RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

80145684

विकासात्‍मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

5 दिसंबर 2018

विकासात्‍मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य विनियमन और पर्यवेक्षण को मजबूत करने; वित्तीय बाजारों के विस्तार और सघनता; और ग्राहक शिक्षा, संरक्षण और वित्तीय समावेशन में वृद्धि के लिए विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।

I. विनियमन और पर्यवेक्षण

1. बैंकों द्वारा नए अस्थिर दर ऋण की बाहरी बेंचमार्किंग

निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) प्रणाली की सीमांत लागत के कार्य की समीक्षा करने के लिए आंतरिक अध्ययन समूह की रिपोर्ट (अध्यक्ष: डॉ जनक राज) को 4 अक्टूबर 2017 को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी किया गया। इस रिपोर्ट ने बैंकों द्वारा वर्तमान के आंतरिक बेंचमार्क [प्राइम लेंडिग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट और निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) की सीमांत लागत के मौजूदा सिस्टम की बजाए बैंक द्वारा अपने अस्थिर दर ऋण के लिए बाहरी बेंचमार्किंग की सिफारिश की थी। इस दिशा में एक कदम के रूप में, यह प्रस्तावित किया जाता है कि सभी नए अस्थिर दर वाले व्यक्तिगत या खुदरा ऋण (आवास, ऑटो इत्यादि) और बैंकों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों को प्रदान किए गए अस्थिर दर ऋण को 1 अप्रैल 2019 से निम्नलिखित में से किसी एक के साथ बेंचमार्क किया जाएगा :

- भारतीय रिजर्व बैंक नीति रिपो दर, या

- फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा प्रस्तुत भारत सरकार 91 दिवसीय खजाना बिल प्रतिफल, या

- एफबीआईएल द्वारा प्रस्तुत भारत सरकार 182 दिवसीय खजाना बिल प्रतिफल, या

- एफबीआईएल द्वारा प्रस्तुत कोई अन्य बेंचमार्क बाजार ब्याज दर ।

बेंचमार्क दर पर फैलाव - ऋण की शुरुआत में बैंकों के विवेकानुसार पूरी तरह से तय किया जाना है- ऋण की अवधि तब तक अपरिवर्तित रहनी चाहिए, जब तक कि उधारकर्ता के क्रेडिट मूल्यांकन में पर्याप्त परिवर्तन नहीं होता है जैसा कि ऋण अनुबंध में करार किया गया है। बैंक अन्य उधारकर्ताओं को भी ऐसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋण भी प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं। उधारकर्ताओं द्वारा पारदर्शिता, मानकीकरण और ऋण उत्पादों की जानकारी को आसान बनाने के लिए, बैंक को ऋण श्रेणी के भीतर एक समान बाहरी बेंचमार्क अपनाना होगा; दूसरे शब्दों में, ऋण श्रेणी के अंदर एक ही बैंक द्वारा कई बेंचमार्कों को अपनाने की अनुमति नहीं है । दिसंबर 2018 के अंत तक अंतिम दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

2. कार्यशील पूंजी वित्त में अनिवार्य ऋण घटक

कार्यशील पूंजी उधारकर्ताओं के बीच अधिक क्रेडिट अनुशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, 5 अप्रैल 2018 को घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था कि बड़े उधारकर्ताओं के लिए निधि-आधारित कार्यशील पूंजी वित्त में न्यूनतम स्तर का 'ऋण घटक' निर्धारित किया जाए। तदनुसार, इस संबंध में डाफ्ट्र दिशानिर्देश हितधारकों की टिप्पणियों के लिए 11 जून 2018 को जारी किए गए थे । हितधारकों के मत को ध्यान में रखते हुए, 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी अंतिम दिशानिर्देश आज जारी किए जा रहे हैं।

