ग्राहक संरक्षण - प्राधिकृत गैर-बैंकों द्वारा जारी प्रीपेड भुगतान लिखतों के माध्यम से किए गए अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
ग्राहक संरक्षण - प्राधिकृत गैर-बैंकों द्वारा जारी प्रीपेड भुगतान लिखतों के माध्यम से किए गए अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करना
आरबीआई/2018-19/101 04 जनवरी 2019 सभी प्राधिकृत गैर-बैंक प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता महोदया/महोदय, ग्राहक संरक्षण - प्राधिकृत गैर-बैंकों द्वारा जारी प्रीपेड भुगतान लिखतों के माध्यम से किए गए अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करना कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक के 2018-19 के लिए पांचवीं द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषित प्रीपेड भुगतान लिखतों से संबन्धित अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के संबंध में ग्राहक देयता को सीमित करने के बारे में विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य के पैराग्राफ 9 का संदर्भ लें। 2. जैसा कि आप जानते हैं, 'जोखिम प्रबंधन' और 'ग्राहक संरक्षण' के लिए एक फ्रेमवर्क पहले से ही दिनांक 11 अक्तूबर 2017 के प्रीपेड भुगतान लिखतों को जारी करने एवं उनका परिचालन करने के संबंध में मास्टर निदेश संख्या डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.1164/02.14.006/2017-18 (29 दिसंबर 2017 को अद्यतन किया गया) के पैराग्राफ 15 और 16 में दिया जा चुका है। प्रीपेड भुगतान लिखत, जो कि बैंकों के अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा जारी किए जाते हैं, के लिए ग्राहक सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने के उद्देश्य से अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के परिणामस्वरूप उनके प्रीपेड भुगतान लिखतों में होने वाले डेबिट के संबंध में ग्राहकों की देयता का निर्धारण करने के लिए मापदंडों की समीक्षा निम्नानुसार की गई है: प्रयोज्यता 3. इन निर्देशों के प्रावधान सभी प्राधिकृत गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ताओं (इसके पश्चात “पीपीआई जारीकर्ता” के रूप में संदर्भित) पर लागू होंगे। बैंक पीपीआई जारीकर्ता डीबीआर.सं.एलईजी.बीसी.78/09.07.005/2017-18, दिनांक 6 जुलाई 2017 अथवा डीसीबीआर.बीपीडी (पीसीबी/आरसीबी) परिपत्र सं.06/12.05.001/2017-18 दिनांक 14 दिसंबर 2017 यथा लागू, के द्वारा निर्देशित किए जाते रहेंगे। पीपीआई- मास्टर डायरेक्शन (एमडी) के पैराग्राफ 10.2 के अनुसार पीपीआई-एमटीएस जारीकर्ता के संबंध में अंशदायी धोखाधड़ी/लापरवाही/कमी के मामलों को छोड़कर पीपीआई-एमटीएस (मास ट्रांजिट सिस्टम के लिए पीपीआई) की व्यवस्था के अंतर्गत जारी किए गए पीपीआई इन दिशा-निर्देशों के दायरे से बाहर होंगे। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन की श्रेणियाँ 4. इस परिपत्र के प्रयोजन के लिए, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
5. पीपीआई जारीकर्ताओं को ग्राहकों द्वारा अनधिकृत भुगतान लेनदेन की रिपोर्टिंग
ग्राहक की सीमित देयता 6. अनधिकृत भुगतान लेनदेन से उत्पन्न होने वाली ग्राहक की देयता निम्नलिखित अनुसार सीमित रहेगी:
उपर्युक्त बातें सभी पीपीआई धारकों को स्पष्ट रूप से सूचित की जाएंगी। ग्राहक की शून्य देयता / सीमित देयता के लिए प्रतिवर्ती समय सीमा 7. ग्राहक द्वारा अधिसूचित किए जाने पर (बीमा के निपटान के लिए प्रतीक्षा किए बिना, यदि कोई हो) पीपीआई जारीकर्ता ग्राहक द्वारा इस तरह की अधिसूचना दिये जाने की तारीख से 10 दिनों के भीतर ग्राहक के पीपीआई में अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेन-देन में शामिल राशि को क्रेडिट (नोशनल प्रतिवर्ती) कर देगा, चाहे यह प्रतिवर्ती उस प्रकार / श्रेणी के पीपीआई पर लागू अधिकतम स्वीकार्य सीमा का उल्लंघन करता हो। जमा राशि की कीमत वही होगी जो अनधिकृत लेनदेन की तिथि के अनुसार होगी। 