिंग और ऋण मूल्यांकन में सीआईआर के प्रयोग से मिलने वाले फायदे बैंकों / वित्तीय संस्थाओं को मिल सकें इसके मद्देनजर साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को भारतीय बैंक संघ (आईबीए) या माइक्रो वित्तीय संस्था नेटवर्क (एमएफआईएन) के साथ मिलकर, जैसा भी मामला हो, बैंकों / वित्तीय संस्थाओं के लिए नियमित रूप से कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए. (सिफारिश 8.7)
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ऋण देने संबंधी सभी निर्णयों में तथा खाता खोलने के लिए ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) / साख ब्यूरो का उपयोग: बैंकों / वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे अपनी ऋण मूल्यांकन प्रक्रिया / ऋण नीतियों में एक या एक से अधिक साख सूचना कंपनियों से सीआईआर मंगवाए जाने संबंधी उचित प्रावधानों को शामिल करें ताकि सिस्टम में उपलब्ध सूचना के आधार पर ऋण सबंधी निर्णय लिए जा सकें। इसी परिप्रेक्ष्य में, चूंकि साख सूचना कंपनियों के पास वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के डेटा पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं, अत: शुरुआती तौर पर बैंक / वित्तीय संस्थाएं खुदरा उधारकर्ताओं / उपभोक्ता उधारकर्ता घटक के लिए ऋण देने संबंधी सभी निर्णयों में तथा खाता खोलने हेतु अपने बोर्ड के अनुमोदन से साख ब्यूरो के प्रयोग की नीति को लागू कर सकते हैं। [सिफारिश 8.9]
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सभी साख सूचना कंपनियों के डेटाबेस को वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के डेटा से परिपूर्ण बनाया जाना : फिलहाल, साख सूचना कंपनियों के डेटाबेस में वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के डेटा पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं है। साख सूचना कंपनियां अपने डेटाबेस में वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के संबंध में पर्याप्त रूप से डेटा शामिल कर सके इसके लिए एक कार्ययोजना लागू किए जाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को सूचित किया जाता है कि वे तत्काल प्रभाव से अपने कार्पोरेट उधारकर्ताओं के संबंध में डेटा की रिर्पोटिंग साख सूचना कंपनियों को समयबद्ध रूप से करें तथा साख सूचना कंपनियां छः महीनों के भीतर अपने डेटाबेस को वाणिज्यिक डेटा रिकार्ड से परिपूर्ण बनाएं। अत:, छह महीने की अवधि के बाद, बैंक/वित्तीय संस्थाओं को भी बोर्ड अनुमोदित नीति के तहत वाणिज्यिक/कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के संबंध में साख सूचना कंपनियों के पास उपलब्ध डेटा का उपयोग शुरू कर देना चाहिए। [सिफारिश 8.8]
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डेटा फार्मेट का मानकीकरण : बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाए जाने की दृष्टि से, बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत किए जाने संबंधी फार्मेटों को मानकीकृत किए जाने का निर्णय लिया गया है। अनुबंध-I में दिए गए डेटा फार्मेट को उपभोक्ता और वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के लिए डेटा फार्मेट के मानकीकरण हेतु आधार रूप में लिया जाना चाहिए। अनुबंध- II में दिए गए डेटा फार्मेट को माइक्रो वित्तीय संस्था (एमएफआई) खंड के लिए डेटा फार्मेट के मानकीकरण हेतु आधार रूप में लिया जाना चाहिए। बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत करने के लिए इन फार्मेटों का प्रयोग तत्काल प्रभाव से शुरू कर देना चाहिए। ये डेटा फार्मेट अविशिष्ट रिपोर्टिंग फार्मेट होंगे और अब से ये “समरूप क्रेडिट रिपोर्टिंग फार्मेट” के नाम से जाने जाएंगे। विभिन्न खंड यथा- उपभोक्ता, वाणिज्यिक और एमएफआई को कोष्ठकों में उचित प्रकार से चिह्नित किया जाएगा, उदाहरण के लिए – “समरूप क्रेडिट रिपोर्टिंग फार्मेट (उपभोक्ता)”। इनको बैंकों/वित्तीय संस्थाओं तथा साख सूचना कंपनियों द्वारा एक साथ अपनाया जाना चाहिए। [सिफारिश 8.10 (क)]
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तकनीकी कार्यदल : डेटा फार्मेट की निरंतर रूप से समीक्षा करने तथा जरूरी होने पर संशोधन किए जाने की प्रणाली स्थापित करने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, (सरकारी क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र बैंक और विदेशी बैंक प्रत्येक से एक सदस्य), शहरी सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), अखिल भारतीय अधिसूचित वित्तीय संस्थाओं, साख सूचना कंपनियों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आवास वित्त कंपनियों, भारतीय बैंक संघ तथा माइक्रो वित्तीय संस्था नेटवर्क के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक तकनीकी कार्य दल का गठन करने का निर्णय लिया गया है। कार्यदल डेटा फार्मेट की आवधिक रूप से, जैसे कि वर्ष में एक बार, समीक्षा करेगा और इसमें संशोधन हेतु सुझाव देगा। यह विभिन्न डेटा फार्मेट यथा- उपभोक्ता, वाणिज्यिक और एमएफआई के सभी डेटा फील्डस के लिए नियमों का निर्धारण करेगा। दल द्वारा डेटा फार्मेट को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसको भारतीय रिजर्व बैंक को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। तकनीकी कार्य दल की सिफारिशों को कार्यान्वित करने के लिए सिबिल कार्यदल के संयोजक के रूप में कार्य करेगा और सिफारिशों को परिचालनीय बनाने में मुख्य भूमिका निभाएगा। शुरुआती तौर पर कार्यदल प्राथमिकता के आधार पर वाणिज्यिक उधारकर्ता घटक के डेटा फार्मेट में बदलाव पर विचार करेगा, जहां सदस्य बैंकों / वित्तीय संस्थाओं के बीच संघीय / बहुविध बैंकिंग व्यवस्थाओं के तहत सूचना का आदान-प्रदान किए जाने हेतु अपेक्षित डेटा संगृहीत किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है और इससे उपर्युक्त पैरा 2 (iii) में दिए गए अनुदेशों के कार्यान्वयन में भी मदद मिलेगी। कार्यदल अनुबंध III में दिए गए अतिरिक्त फ़ील्ड्स भी शामिल करेगा। [सिफारिशें 8.10 (ख) और 8.11]