3. चलनिधि कवरेज अनुपात के साथ सांविधिक चलनिधि अनुपात संरेखित

मौजूदा रोडमैप के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 1 जनवरी 2019 तक 100 प्रतिशत की न्यूनतम चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) को प्राप्त करना होगा। वर्तमान में, सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) सकल मांग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) का 19.5 प्रतिशत है। आगे, बैंकों के एलसीआर की गणना के उद्देश्य से परिसंपत्तियों को लेवल 1 उच्च गुणवत्ता चलनिधि परिसंपत्ति (एचक्यूएलए) के रूप में माना जाना चाहिए, अन्य बातों के साथ, इसमें शामिल हैं (अ) न्यूनतम एसएलआर आवश्यकता से अधिक सरकारी प्रतिभूतियां; और (आ) अनिवार्य एसएलआर आवश्यकता के भीतर, आरबीआई द्वारा (i) सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) [वर्तमान में बैंक के एनडीटीएल का 2 प्रतिशत] और (ii) चलनिधि कवरेज अनुपात (एफएएलएलसीआर) के लिए चलनिधि की सुविधा प्राप्त करने [वर्तमान में बैंक के एनडीटीएल का 13 प्रतिशत] के तहत अनुमत सीमा तक सरकारी प्रतिभूतियां। एलसीआर आवश्यकता के साथ एसएलआर संरेखित करने के लिए, यह प्रस्ताव है कि हर कैलेंडर तिमाही में एसएलआर को 25 आधार अंक कम किया जाए जब तक कि एसएलआर एनडीटीएल के 18 प्रतिशत तक पहुंच जाए। जनवरी 2019 से शुरू होने वाली तिमाही से 25 आधार अंकों की पहली कटौती प्रभावी होगी।

4. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) में प्रबंधन बोर्ड

श्री वाई.एच. मालेगाम की अध्यक्षता में नए शहरी सहकारी बैंकों (2010) के लाइसेंस पर गठित विशेषज्ञ समिति ने, अन्य बातों के साथ-साथ, सिफारिश की थी कि यूसीबी में अभिशासन को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रत्येक प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी) में निदेशक मंडल (बीओडी) के अलावा, प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) का गठन किया जाए। इसे जनवरी 2015 में गठित शहरी सहकारी बैंकों (अध्यक्ष: श्री आर.गांधी) की उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दोहराया गया था।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 जून 2018 को यूसीबी में बीओएम बनाने का ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किया था, जिसपर बैंकों और अन्य हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की गई थी। दिशानिर्देशों में प्रस्तावित किया गया है कि यूसीबी बीओएम को स्थापित करने के लिए अपने उप-कानूनों में प्रावधान करें। दिशानिर्देश यह भी प्रस्तावित करते हैं कि केवल यूसीबी, जिन्होंने अपने उप-कानूनों में ऐसा प्रावधान किया है, के लिए विनियामक अनुमोदन जैसे कि परिचालन के क्षेत्र में विस्तार और नई शाखाओं को खोलने की अनुमति दी जा सकती है।

II. वित्तीय बाजार

5. अनिवासियों के लिए ब्याज दर डेरिवेटिव्स मार्केट तक पहुंच

5 अप्रैल 2018 को घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों के वक्तव्य में प्रस्तावित किया गया था कि अनिवासियों को भारत में रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव्स (आईआरडी) बाजार तक पहुंच दी जाएगी। इस संबंध में ड्राफ्ट निर्देश अनिवासियों को किसी भी उपलब्ध आईआरडी लिखत का लचीले रूप से उपयोग करके अपने रुपये ब्याज दर जोखिम को हेज़ करने की अनुमति देते हैं। अनिवासियों को गैर-हेजिंग प्रयोजनों के लिए ओवरनाइट इंडेक्सड स्वैप (ओआईएस) बाजार में, ब्याज दर के जोखिम के संदर्भ में सभी अनिवासियों के एक्सपोजर पर एक मैक्रो-प्रूडेंशियल सीमा के अधीन (पीवी01 के रूप में मापा गया) भाग लेने की भी अनुमति दी जाएगी। सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए आज ड्राफ्ट निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

