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अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण

आरबीआई/2011-12/307
ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.बीसी.सं. 45/03.05.33(सी)/2011-12

19 दिसंबर 2011

अध्यक्ष
सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

महोदय,

अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों तथा
साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण

कृपया बचत बैंक जमाराशि ब्याज दर के विनियंत्रण पर 23 नवंबर 2011 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. केका. आरआरबी. बीसी. सं. 33/03.05.33/2011-12 का पैराग्राफ 4 तथा अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों तथा एफसीएनआर (बी) जमाराशियों पर ब्याज दरों पर 24 नवंबर 2011 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि. केका. आरआरबी. बीसी. सं. 36/ 03.05.33(सी)/2011-12 का पैराग्राफ 1 देखें ।

2. अनिवासी जमाराशियां जुटाने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अधिक लचीलापन प्रदान करने के लिए तथा बाजार की मौजूदा स्थितियों को भी ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों [साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों के अंतर्गत मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दरों को पहले ही विनियंत्रित कर दिया गया है] पर ब्याज दरों को विनियंत्रित किया जाए । तदनुसार, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशि खातों के अंतर्गत बचत जमाराशियों तथा एक वर्ष और उससे अधिक परिपक्वता अवधि की मीयादी जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों के अंतर्गत बचत जमाराशियों पर अपनी ब्याज दरें तत्काल प्रभाव से निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं । तथापि, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा एनआरई तथा एनआरओ जमाराशियों पर दी  जाने वाली ब्याज दरें उन ब्याज दरों से अधिक नहीं हो सकतीं जो उनके द्वारा तुलनीय घरेलू रुपया जमाराशियों पर दी जाती हैं ।

3.  ऐसी जमाराशियों पर ब्याज दरें निर्धारित करते समय क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा बोर्ड/आस्ति प्रबंधन समिति (यदि बोर्ड द्वारा शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हों) का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया जाए । किसी समय विशेष पर सभी बैंकों द्वारा अपनी सभी शाखाओं पर एक समान दरें दी जानी चाहिए ।

4. संशोधित जमाराशि दरें केवल नई जमाराशियों तथा परिपक्व होने वाली जमाराशियों के नवीकरण पर लागू होंगी । इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को विनियंत्रण के कारण उत्पन्न होने वाली अपनी बाह्य देयता की सघन निगरानी करनी चाहिए तथा प्रणालीगत जोखिम के दृष्टिकोण से आस्ति-देयता अनुकूलता को सुनिश्चित करना चाहिए ।

5. इस संबंध में 19 दिसंबर 2011 का संशोधनकारी निदेश ग्राआऋवि.केका.आरआरबी. बीसी.डीआईआर.सं. 44/ 03.05.33(C)/ 2011-12 संलग्न है ।

भवदीय

( सी.डी.श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक: यथोक्त

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