वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान हेतु तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूली: अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए संरचना - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान हेतु तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूली: अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए संरचना
भारिबैं/2013-14/528 21 मार्च 2014 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) महोदय, वित्तीय संकटग्रस्तता की शुरू में ही पहचान, समाधान हेतु तत्काल उपाय और उधारदाताओं हेतु उचित वसूली: अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए संरचना कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 30 जनवरी 2014 को जारी अर्थ व्यवस्था में संकटग्रस्त परिसंपत्तियों को पुनर्जाग्रित करने के लिए संरचना (संरचना) का अवलोकन करें। संरचना 1 अप्रैल 2014 से पूर्ण रूप से प्रभावी होगा, तथा संरचना में सुधारात्मक कार्य योजना जो समस्याप्रद खातों का जल्द पहाचान की रूपरेखा, व्यवहार्य खातों का समय पर पुनर्रचना और उधारकर्ताओं द्वारा अव्यवहार्य खातों की ब्रिकी अथवा वसूली हेतु तत्पर्ता से उठाये जाने वाले कदम से संबंधित दिशा निदेश निहित है। उक्त के पृष्ठभूमि में, एनबीएफसी तक इसकी प्रयोज्यता का विस्तार के लिए एनबीएफसी को निम्नलिखित दिशानिदेश जारी किया गया है। 2. बढती एनपीए को रोकने के लिए सुधारात्मक कार्य योजना 2.1 दबाव की जल्द पहचान करना तथा इसकी रिपोर्टिंग बड़े ऋणों से संबंधित सूचनाओं की सेंट्रल रिपोजीटरी (सीआरआईएलसी) को करना । 2.1.1 ऋण खाता का एनपीए बनने से पूर्व, एनबीएफसी को निम्नलिखित टेबल के अनुसार तीन उप –श्रेणी के साथ उप –परिसंपत्ति श्रेणी यथा ‘विशेष वर्णन खाता’ (एसएमए) बनाकर खाता के प्रारंभिक दबाव का पता लगाना होगा:
2.1.2 बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग द्वारा जारी 13 फरवरी 2014 का अपने परिपत्र में बैंक द्वारा सूचित किया गया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने बड़े ऋणों से संबंधित सूचनाओं का संग्रहण (सीआरआईएलसी) , स्टोर तथा उधारदाता के ऋण डाटा का प्रचार प्रसार के लिए सेंट्रल रिपोजीटरी का स्थापना किया गया। सभी संपूर्ण प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी-एनडी-एसआई), एनबीएफसी-डी तथा सभी एनबीएफसी-फैक्टर (संक्षेप में अधिसूचित एनबीएफसी) को एक्सबीआरएल रिपोर्टिंग पद्धति की स्थापना होने पर अनिवार्य रूप से तिमाही आधार पर संबंधित ऋण सूचना की रिपोर्टिंग अनुबंध ॥ में दिए गए फार्मेट में सीआरआईएलसी को करें। तब तक वे सूचना हार्ड कॉपी में प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, विश्व व्यापार केन्द्र, मुंबई-400 005 को अग्रेषित करें। डाटा में सभी उधारकर्ताओं के रू5 करोड़ तथा उससे अधिक का समग्र निधि आधारित और गैर निधि आधारित एक्सपोजर और उधारकर्ता का एसएमए स्थिति शामिल होना चाहिए। अधिसूचित एनबीएफसी को रू5 करोड़ तथा उससे अधिक का निधि आधारित और/अथवा गैर निधि आधारित एक्सपोजर वाले अपने उधारकर्ताओं का सटिक पैन ब्योरा, आयकर अभिलेख से विधिवत प्रमाणित किया गया, के साथ तैयार रहना चाहिए। 