8. इसके अलावा, पीपीआई जारीकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि शिकायत का समाधान हो और यदि ग्राहक की देयता सिद्ध होती है, यदि कोई हो, तो इसे पीपीआई जारीकर्ता की बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर जो कि शिकायत की प्राप्ति की तिथि से 90 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए, ग्राहक को उपर्युक्त पैराग्राफ 6 के प्रावधानों के अनुसार क्षतिपूर्ति प्रदान की जाए। यदि पीपीआई जारीकर्ता शिकायत का समाधान करने अथवा ग्राहक की देयता, यदि कोई हो को निर्धारित करने में असमर्थ है, यदि कोई हो, तो 90 दिनों के भीतर, पैरा 6 में निर्धारित राशि ग्राहक को भुगतान की जाएगी, भले ही लापरवाही ग्राहक की ओर से की गई हो अथवा अन्य किसी की ओर से। ग्राहक सुरक्षा के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति 9. ग्राहक की लापरवाही / पीपीआई जारीकर्ता की लापरवाही / प्रणाली धोखाधड़ी / तीसरे पक्ष के उल्लंघनों के कारण पीपीआई के अनधिकृत डेबिट से उत्पन्न जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पीपीआई जारीकर्ताओं को निर्दिष्ट परिदृश्य में अनधिकृत भुगतान लेनदेन के मामले में ग्राहकों के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है। पीपीआई जारीकर्ता इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन में शामिल जोखिम और उत्तरदायित्वों और अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन के ऐसे मामलों में ग्राहक देयता के संबंध में ग्राहक जागरूकता लाने के लिए तंत्र सहित अपनी ग्राहक संबंध नीति को अपने बोर्डों के अनुमोदन के साथ तैयार / संशोधित करेंगे, ताकि उसमें ग्राहक संरक्षण के पहलुओं को सम्मिलित किया जा सके। यह नीति अनिवार्य रूप से पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण होनी चाहिए और इसमें अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन के लिए ग्राहकों को क्षतिपूर्ति प्रदान किए जाने के संबंध में प्रक्रिया निर्धारित की जानी चाहिए और इसमें इस प्रकार की क्षतिपूर्ति दिये जाने के संबंध में समय सीमा भी विहित की जानी चाहिए। पीपीआई जारीकर्ता इन निर्देशों और साथ ही साथ पीपीआई मास्टर डायरेक्शन (एमडी) के पैराग्राफ 15 और 16 के प्रावधानों के अनुपालन में तैयार किए गए ग्राहकों के दायित्व के संबंध में अपनी बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति का विवरण सभी ग्राहकों को पीपीआई जारी करते समय उपलब्ध कराएंगे। पीपीआई जारीकर्ता व्यापक प्रसार के लिए सार्वजनिक डोमेन / वेबसाइट / ऐप में शिकायत से निपटने / वृद्धि प्रक्रिया के विवरण के साथ अपनी बोर्ड अनुमोदित नीति प्रदर्शित करेंगे। साक्ष्यों का उत्तरदायित्व 10. अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन के मामले में ग्राहक के दायित्व को सिद्ध करने का उत्तरदायित्व पीपीआई जारीकर्ता पर होगा। रिपोर्टिंग और निगरानी आवश्यकताएं 11. पीपीआई जारीकर्ता, बोर्ड अथवा उसकी किसी एक समिति के समक्ष ग्राहक देयता मामलों को रिपोर्ट करने के लिए एक उपयुक्त तंत्र और संरचना की स्थापना करेंगे। रिपोर्टिंग में अन्य बातों के साथ-साथ मामलों की मात्रा / संख्या और विभिन्न श्रेणियों के मामलों में शामिल समग्र मूल्य और वितरण शामिल होंगे। बोर्ड अथवा इसकी कोई एक समिति ग्राहकों या अन्यथा द्वारा सूचित अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेन और इसके साथ ही उनपर की गई कार्रवाई, शिकायत निवारण तंत्र की कार्यप्रणाली की आवधिक समीक्षा करेगा और प्रणालियों और प्रक्रियाओं को सुधारने के लिए उचित उपाय करेगा। 12. गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ताओं पर यथा पीपीआई मास्टर डायरेक्शन (एमडी) पैराग्राफ 16.4 में निहित निर्देश तदनुसार संशोधित किए जा रहे हैं। 13. यह निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2) के अंतर्गत जारी किया गया है और यह 01 मार्च, 2019 से लागू होगा। भवदीय (पी.वासुदेवन) |