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विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) लेना - आरबीआई - Reserve Bank of India

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विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) लेना

भारिबैंक/2011-12/204
ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.29

26 सितंबर 2011

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) लेना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (प्रा.व्या.श्रेणी -।) बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.3/2000-आरबी द्वारा यथा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2000, समय समय पर यथा संशोधित तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित समय-समय पर यथा संशोधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी नीति के अनुसार, स्वचालित मार्ग के तहत 'मान्यताप्राप्त उधारदाता' के रूप में पात्र समझे जाने के लिये 'विदेशी ईक्विटी धारक' की उधारकर्ता कंपनी में चुकता (पेड) ईक्विटी की न्यूनतम धारिता नीचे दीये गये विनिर्देशानुसार होनी चाहिए:

(i) 5 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए – उधारदाता द्वारा       न्यूनतम 25 प्रतिशत चुकता ईक्विटी का प्रत्यक्ष/सीधे धारण,

(ii) 5 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए – उधारदाता द्वारा न्यूनतम 25 प्रतिशत चुकता ईक्विटी का प्रत्यक्ष/सीधे धारण तथा ऋण-ईक्विटी अनुपात 4:1 से अधिक न हो (अर्थात् प्रस्तावित बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रत्यक्ष विदेशी ईक्विटी धारिता के चार गुने से अधिक न हो)।

3. इस संबंध में नीति को और युक्तियुक्त बनाने के लिए, निम्नलिखित स्पष्टीकरण जारी किये जा रहे हैं:-

(i) अबसे ऋण-ईक्विटी अनुपात में "ऋण" शब्द का स्थान "बाह्य वाणिज्यिक उधार देयता" शब्द लेंगे तथा अनुपात शब्द को " बाह्य वाणिज्यिक उधार देयता"- ईक्विटी अनुपात के नाम से जाना जाएगा ताकि यह पारिभाषिक शब्द सही अर्थ (स्थिति) को ध्वनित कर सके क्योंकि इस अनुपात की गणना करने में अन्य उधारों/ऋणों पर विचार नहीं किया जाता है;

(ii) मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत, प्रत्यक्ष विदेशी ईक्विटी धारकों द्वारा 5 मिलियन अमरीकी डालर के बाह्य वाणिज्यिक उधार या उससे अधिक के ऐसे उधार के लिए ईक्विटी की गणना करने के प्रयोजन हेतु विदेशी ईक्विटी धारक द्वारा अभिदत्त (कंट्रीब्यूट की गयी) चुकता पूंजी हिसाब में ली जाती है। अबसे चुकता पूंजी के अलावा, नवीनतम लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार मुक्त आरक्षित निधि (विदेशी मुद्रा में प्राप्त शेयर प्रीमियम सहित) के आकलन हेतु विदेशी ईक्विटी धारक की ईक्विटी की गणना के लिए भी इसे हिसाब में लिया जाएगा । जहाँ उधार लेने वाली कंपनी में एक से अधिक विदेशी ईक्विटी धारक हैं, वहाँ संबंधित उधारदाता(ओं) द्वारा विदेशी मुद्रा में लाए गए शेयर प्रीमियम के अंश ही अनुमत बाह्य वाणिज्यिक उधार राशि की गणना के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार देयता-ईक्विटी अनुपात हेतु शामिल किए जाएंगे;

(iii) बाह्य वाणिज्यिक उधार देयता की गणना के लिए न केवल प्रस्तावित उधार को हिसाब में लिया जाएगा बल्कि उसी विदेशी ईक्विटी धारक उधारदाता से लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार की बकाया राशि भी शामिल की जाएगी।

अतिरिक्त दिशानिर्देश

4. पात्र उधारकर्ताओं के लाभ/हित के लिए भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी ईक्विटी धारकों (प्रत्यक्ष/परोक्ष) और ग्रुप कंपनियों से बाह्य वाणिज्यिक उधार के प्रस्तावों पर अनुमोदन मार्ग के तहत निम्नवत विचार किया जाए:-

(i) होटलों, अस्पतालों और साफ्टवेयर क्षेत्र के अलावा सेवा-क्षेत्र की अन्य इकाइयों को भी पात्र उधारकर्ता माना जा सकता है, यदि ऋण विदेशी ईक्विटी धारकों से प्राप्त किया जाता है। इससे प्रशिक्षण संस्थाओं, अनुसंधान और विकास, विविध सेवा-क्षेत्र की कंपनियों, आदि को उधार लेने में सुविधा होगी;

(ii) अप्रत्यक्ष ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने पर विचार किया जा सकता है बशर्ते उधारदाता भारतीय कंपनी में अप्रत्यक्ष ईक्विटी के कम से कम 51% का धारक हो; और

(iii) ग्रुप कंपनी से भी बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति दी जा सकती है बशर्ते उधारकर्ता और विदेशी उधारदाता एक ही मूल/पितृ कंपनी की सहायक कंपनियाँ हों।

5. इन प्रस्तावों को प्रस्तुत करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि विदेशी ईक्विटी उधारदाता से बाह्य वाणिज्यिक उधार की बकाया रकम (प्रस्तावित बाह्य वाणिज्यिक उधार की राशि सहित) उधारदाता की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों ही प्रकार से ईक्विटी धारण के 7 गुने से अधिक न हो (ग्रुप कंपनी के मामले में एक ही मूल/पितृ कंपनी द्वारा धारण की गई ईक्विटी शामिल की जाएगी)।

6. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू यथा स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी अनुमत अधिकतम अनुमत सीमा, पात्र उधारकर्ता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार हेतु पुनर्वित्तीय सहायता तथा रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बने रहेंगे।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

8. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(रश्मि फौजदार)
मुख्य महाप्रबंधक

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