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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – जाँच के अधीन कंपनियां (Corporates)

भारिबैंक/2012-13/429
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 87

5 मार्च 2013

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति –
जाँच के अधीन कंपनियां (Corporates)

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 30 जून 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 71 और 22 सितंबर 2009 की फेमा अधिसूचना सं.3 (फेमा 197/2009-आरबी) के तीसरे संशोधन की ओर आकृष्ट किया जाता है ।

2. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, जो कंपनियां प्रवर्तन निदेशालय (DoE), आदि जैसी कानून लागू करने वाली एजेंसियों की जाँच के अधीन हैं, उन्हें स्वचालित मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति नहीं है। ऐसी कंपनियों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए किए गए अनुरोधों पर रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत मार्ग के तहत विचार किया जाता है।

3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा जाँच/न्याय निर्णय/अपील के लंबित होने के बावजूद तथा ऐसी जाँच/न्याय निर्णय/ अपील के परिणाम पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, मौजूदा मानदंडों के अनुसार सभी एंटिटीज को स्वचालित मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी जाए। तदनुसार, ऐसे सभी आवेदन, जहाँ उधारकर्ता कंपनी ने जाँच/न्याय निर्णय/अपील के लंबित होने/अनिर्णय के बारे में उल्लेख किया हो, वहाँ प्राधिकृत व्यापारी प्रस्ताव अनुमोदित करते समय अनुमोदन पत्र की प्रति संबंधित एजेंसियों को परांकित करते हुए उसकी सूचना देगा। ऐसे प्रस्तावों को अनुमोदन देते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिर्देशों के संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। स्वचालित मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति संबंधी बाह्य वाणिज्यिक उधार की राशि, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अव​धि, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था जैसे सभी अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे ।

5. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन 06 फरवरी 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 256/2013-आरबी के जरिये जारी किए गए हैं जो 26 फरवरी 2013 के जी.एस.आर.सं. 125 (ई) द्वारा अधिसूचित किए गए हैं।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(रूद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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