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विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता (EEFCA), डायमंड डालर खाता (DDA) और निवासी विदेशी मुद्रा खाता (RFCA) – दिशानिर्देशों की समीक्षा

भारिबैंक/2012-13/151
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 12

31 जुलाई 2012

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता (EEFCA), डायमंड डालर
खाता (DDA) और निवासी विदेशी मुद्रा खाता (RFCA) – दिशानिर्देशों की समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 30 नवंबर 2006 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.15 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सभी विदेशी मुद्रा अर्जकों को अपने विदेशी मुद्रा अर्जन की 100% राशि भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते (EEFC account) में रोक रखने की अनुमति दी गयी थी । उसके बाद 10 मई 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.124 में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह विनिर्दिष्ट किया गया था कि विदेशी मुद्रा अर्जक अपने भावी सभी विदेशी मुद्रा अर्जनों के संबंध में अपने विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में निर्यात से आयी अपनी आय में से केवल 50% राशि को विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में रोक रखने के लिए पात्र होगा और शेष 50% राशि को रुपए शेष में बदलने के लिए सुपुर्द करना होगा । यह शर्त, आवश्यक परिवर्तनों सहित, डायमंड डालर खातों और निवासी विदेशी मुद्रा खातों पर भी लागू की गयी थी । इसके अलावा, 18 जुलाई 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 8 के अनुसार, निवासी विदेशी मुद्रा खाते 10 मई 2012 के उल्लिखित परिपत्र की उक्त शर्त के दायरे से बाहर निकाल लिए गये थे ।

2. परिचालनगत सुविधा को ध्यान में रखते हुये उक्त विनिमयों की समीक्षा की गयी है । अब यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खातों में विदेशी मुद्रा अर्जनगत आय की 100% रशि को जमा रखने की पूर्व निर्धारित शर्त को बहाल कर दिया जाए, बशर्ते उक्त खाते में कैलेण्डर माह के दौरान उपचित कुल राशि में से अनुमोदित प्रयोजनों या वायदा प्रतिबध्दताओं की राशि को समायोजित कर शेष रही राशि अनुवर्ती माह के अंतिम दिन या उससे पूर्व रुपए में परिवर्तित की जाए । तदनुसार, विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में 31 जुलाई 2012 को रहे जमाशेष और वे शेष जो माह के दौरान खाते में 1 अगस्त 2012 से उपचित होंगे, वे 30 सितंबर 2012 को कारोबार की समाप्ति पर या उससे पूर्व रुपए में परिवर्तित किए जाएंगे । उपचित राशि के लिए यही प्रक्रिया अनुवर्ती महीनों हेतु अपनायी जाएगी ।

3. उल्लिखित विनिर्देशन आरएफसी (Domestic) एवं डीडीए खातों के लिए भी लागू होंगे ।

4. उल्लिखित परिपत्रों में दी गयी सभी अन्य शर्ते अपरिवर्तित बनी रहेंगी ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक

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