2.1.3 व्यक्तिक अधिसूचित एनबीएफसी को एसएमए-1 और एसएमए-0 के रूप में रिपोर्ट किए गए खातों का ध्यानपूर्वक निगरानी करना चाहिए, क्योंकि यह खातों के कमजोरी का प्रारंभिक सावधानी प्रतीक होते है। तथापि, एक अथवा एक से अधिक उधारदाता बैंकों/अधिसूचित एनबीएफसी द्वारा खातों को यथा शीघ्र एसएमए-2 के रूप में रिपोर्ट करना, यह अनिवार्य रूप से संयुक्त ऋणदाताओं के फोरम (जेएलएफ) और संरचना के पैरा 2.3 में विनिर्दिष्ट सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी)2 के निर्माण को गति प्रदान करेगा। अधिसूचित एनबीएफसी को समुचित प्रबंधन सूचना और रिपोर्टिंग प्रणाली को आवश्यक रूप से एक स्थान पर रखना चाहिए ताकि किसी भी खाते में 60दिनों से अधिक बकाया मूलधन अथवा ब्याज को एसएमए-2 के रूप में रिपोर्टिंग अनुबंध III में दिए गए फार्मेट में, हार्ड प्रति में, प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, विश्व व्यापार केन्द्र, मुंबई-400 005 को करें। एनबीएफसी को एक्सबीआरएल संरचना में शीघ्र रिपोर्टिंग का प्रयास करना चाहिए। 2.2 त्वरित प्रावधानीकरण 2.2.1 ऐसे मामलों में जहां एनबीएफसी, सीआरआईएलसी को खाते का एसएमए स्थिति रिपोर्ट करने में विफल होती है अथवा खाते की वास्तविक स्थिति को जानबुझ कर गुप्त रखती है अथवा खाते को हमेशा सतत दिखाती है, ऐसी स्थिति में एनबीएफसी को इन खातो के प्रति त्वरित प्रावधानीकरण करना चाहिए और/अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उचित समझी जाने वाली अन्य पर्यवेक्षी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे गैर निष्पादित खातो के संबंध में वर्तमान प्रावधानीकरण मापदंड तथा संशोधित त्वरित प्रावधानीकरण निम्न प्रकार से है:
2.2.2 इसके अतिरिक्त, कोई उधारदाता जो जेएलएफ द्वारा सीएपी के तहत पुनर्रचना के निर्णय के लिए सहमत है तथा अंतर क्रेडिटर करार (आईसीए) और डेबटर क्रेडिटर करार (डीसीए) का हस्ताक्षरकर्ता है, किंतु बाद में स्वरूप में परिवर्तन करता है अथवा पैकेज के कार्यान्वयन में विलम्ब/मना करता है वह भी इस उधारकर्ता के लिए अपने एक्सपोजर पर उक्त विनिर्दिष्ट त्वरित प्रावधानीकरण आवश्यकताओं के अधीन होंगे; यदि यह एनपीए के रूप में वर्गीकृत है। यदि खाता उन उधारदताओं के बही में मानक है तब प्रावधानीकरण आवश्यकता 5% होगी। इसके अतिरिक्त, उधारदाता द्वारा ऐसी कोई भी पश्च अनुमार्गण से पर्यवेक्षी समीक्षा तथा मूल्यांकन पद्धति के दौरान नकरात्मक पर्यवेक्षी दृष्टिकोण बनेगा। 2.2.3 वर्तमान में, परिसंपत्ति वर्गीकरण का आधार अलग- अलग एनबीएफसी की वसूली अभिलेख पर निर्भर करता है तथा प्रत्येक एनबीएफसी के स्तर पर परिसंपत्ति वर्गीकरण स्थिति के आधार पर प्रावधानीकरण किया जाता है। तथापि, यदि उधारदाता जेएलएफ का संयोजन करने में विफल होता है अथवा निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत सामान्य सीएपी के सहमति पर विफल होता है तब उक्त विनिर्दिष्ट के अनुसार खाता त्वरित प्रावधानीकरण के अधीन होगा, यदि खाता एनपीए के रूप में वर्गीकृत है तो। यदि खाता उन उधारदताओं के बही में मानक है तब प्रावधानीकरण आवश्यकता 5% होगी। 2.3 “असहयोगी उधारकर्ता” 2.3.1 सभी अधिसूचित एनबीएफसी को “असहयोगी उधारकर्ताओं” की पहचान करना चाहिए। एक “असहयोगी उधारकर्ता” को इस रूप में वर्णन किया जा सकता है कि 2 अनुस्मारक के बाद भी उधारदाता द्वारा अपेक्षित आवश्यक सूचना नहीं प्रदान करने वाला अथवा मंजूरी के शर्तों के अनुसार प्रतिभूतियों आदि तक पहुंच बनाने से मना करने वाला, अथवा निर्धारित समयावधि के अंदर ऋण करार के अन्य नियम का पालन नहीं करने वाला या एनबीएफसी के साथ पुनर्भुगतान के मामलें में विचारविमर्श में प्रतिपक्षी /उदासीन अथवा इनकार का रूख रखने वाला अथवा कुछ समाधान क्षितिज पर झुठा वादा करके समय से खेलने वाला या ऐसे ऋण ऋणदाता के हित में समय के संकल्प को विफल करने के लिए मुकदमेबाजी के रूप में दुर्भाग्यपूर्ण रणनीति बनाने वाला। उधारकर्ताओं को उनका नाम असहयोगी उधारकर्ता के रूप में रिपोर्ट करने से पूर्व उन्हें अपना मत स्पष्ट करने के लिए 30 दिनों का समयावधि दिया जाएगा। 