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भारतीय रुपये में मूल्य वर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) – भारतीय रुपये को संग्रहीत करना

भारिबैंक/2014-15/608
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 103

21 मई 2015

सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

भारतीय रुपये में मूल्य वर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) – भारतीय रुपये को संग्रहीत करना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथासंशोधित (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. 25/आरबी-2000) 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 और 29 दिसंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 63 तथा 3 सितंबर 2014 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 25 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. 3 सितंबर 2014 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 25 के अनुसार, मान्यता प्राप्त अनिवासी बाह्य वाणिज्यिक उधारदाता भारतीय रुपये में ऋण दे सकता है बशर्ते उधारदाता ने, अन्य बातों के साथ-साथ, भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक के साथ स्वैप के जरिये भारतीय रुपये संग्रहीत किए हों। समुद्रपारीय उधारदाता को भारतीय रुपये में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार देने में सुविधा रहे, एतदर्थ अब यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे उधारदाता अपने समुद्रपारीय बैंक के साथ स्वैप संबंधी करार कर सकते हैं, जो इस अनुक्रम में भारत के किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक के साथ बैक-टू-बैक स्वैप संबंधी लेनदेन का करार निम्नलिखित प्रक्रिया के अंतर्गत कर सकते हैं –

  1. मान्यताप्राप्त अनिवासी उधारदाता भारतीय रुपये में मूल्यवर्गीकृत अंतर्निहित बाह्य वाणिज्यिक उधार के साक्ष्य के रूप में उचित दस्तावेज़ के साथ समुद्रपारीय बैंक से इस अनुरोध के साथ संपर्क करता है कि भारतीय उधारकर्ता को आगे उधार देने के लिए वह स्वैप दर पर भारतीय रुपये का संग्रह करना चाहता है।

  2. इस क्रम में ग्राहक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के साथ समुद्रपारीय बैंक स्वैप दर के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक से संपर्क करता है, जिससे भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस बात से स्वयं को संतुष्ट कर सकता है कि उसमें बाह्य वाणिज्यिक उधार भारतीय रुपये में अंतर्निहित है (स्कैन की हुई प्रतियाँ स्वीकार्य होंगी) ।

  3. भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा एकमुश्त आधार पर अंतिम ग्राहक के संबंध में समुद्रपारीय बैंक से एक केवाईसी प्रमाणन दस्तावेज भी प्राप्त किया जाएगा।

  4. समुद्रपारीय बैंक से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर, भारत में प्राधिकृत व्यापारी बैंक भारतीय रुपये में अंतर्निहित बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में स्वयं को संतुष्ट कर ले और समुद्रपारीय बैंक को सांकेतिक (indicative) स्वैप दर का प्रस्ताव करे जो तदनुक्रम में अनिवासी उधारदाता को बैक-टू-बैक आधार पर उसका प्रस्ताव करेगा।

  5. अंतर्निहित बाह्य वाणिज्यिक उधार की सतत मौजूदगी की शर्त के अधीन स्वैप जारी/बना रहेगा ।

  6. सौदे की तारीख को निपटान भारत में तदनुरूपी बैंक के पास रखे समुद्रपारीय बैंक के वोस्ट्रो खाते के मार्फत किए जा सकते हैं।

  7. भारतीय रुपये में मूल्यवर्गीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार की हेजिंग को विनियमित करने वाले 29 दिसंबर 2011 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 63 के संलगनक में निहित सभी परिचालनीय दिशानिर्देश, शर्ते, आवश्यक परिवर्तनों सहित, लागू होंगी ।

  8. संबन्धित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक सभी संबन्धित दस्तावेजों को रेकॉर्ड में रखेगा ताकि रिज़र्व बैंक उनका सत्यापन कर सके।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने अपने घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं ।

4. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(आर. सुब्रमणियन)
मुख्य महाप्रबंधक

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