बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)–इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए तात्कालिक वित्त (Bridge Finance) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)–इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए तात्कालिक वित्त (Bridge Finance)
भारिबैंक/2011-12/200 23 सितंबर 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/ महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)–इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (प्रा. व्या. श्रेणी I) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2000, तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित समय-समय पर यथा संशोधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.05 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की खास जरूरतों पर विचार करते हुए भारत सरकार के परामर्श से बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की गयी है और यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी वर्तमान दिशानिर्देशों में यथा परिभाषित 'इंफ्रास्ट्रक्चर' के तहत आनेवाले इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को अनुमोदन मार्ग के तहत तात्कालिक वित्तीय सहायता/ब्रिज लोन के स्वरुप के अल्पावधि ऋण लेकर (क्रेता/ आपूर्तिकर्ता साख/क्रेडिट सहित) पूँजीकृत वस्तुओं का आयात करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी जांए: (i) तात्कालिक वित्त (ब्रिज लोन), दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार से, प्रतिस्थापित किया जाएगा; (ii) दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मानदंडों के अनुरुप होंगे; और (iii) दीर्घावधि बाह्य वाणिज्यिक उधार से तात्कालिक वित्त के पुनर्स्थापन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया गया हो । 3. नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इन निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी करेंगे तथा भारत स्थित बैंक/ बैंकों को इस बाबत किसी प्रकार की गारंटी देने की अनुमति नहीं होगी । नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक आयात पत्र से पूंजीगत माल के आयात को साक्ष्यांकित/प्रमाणित करेंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी अन्य शर्तें यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बनी रहेंगी तथा उनका अनुपालन करना होगा । 4. संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति तत्काल प्रभाव से लागू और वे किसी भी समय समीक्षा किए जाने के अधीन है । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौजदार) |