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बाह्य वाणिज्य उधार (इसीबी)

आरबीआई/2008-09/517
एपी (डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.71

30 जून 2009

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

बाह्य वाणिज्य उधार (इसीबी)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - 1 (ए.डी. श्रेणी - 1) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्य उधार (इसीबी) से संबंधित 2 जनवरी 2009  के   ए.पी. (डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं. 46 की ओर आकर्षित किया जाता है  ।

2.समीक्षा किये जाने पर, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्य उधार नीति के कुछ पहलुओं में निम्नवत् संशोधन किया जाए :

(i) समेकित नगर-रचना के लिए बाह्य वाणिज्य उधार

वर्तमान नीति के अनुसार,  डीआइपीपी, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी 04 जनवरी 2002 की प्रेस नोट 3(2002सिरीज) में यथा परिभाषित समेकित नगर - रचना के विकास में लगी कंपनियों को जून 2009 तक अनुमत मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए अनुमति दी गयी थी  । प्रचलित  नियमों तथा शर्तों  की समीक्षा करने पर,यह निर्णय लिया गया है कि उक्त अनुमति अनुमत मार्ग के तहत 31 दिसंबर 2009 तक प्रदान की जाए । उपर्युक्त ए.पी. (डीआइआर सिरीज)परिपत्र में  वर्णित अन्य सभी शर्तें यथावत्  बनी रहेंगी ।

(ii) गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र के लिए बाह्य वाणिज्य उधार

मौजूदा बाह्य वाणिज्य उधार नीति के अनुसार, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों  (एनबीएफसीएस) को,   अनुमत मार्ग के तहत मूलभूत संरचना क्षेत्र में उधारकर्ताओं को आगे उधार देने के लिए बहुपक्षीय / क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं  और सरकार के स्वामित्व की विकास वित्तीय संस्थाओं से बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए अनुमति दी गयी थी  बशर्ते उपर्युक्त उधारदाताओं  का प्रत्यक्ष उधार पोर्टफोलियो गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों  को उनके कुल बाह्य वाणिज्य उधार की तुलना में किसी भी समय  3:1 (3 और 1 के अनुपात) से कम नहीं होना चाहिए । अब यह निर्णय लिया गया है कि 1 जुलाई 2009 से यह शर्त हटा दी जाए । तथापि, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा  पहले की तरह अनुमत मार्ग के तहत प्रस्तावों  की जांच की जाती रहेंगी ।

(iii) विशेष आर्थिक क्षेत्र के  विकास के लिए बाह्य वाणिज्य उधार

वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाह्य वाणिज्य उधार  मूलभूत संरचना क्षेत्र, जिसकी परिभाषा (i) बिजली (ii)  दूर संचार   (iii)  रेलवे  (iv) पूलों सहित रास्ते  (v) बंदरगाह और हवाई अड्डे  (vi)  औद्यौगिक पार्क (vii)  शहरी बुनियादी सुविधाएं ( जल-आपूर्ति, स्वच्छता और जल-मल-निकासी परियोजनाएं )और  (viii)  खनन, परष्किरण और अन्वेषण के रुप में है , के लिए अनुमत है  ।साथ ही, विशेष आर्थिक क्षेत्र  में  ईकाईयों को उनकी अपनी आवश्यकताओं के लिए  बाह्य वाणिज्य उधार  लेने के लिए अनुमति दी गयी है । तथापि, बाह्य वाणिज्य उधार  विशेष आर्थिक क्षेत्र  के विकास के लिए अनुमत नहीं है । अब यह निर्णय लिया गया है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र विकासकों  को भी बाह्य वाणिज्य उधार  नीति में यथा परिभाषित विशेष आर्थिक क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं देने के लिए अनुमत मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार  लेने के लिए अनुमति दी जाए । तथापि, विशेष आर्थिक क्षेत्र में समेकित नगर-रचना और वाणिज्य  स्थावर संपदा के विकास के लिए बाह्य वाणिज्य उधार  लेने के लिए  अनुमति नहीं दी जाएगी ।

(iv)  कंपनियां ,जिनकी जांच की जा रही है

वर्तमान में, बाह्य वाणिज्य उधार  नीति ऐसी कंपनियों  द्वारा बाह्य वाणिज्य उधार  लेने संबंधी सुस्पष्ट नहीं है , जिन्होंने वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार  नीति का उल्लंघन किया है और जिनकी रिज़र्व बैंक/प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही है । यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसी कंपनियां, जिन्होंने वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार  नीति का उल्लंघन किया है और जिनकी रिज़र्व बैंक/प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही है, स्व-चालित मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार के लिए  अनुमति नहीं दी जाएगी । ऐसी कंपनियों द्वारा बाह्य वाणिज्य उधार के लिए अनुरोध पर अनुमत मार्ग के तहत विचार किया जाएगा ।

3. बाह्य वाणिज्य उधार दिशा- निर्देशों में संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्य उधार नीति के सभी अन्य पहलू , जैसे स्व-चालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार का पुन:वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था यथावत् रहेंगी ।

4. 3 मई 2000  की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी अर्थात्   विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा उधार लेना और देना) विनियम 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जाएंगे ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी  - 1 बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी ग्राहकों  को अवगत करा दें ।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये है और अन्य किसी  कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर  है ।

भवदीय

( सलीम गंगाधरन )
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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