6. बैंकों द्वारा चलनिधि प्रबंधन में सुधार के उपाय

वर्तमान में, दिन के अंत में बैंकों के नकद रिजर्व अनुपात (सीआरआर) की शेष राशि का खुलासा 2-3 दिनों के अंतराल के साथ किया जाता है, जबकि मुद्रा का परिचालन विवरण एक सप्ताह के अंतराल के साथ जारी किया जा रहा है। बैंकों को अपनी चलनिधि आवश्यकताओं को अधिक सटीकता के साथ पूर्वानुमानित करने में सक्षम करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि रिजर्व बैंक अगले दिन बाजार प्रतिभागियों को बैंकिंग प्रणाली के दैनिक सीआरआर शेष पर जानकारी प्रदान करेगा। तदनुसार,दैनिक मुद्रा बाजार परिचालन प्रकाशनी में 6 दिसंबर 2018 से पिछले दिन का सीआरआर आंकड़ा निहित होगा।

7. फेमा, 1999 के तहत उधार और ऋण विनियमों को युक्तिसंगत बनाना

फेमा, 1999 के तहत समयावधि में बनाए गए कई नियमों को युक्तिसंगत बनाने के चल रहे प्रयासों के तहत, सरकार के परामर्श से, यह प्रस्ताव है कि भारत में निवासी व्यक्ति और भारत के बाहर निवासी व्यक्ति के बीच विदेशी मुद्रा और आईएनआर दोनों में सभी प्रकार के उधार और ऋण लेनदेन को नियंत्रित करने वाले नियमों को मजबूत करने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित नियम, अर्थात, विदेशी मुद्रा प्रबंधन (उधार या ऋण) विनियम, 2018 मौजूदा दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी, दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 4/2000-आरबी, और दिनांक 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा. 120/ आरबी -2004, के विनियमन 21 को शामिल करेगा और कारोबार करने में आसानी के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार और रुपी डिनोमिनेटेड बांड के लिए मौजूदा ढांचे को युक्तिसंगत बनाएगा। समेकित विनियमन और दिशानिर्देश दिसंबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे।

III. ग्राहक शिक्षा, संरक्षण और वित्तीय समावेशन

8. डिजिटल लेनदेनों के लिए लोकपाल योजना

देश में डिजिटल मोड के साथ वित्तीय लेनदेनों को गति दिलाने के लिए, इस चैनल में उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करने के लिए समर्पित, लागत मुक्त और शीघ्र शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता उभर रही है। इसलिए रिजर्व बैंक के नियामक क्षेत्राधिकार के तहत आने वाली संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को शामिल करने वाली 'डिजिटल लेनदेनों के लिए लोकपाल योजना' को लागू करने का निर्णय लिया गया है। यह योजना जनवरी 2019 के अंत तक अधिसूचित की जाएगी।

9. प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स सहित अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक भुगतान लेनदेनों के संबंध में ग्राहक देयता को सीमित करने के लिए रूपरेखा

रिजर्व बैंक ने बैंकों और क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के संबंध में ग्राहक देयता को सीमित करने संबंधी निर्देश जारी किए हैं। उपभोक्ता संरक्षण के उपाय के रूप में,यह निर्णय लिया गया है सभी ग्राहकों को उनके द्वारा किए गए इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के संबंध में एक ही स्तर पर लाया जाए और प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) सहित अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के लिए ग्राहक देयता को सीमित करने का लाभ इस विषय पर मौजूदा दिशानिर्देशों द्वारा शामिल न किए गए अन्य संस्थाओं तक बढ़ा दिया जाए। दिशानिर्देश दिसंबर 2018 के अंत तक जारी किए जाएंगे।

10. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों पर विशेषज्ञ समिति

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अर्थव्यवस्था में रोजगार, उद्यमिता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे लगातार, अपनी अनौपचारिक स्‍वरूप के कारण, कभी-कभी लगातार प्रभाव के साथ संरचनात्मक और चक्रीय झटके के प्रति संवेदनशील होते हैं। एमएसएमई के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाली आर्थिक ताकतों और लेनदेन लागतों को समझना महत्वपूर्ण है, जबकि अक्सर एमएसएमई तनाव के पुनर्वास दृष्टिकोण ने अनुकूल क्रेडिट शर्तों और विनियामकीय संयम लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया है। हमारी ओर से, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एमएसएमई क्षेत्र की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए कारणों का पता करके उनके दीर्घकालिक समाधान प्रस्तावित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी। समिति की संरचना और विचारार्थ विषयों को दिसंबर 2018 के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा और रिपोर्ट जून 2019 के अंत तक जमा की जाएगी।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1300

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?