बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति- उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति- उदारीकरण
आरबीआई/2008-09/460 28 अप्रैल 2009 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति- उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। (एडी श्रेणी -।)बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) संबंधी 2 जनवरी 2009 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.46 की ओर आकर्षित किया जाता है और उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 2 के अनुसार, यह निर्णय लिया गया था कि 30 जून 2009 तक अनुमत मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार पर समग्र -लागत -सीमा की अपेक्षा को समाप्त कर दिया जाए।तदनुसार, विनिर्दिष्ट समग्र -लागत -सीमा से अधिक बाह्य वाणिज्य उधार लेने के प्रस्ताव वाले पात्र उधारकर्ता अनुमत मार्ग के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकते हैं । 2. वार्षिक नीति विवरण 2009-10 के पैराग्राफ 107 में यथा घोषित और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैले ऋण पर लगातार बने दबाव को ध्यान में धरखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 31 दिसंबर 2009 तक अनुमत-मार्ग के तहत समग्र -लागत -सीमा में रियायत प्रदान की जाए । दिसंबर 2009 में इस रियायत की समीक्षा की जाएगी । 3. बाह्य वाणिज्य उधार दिशा- निर्देशों में संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्य उधार नीति के सभी अन्य पहलू , जैसे स्वचालित-मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष ,प्रति कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार का पुन:वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था यथावत् रहेंगी । 4. 3 मई 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा उधार लेना और देना) विनियम 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जाएंगे । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है । भवदीय सलीम गंगाधरन |