2.3.2 उधारदाताओं के वास्तविक समाधान/वसूली के प्रयास में उधारकर्ताओं/चूककर्ताओं का असहयोगी तथा अनुचित बनने को हतोत्साहित करने के लिए, एनबीएफसी को उधारकर्ताओं को उचित सूचना देना चाहिए तथा यदि संतोषजनक स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होता है तब ऐसे उधारकर्ताओं को असहयोगी उधारकर्ता के रूप में वर्गीकृत किया जाए। अधिसूचित एनबीएफसी द्वारा ऐसे उधारकर्ताओं के वर्गीकरण का रिपोर्ट सीआरआईएलसी किया जाए। इसके अतिरिक्त, एनबीएफसी को ऐसे उधारकर्ताओं के नए ऋण/एक्सपोजर सहित ऐसे प्रोमोटर्स/निदेशक द्वारा प्रायोजित अन्य कंपनी के नए ऋण/एक्सपोजर के लिए भी अथवा ऐसी कंपनी जिसके बोर्ड में इस असहयोगी उधारकर्ता का निदेशक कोई प्रोमोटर्स/निदेशक हो, के के संबंध में उच्च/त्वरित प्रावधानीकरण करना होगा। यह प्रावधानीकरण ऐसे मामलों पर लागू होगा जहां दर 5% का है तथा मानक खाता और त्वरित प्रावधानीकरण किया गया हो यदि यह एनपीए होतो। चूंकि ऐसे असहयोगी उधारकर्ता का एक्सपोजर पर अपेक्षित हानि उच्च होने की संभावना है अत: इस प्रकार का विवेकपूर्ण उपाय किया जाए। 3. बोर्ड अन्वेक्षण (निगरानी) 3.1 एनबीएफसी के निदेशक मंडल को उनके बही में परिसंपत्ति की गुणवत्ता ह्रास को रोकने केलिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे तथा ऋण जोखिम प्रबंधन पद्धति को बेहतर बनाने के लिए ध्यान देना होगा। उधारदाता का अतिसक्रियता से परिसंपत्ति गुणवत्ता में समस्या की जल्द पहचान जा सकता है जो संरचना में आवश्यक निहित समाधान है तथा सीआरआईएलसी का उपयोग कर इसे जल्द से जल्द परिचालनगत बनाया जाए। 3.2 बोर्ड यह सुनिश्चित करें कि ऋण सूचना का समय पर प्रावधान और सीआरआईएलसी से ऋण सूचना प्राप्त करना, शीघ्र जेएलएफ का निर्माण, जेएलएफ प्रक्रिया की निगरानी के लिए नीति बनाया जाए तथा उक्त नीति का आवधिक समीक्षा किया जाए। 4. ऋण जोखिम प्रबंधन 4.1 अधिसूचित एनबीएफसी को ऋण के सभी मामलों अपना स्वतंत्र दृष्टिकोण और ऋण मूल्यांकन घटक अपनाना चाहिए तथा वाह्य सलाहकार, विशेषकर उधारकर्ता संस्था का इन-हाउस सलाहकार द्वारा बनाये गए ऋण मूल्यांकन रिपोर्ट पर केवल निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्हें सूक्ष्म रूप से जांच/ परिप्रेक्ष्य विवेचना करना चाहिए, विशेषक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में जहां विलम्ब के साथ साथ परियोजना की लागत में बढोत्तरी होती है। सुधारात्मक कार्य योजना (सीएपी) तय करते समय परियोजना की व्यावहारिकता के दृष्य पर चर्चा करना सहायक होगा। एनबीएफसी को प्रोमोटर्स/शेयरधारकों द्वारा लाई गई इक्विटी पूंजी का स्रोत तथा गुणवत्ता को सुनिश्चित करना चाहिए। बहु लीवरेजिंग एक चिंता का विषय है विशेषकर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में क्योंकि यह वित्तीय अनुपात जैसे डेट/इक्विटी अनुपात, उधारकर्ता के चयन में प्रतिकूल भूमिका को छ्द्मवार प्रभावित करता है। अत: एनबीएफसी को ऋण मूल्यांकन के समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मूल कंपनी के डेट को सहायक/एसपीवी के इक्विटी पूंजी में समावेशित नहीं किया जाए। 