माल और सेवाओं का निर्यात निर्यात मूल्य की राशि की वसूली और भारत को प्रत्यावर्तन-उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात निर्यात मूल्य की राशि की वसूली और भारत को प्रत्यावर्तन-उदारीकरण
भारिबैंक/2007-08/354 3 जून 2008 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय माल और सेवाओं का निर्यात प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान 3 मई,2000 की अधिसूचना सं.फेमा 23/2000-आरबी.के उप-विनियम(1)की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार निर्यातित माल या सॉफटवेयर के संपूर्ण निर्यात मूल्य की राशि निर्यात की तिथि से छ: महीने के भीतर वसूलकी जाएगी और भारत को प्रत्यावर्तित की जानी चाहिये। 2. निर्यातकों/व्यापारिक संगठनों से रिज़र्व बैंक को बाह्य परिवेश देखते हुए निर्यात प्राप्तियों की वसूली अवधि को निर्धारित अवधि से और आगे बढ़ाने के पत्र प्राप्त हो रहे हैं । अत: भारतर सरकार के परामर्श, वर्ष 2008-09 के वार्षिक नीति विवरण (पैरा 134 ) में घोषित किया गया है कि एक वर्ष बाद समीक्षा की शर्त के अधीन निर्यातित माल या सॉफटवेयर के संपूर्ण निर्यात मूल्य की राशि की वसूली और भारत को प्रत्यावर्तित करने की अवधि 6 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी जाये । विशेष आर्थिक अंचल की इकाई द्वारा तथा इसके साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक की अनमति से भारत के बाहर गोदामों को निर्यातित माल या सॉफटवेयर के संपूर्ण निर्यात मूल्य की राशि की वसूली और भारत को प्रत्यावर्तित करने की अवधि संबंधी प्रावधान अपरिवर्तित रहेंगे । 3. 3 मई,2000 की अधिसूचना सं.फेमा 23/2000-आरबी.[ विदेश मुद्रा प्रबंध( माल और सेवाओं का निर्यात) विनयमावली, 2000] में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है । भवदीय (सलीम गंगाधरन) |