तकनीकी रूप से वापस किए गए चेकों के पुन: प्रस्तुतीकरण में विलंब और इस तरह की वापसियों पर प्रभार लगाना
आरबीआइ/2012-13/493 07 मई 2013 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया, तकनीकी रूप से वापस किए गए चेकों के पुन: प्रस्तुतीकरण में विलंब और इस तरह की वापसियों पर प्रभार लगाना जैसा कि आपको विदित है कि, बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे स्थानीय/ बाहरी चेकों की वसूली में लगने वाले समय और वापस हुए चेकों पर, ग्राहक को पूर्व सूचना के साथ, लगने वाले प्रभारों को अपनी चेक संग्रहण नीति में दर्शाएँ, जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक के क्रमश: दिनांक 24 नवंबर 2008 के परिपत्र संख्या डीपीएसएस.सीओ. (सीएचडी ) सं. 873 / 03.09.01 / 2008-09 और दिनांक 2 फरवरी 2007 के परिपत्र सं. डीबीओडी सं. डीआईआर. बीसी. 56 /13.03.00/2006-2007 के परिपत्रों में उल्लिखित है। 2. तथापि, हाल ही में हमारी जानकारी में ऐसे मामले आए हैं जहां बैंक (i) ऐसे मामलों में भी चेक वापसी का शुल्क ले रहे हैं जहां वापसी में ग्राहकों की गलती नहीं थी और (ii) अदाकर्ता बैंक द्वारा तकनीकी कारणों से वापस किए गए चेकों के पुन: प्रस्तुतीकरण में विलंब करना। इन दोनों ही कारणों के चलते ग्राहक सेवा असंतोषजनक होती है। 3. अत: यह आवश्यक माना जाता है कि इस संबंध में सभी बैंकों द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया को सरल एवं कारगर बनाया जाए। तदनुसार, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे निम्नलिखित निर्देशों का पालन तत्काल प्रभाव से आरंभ कर दें:
4. बैंकों को तदनुसार सूचित किया जाता है कि वे अपनी चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) को पुन: तैयार करें और पैराग्राफ 3(i) और 3(ii) में दर्शाई गई प्रक्रिया को शामिल करें और बेहतर ग्राहक सेवा और सूचना के प्रसार के लिए अपनी संशोधित चेक संग्रहण नीति (सीसीपी) का प्रचार करें। 5. उपर्युक्त दिशानिर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (2007 का 51) की धारा 18 के अंतर्गत जारी किए गए हैं। 6. कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना दें और अनुपालन सुनिश्चित करें। भवदीय (विजय चुग) |
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