बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – उदारीकरण
भारिबैंक/2018-19/54 3 अक्तूबर 2018 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/ महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने’ से संबंधित समय-समय पर यथासंशोधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश संख्या 05 के पैराग्राफ 2.4.5, 2.4.6 तथा 2.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वर्तमान नीति के अंतर्गत कार्यशील पूंजी के प्रयोजन से ट्रैक-I तथा ट्रैक-II के अंतर्गत ईसीबी तब जुटाई जा सकती है ,जब ऐसी ईसीबी प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष इक्विटि-धारकों अथवा समूह कंपनी से जुटाई गई हो बशर्ते उक्त ऋण 5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता के लिए हो। भारत सरकार के साथ परामर्श कर, यह निर्णय लिया गया है कि उक्त प्रावधान को अधिक उदार बनाया जाए तथा सरकारी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को कार्यशील पूंजी हेतु स्वचालित मार्ग के अंतर्गत सभी मान्यताप्राप्त उधारदाताओं से 3/5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि के लिए ईसीबी जुटाने की अनुमति दी जाए। 3. साथ ही, इस व्यवस्था के अंतर्गत लिए गए उधार के लिए ईसीबी ढांचे के अंतर्गत 750 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा समतुल्य राशि की व्यक्तिगत सीमा तथा अनिवार्य हेजिंग अपेक्षाओं से भी छूट दी गई है। तथापि ऐसे ईसीबी के लिए तेल विपणन कंपनी (ओएमसी) के पास बोर्ड द्वारा अनुमोदित विदेशी मुद्रा को बाज़ार दर पर अंकित करने की क्रियाविधि तथा विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंध नीति होनी चाहिए । 4. इस प्रकार की ईसीबी के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर के समतुल्य राशि की समग्र सीमा होगी तथा उक्त सुविधा इस परिपत्र की तारीख से लागू होगी। बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 5. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 5 के संबंधित पैराग्राफ को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं। भवदीय (अजय कुमार मिश्र) |