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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – इं­फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए तात्कालिक वित्त (Bridge Finance)

भारिबैंक/2012-13/201
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.27

11 सितंबर 2012

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – इं­फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र
के लिए तात्कालिक वित्त (Bridge Finance)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 23 सितंबर 2011 के ए .पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 26 की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

2. बाह्य वा​णि​​ज्यिक उधार संबंधी वर्तमान दिशानिर्देशों में यथा परिभाषित 'इं­फ्रास्ट्रक्चर' के तहत आनेवाली इं­फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, अनुमोदन मार्ग के तहत, 'तात्कालिक वित्तीय सहायता' (ब्रिज फाइनान्स) के स्वरुप के अल्पावधि ऋण लेकर (क्रेता/आपूर्तिकर्ता के क्रेडिट सहित) पूँजीगत माल का आयात करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी गयी है:

(i) तात्कालिक वित्त (ब्रिज फाइनान्स), दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार से, प्रतिस्थापित किया जाएगा;

(ii) दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मानदंडों के अनुरुप होंगे; और

(iii) दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार से तात्कालिक वित्त के पुनर्स्थापन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया गया हो ।

3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे तात्कालिक वित्त (ब्रिज फाइनान्स) (यदि क्रेता/आपूर्तिकर्ता की क्रेडिट के स्वरूप में) का पुनर्वित्तीयन बाह्य वाणिज्यिक उधार से, स्वचालित मार्ग के तहत, करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी जाए:-

(i) व्यापार ऋण की अधिकतम अनुमत अवधि से पहले बाह्य वाणिज्यिक उधार के जरिये क्रेता/आपूर्तिकर्ता के क्रेडिट का पुनर्वित्तीयन किया जाए;

(ii) प्राधिकृत व्यापारी आयात पत्र का सत्यापन करते हुए पूँजीगत माल के आयात को साक्ष्यांकित/प्रमाणित करें;

(iii) ली गई क्रेता/आपूर्तिकर्ता के क्रेडिट व्यापार ऋण संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुरूप तथा आयातित माल विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की आयात संबंधी नीति के अनुरूप हो; और

(iv) प्रस्तावित बाह्य वाणिज्यिक उधार, बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी सभी अन्य मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुरूप हो ।

4. अत: उधारकर्ता केवल तात्कालिक वित्त (ब्रिज फाइनान्स) लेते समय अनुमोदन मार्ग के तहत रिज़र्व बैंक से संपर्क करेंगे, जिसकी जाँच पैरा 2 (i) और (ii) में वर्णित शर्तों के अधीन की जाएगी ।

5. नामित प्रा​धिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इन निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी करेंगे तथा भारत स्थित बैंक/ बैंकों को इस बाबत किसी प्रकार की गारंटी देने की अनुम​ति नहीं होगी । बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी सभी अन्य शर्तें यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अव​धि, अंतिम उपयोग, स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष अधिकतम अनुमत बाह्य वाणिज्यिक उधार, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बनी रहेंगी तथा उनका अनुपालन करना होगा ।

6. संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार नी​ति तत्काल प्रभाव से लागू और किसी भी समय समीक्षा किए जाने के अधीन है ।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीया,

(रश्मि फौजदार)
मुख्य महाप्रबंधक

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