बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति
आरबीआइ/2009-10/292 25 जनवरी 2010 सेवा में महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 01 अगस्त 2005 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.05, 22 अगस्त,2008 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.26 और स्पेक्ट्रम-विनिधान के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में जारी, 09 दिसंबर,2009 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.19 के पैरा 2(v) की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वर्तमान नीति के अनुसार, दूर संचार क्षेत्र के पात्र उधारकर्ताओं को स्पेक्ट्रम-विनिधान के भुगतान के प्रयोजन से,बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति है । एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर बहुत बड़ी मात्रा में सीधे भारत सरकार को जाने वाली परिव्यय की धन राशि को देखते हुए बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में एक ही बार प्रयोजनपरक छूट देने का निर्णय लिया गया है । 3. तदनुसार, स्पेक्ट्रम-विनिधान का शुरू-शुरू में भुगतान अनुमोदन मार्ग अंतर्गत दीर्घकालिक बाह्य वाणिज्यिक उधार से किये जाने वाले वित्तपोषण से सफल बिल्डरों द्वारा रुपया-स्रोतों से निम्नलिखित शर्तों के तहत किया जाए :- i. बाह्य वाणिज्यिक उधार की उगाही,सरकार को आखिरी किश्त की अदायगी की तारीख से , 12 महीनों के भीतर की जाये । ii. नामित प्राधिकृत व्यापारी (एडी) श्रेणी-I बैंक , निधियों के प्रयोजनपरक उपयोग पर निगरानी रखें। iii. भारत में बैंकों को किसी तरह की गारंटी देने की अनमति नहीं दी जायेगी । iv. बाह्य वाणिज्यिक उधार की अन्य शर्ते जैसे कि पात्र उधार-कर्ता, मान्यता प्राप्त उधारदाता , समग्र लागत सीमा और औसत परिपक्वता आदि शर्तों का अनुपालन किया जाना चाहिए । 4. वर्तमान नीति के अनुसार, दूर संचार क्षेत्र के स्पेक्ट्रम-विनिधान के भुगतान का प्रस्ताव देने वाले पात्र उधारकर्ता अनुमोदन मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेना जारी रख सकते हैं । 5. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू जैसे कि स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत प्रति कंपनी , प्रति वित्तीय वर्ष 5000 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा , पात्र उधार-कर्ता, मान्यता प्राप्त उधारदाता , प्रयोजनपरक उपयोग , औसत परिपक्वता अवधि, पूर्व चुकौती , मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग प्रणाली आदि अपरिवर्तित रहेंगी । 6. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |