बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति- उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति- उदारीकरण
भारिबैंक/2009-10/311 09 फरवरी 2010 सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) नीति- उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I)बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी द्वारा समय समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना)विनियमावली, 2000 और बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) से संबंधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) क्रियाविधि के अनुसार, सांख्यिकीय और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआइएम), रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीकरण संख्या (एलआरएन) प्राप्त करने के बाद बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) की शर्तों में परिवर्तन के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन अपेक्षित है । तदनुसार, आहरण द्वारा कमी/चुकौती कार्यक्रम, उधार की मुद्रा और पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक में परिवर्तन, उधारकर्ता कंपनी का नाम, आदि जैसी शर्तों में किसी परिवर्तन के लिए उधारकर्ताओं से प्राप्त अनुरोध आवश्यक अनुमोदन के लिए रिज़र्व बैंक को प्रेषित किये जाते हैं । 3. वर्तमान क्रियाविधि सरल बनाने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्य उधार उधारकर्ताओं से प्राप्त निम्नलिखित अनुरोध के अनुमोदन के लिए पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को विनिर्दिष्ट शर्तों पर अधिकार प्रदान किये जाएं : क) आहरण द्वारा कमी/चुकौती कार्यक्रम में परिवर्तन/संशोधन पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक पहले ही लिये गये बाह्य वाणिज्य उधारों के आहरण द्वारा कमी/चुकौती कार्यक्रम में परिवर्तन/आशोधन, अनुमत तथा स्व-चालित दोनों मार्गों के तहत अनुमोदित कर सकते हैं बशर्ते ऋण पंजीकरण संख्या (एलआरएन) प्राप्त करते समय की गयी घोषणा के अनुसार औसत परिपक्वता अवधि बरकरार रखी जाती है। आहरण द्वारा कमी/चुकौती कार्यक्रम में परिवर्तन सांख्यिकीय और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआइएम), रिज़र्व बैंक को फॉर्म 83 में तत्परता से सूचित किये जाने चाहिए । तथापि, बाह्य वाणिज्य उधार की मूल परिपक्वता की समाप्ति पर चुकौती में कोई विस्तार/पुनर्निर्धारण के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन अपेक्षित होगा। ख) उधार की मुद्रा में परिवर्तन पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अनुमत तथा स्व-चालित दोनों मार्गों के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्य उधारों के संबंध में उधारकर्ता द्वारा, यदि वे चाहते हैं, तो उधार की मुद्रा में परिवर्तन कर सकते हैं बशर्ते बाह्य वाणिज्य उधार की सभी अन्य शर्ते यथावत् रहती हैं। तथापि, पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंकों ने यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उधार की प्रस्तावित मुद्रा निर्बाध रुप से परिवर्तनीय है। ग) प्राधिकृत व्यापारी बैंक में परिवर्तन पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, उधारकर्ता कंपनी द्वारा बाह्य वाणिज्य उधारों से संबंधित उनके लेनदेन करने के लिए मौजूदा पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक में परिवर्तन,मौजूदा पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र तथा समुचित जांच-पड़ताल की शर्त पर अनुमत कर सकते हैं। घ) उधारकर्ता कंपनी के नाम में परिवर्तन पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, कंपनी रजिस्ट्रार द्वारा जारी नाम में परिवर्तन का सबूत प्रस्तुत करने की शर्त पर उधारकर्ता कंपनी के नाम में परिवर्तन की अनुमति दे सकते हैं। 4. बाह्य वाणिज्य उधार दिशा- निर्देशों में संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। बाह्य वाणिज्य उधार नीति के सभी अन्य पहलू, जैसे स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार का पुन:वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था यथावत् रहेंगी। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय सलीम गंगाधरन |