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अस्वीकृत डेटा में सुधार किया जाना : साख सूचना कंपनियों को डेटा स्वीकृति में शामिल आधार और मान्यकरण प्रक्रियाओं को बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के साथ साझा करना चाहिए ताकि डेटा अस्वीकृति के अवसरों को न्यूनतम किया जा सके। अस्वीकृति के कारणों को मानकीकृत किए जाने और बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के बीच परिचालित किए जाने की आवश्यकता है। अस्वीकृति रिपोर्टें आसान और सरल बनाई जानी चाहिए ताकि इनका प्रयोग रिपोर्टिंग और डेटा स्तरीय मुद्दों के समाधान हेतु किया जा सके। बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे अस्वीकृति रिपोर्ट प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर अस्वीकृत डेटा में सुधार करें और इसे साख सूचना कंपनियों को पुन: प्रस्तुत (अपलोड) करें। [सिफारिश 8.15]
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डेटा गुणवत्ता सूचकांक: एक सामान्य डेटा गुणवत्ता सूचकांक बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को उनके डेटा में कमियों को पहचानने और समय के साथ-साथ उनके निष्पादन में सुधार लाने में सहायक होगा। इसके अलावा, वे अपने समकक्षों की तुलना में अपने निष्पादन के स्तर को मापने और अपनी सापेक्ष स्थिति का निर्धारण करने में भी समर्थ हो सकेंगे। रिपोर्ट के अनुबंध 6 में बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा के मूल्यांकन हेतु विभिन्न मापदंडों को शामिल करते हुए डेटा गुणवत्ता सूचकांक का प्रारूप, जिस पर सभी साख सूचना कंपनियों ने सहमति दी है, शामिल किया गया है। साख सूचना कंपनियां और बैंक/वित्तीय संस्थाएं अपने डेटा प्रस्तुतीकरण की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए इस डेटा गुणवत्ता सूचकांक को अपना सकते हैं और डेटा गुणवत्ता में सुधार के प्रयास करते हुए छह महीने की अवधि के भीतर डेटा अस्वीकृति में कमी ला सकते हैं। [सिफारिश 8.16]
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क्रेडिट स्कोर : क्रेडिट स्कोर को एक आसान और सुसंगत तरीके से समझने और उसकी व्याख्या करने के लिए, यह सूचित किया जाता है कि सिबिल की 300 से 900 अंकीय क्रेडिट स्कोर कैलिब्रेटिंग प्रणाली को अन्य साख सूचना कंपनियां भी छह माह की अवधि के भीतर अपना लें ताकि क्रेडिट स्कोर का एक सामान्य वर्गीकरण हो सके। [सिफारिश 8.17]
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क्रेडिट सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) के फार्मेट का मानकीकरण : सीआईआर के फार्मेट को मानकीकृत किए जाने की आवश्यकता महसूस नहीँ की गई क्योंकि ऐसी विविधता बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढावा दिए जाने के लिए जरूरी है। तथापि, साख सूचना कंपनियों को चाहिए कि वे सीआईआर शब्दावली को मानकीकृत बनाएं और कुछ फील्ड्स को अनिवार्य बनाएं। इससे प्रयोक्ताओं को दो या इससे अधिक साख सूचना कंपनियों से मिलने वाले सीआईआर की तुलना करने के लिए आधार मिलेगा। मानकीकृत सीआईआर के विस्तृत पक्ष अनुबंध IV में दिए गए हैं। [सिफारिश 8.18(क)]
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बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के लिए सर्वोत्तम प्रथाएं : प्रत्येक बैंक/वित्तीय संस्था को साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसीआरए) के तहत अपने संचालक मंडल के अनुमोदन से नीतियों और प्रक्रियाविधि का निर्धारण या समीक्षा करते समय अनुबंध V में दी गई सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखना चाहिए। [सिफारिश 8.25]
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साख सूचना कंपनियों के लिए सर्वोत्तम प्रथाएं: साख सूचना कंपनियों को भी चाहिए कि वे अनुबंध VI में दी गई सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखें और अपने संचालक मंडल के अनुमोदन से ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करें। ऐसी नीति उनकी वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जानी चाहिए। [सिफारिश 8.26]
3. समिति की अन्य सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिए जाने से पूर्व इन पर अलग से विचार किया जाएगा। बैंकों/वित्तीय संस्थाओं और साख सूचना कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे इस परिपत्र में दिए गए अनुदेशों को इस संबंध में दी गई समय सीमा के अनुसार लागू करें। भवदीय (सुदर्शन सेन) मुख्य महाप्रबंधक |