4.2 ऋण मूल्यांकन करते समय अधिसूचत एनबीएफसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनी का कोई निदेशक का नाम डीआईएन/पीएएन के संदर्भ में चूककर्ता की सूची में प्रदर्शित नहीं हो रहा हो। इसके अतिरिक्त, समरूप नाम के प्रति कोई संदेह उत्पन्न होता है तो एनबीएफसी को उधारकर्ता कंपनी से घोषणा पत्र लेने के बजाए अपने स्वतंत्र माध्यम से पहचान की पुष्टि करनी चाहिए। 4.3 उक्त के अलावा, अधिसूचित एनबीएफसी को सूचित किया जाता है कि निधि का उचित उपयोग और उधारकर्ता द्वारा निधि का अपयोजन/साइफन की रोकथाम को सुनिश्चित करने के लिए, एनबीएफसी को उधारकर्ता के लेखा परीक्ष द्वारा दिए गए प्रमाणपत्र पर भरोसा किए बिना स्वयं अपने लेखा परीक्षकों को ऐसे प्रमाणिकरण के कार्य में संलिप्त करना चाहिए। तथापि, यह एनबीएफसी के लिए मामले में स्वयं का न्यूनतम तत्परता का विकल्प नहीं है। 5. सीईआरएसएआई के साथ लेनदेन का पंजीकरण 5.1 कृपया साम्यिक बंधक अभिलेखों को केन्द्रीय रजिस्ट्री के समक्ष फाइल किया जाना पर 12 नवम्बर 2013 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.360/03.10.001/2013-14 का संदर्भ ले जिसमें सभी एनबीएससी को सूचित किया गया था कि 31 मार्च 2011 तथा उसके बाद से अपने हित में बनाये गए सभी साम्यिक बंधक के अभिलेख को केन्द्रीय रजिस्ट्री के समक्ष फाइल और रजिस्टर करे तथा जब कभी उनके हित में साम्यिक बंधक बनताहै तो उसे वे केन्द्रीय रजिस्ट्री के समक्ष रजिस्टर करे। उक्त के अनुक्रम में, एनबीएफसी को अतिरिक्त सूचित किया जाता है कि सीईआरएसएआई के साथ सभी प्रकार के बंधकों को पंजीकृत करें। 6. अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थाओं/एनबीएफसी के गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की खरीद/बिक्री 6.1 बैंपविवि का गैर निष्पादित आस्तियों की खरीद/बिक्री पर दिशानिदेश (एनबीएफसी पर भी लागू) पर परिपत्र को बैंपविवि के मास्टर परिपत्र “आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा अग्रिमों के संबंध में प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड” में समेकित और अद्यतन किया गया है जिसमें अन्य बातों के साथ साथ निम्नलिखित विनिर्दिष्ट किया गया है: बैंक के बही की गैर निष्पादित आस्ति केवल अन्य बैंकों को बिक्री के लिए पात्र होंगी यदि यह बिक्रीकर्ता बैंक के बही में कम से कम पिछले दो वर्षों से गैर निष्पादित आस्ति के रूप में बनी रही हो तो। गैर निष्पादित आस्ति को खरीदकर्ता बैंक द्वारा इसे अन्य बैंक को बिक्री करने के पूर्व कम से कम 15 माह की अवधि के लिए अपने बही में रखना होगा। 6.2 उक्त में थोड़ा संशोधन करते हुए सूचित किया जाता है कि एनबीएफसी अपने एनपीए को बिना किसी प्रारंभिक धारण अवधि के अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थाओं/एनबीएफसी (एससी/आरसी को छोड़कर) को बेच सकती है। तथापि, गैर निष्पादित आस्ति को खरीदकर्ता बैंक/वित्तीय संस्थान/एनबीएफसी द्वारा इसे अन्य बैंक/वित्तीय संस्थान/एनबीएफसी (एससी/आरसी को छोड़कर) को बिक्री करने के पूर्व कम से कम 12 माह की अवधि के लिए अपने बही में रखना होगा। ऐसी आस्तियों का खरीदकर्ता बैंक/वित्तीय संस्थान/एनबीएफसी के बही में आस्ति वर्गीकरण पर मौजूदा दिशानिर्देश में कोई परिवर्तन नहीं है। 7. यह दिशानिदेश 1 अप्रैल 2014 से प्रभावी होंगे। भवदीय, (एनएसविश्वनाथन) 1 एसएमए-0 के रूप में वर्गीकृत खाता के लिए दवाब चिह्नकी विस्तृत सूची अनुबंध I में दी गई है। 2 एनबीएफसी पर लागू होने वाले ब्योरे अनुबंध IV में दिए गए हैं। |