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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – तर्कसंगत बनाना तथा उसका उदारीकरण

भा.रि.बैंक/2017-18/169
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.25

27 अप्रैल 2018

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – तर्कसंगत बनाना तथा उसका उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I(एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने’ से संबंधित समय-समय पर यथासंशोधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 05 की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. अपनी पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार का लाभ उठाने की योजना बनाने वाले कॉर्पोरेट्स तथा अन्य संस्थाएं ईसीबी के विद्यमान ढांचे में छूट के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से संपर्क कर रहे हैं। प्राप्त अनुरोधों तथा ईसीबी व्यवस्था के प्रबंधन से प्राप्त अनुभव के परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार के साथ परामर्श कर, यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा ईसीबी दिशा-निर्देशों को निम्नानुसार और तर्कसंगत तथा उदारीकृत बनाया जाए:

(i) सभी ट्रैक तथा रुपये में मूल्यवर्गित बॉन्ड (आरडीबी) के अंतर्गत ईसीबी के लिए समग्र लागत को तर्कसंगत बनाना :

विदेशी मुद्रा तथा रुपया ईसीबी तथा आरडीबी के विद्यमान प्रावधानों को सुसंगत बनाने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि बेंचमार्क दर के ऊपर 450 बेसिस पॉइंट्स की एक समान समग्र लागत सीमा निर्धारित की जाए। ट्रैक-I तथा ट्रैक-II के लिए बेंचमार्क दर होगी 6 महीने की यूएसडी लाईबोर (अथवा संबंधित मुद्रा पर यथा लागू बेंचमार्क), और ट्रैक-III तथा आरडीबी के लिए तदनुरूपी परिपक्वता की भारत सरकार की प्रतिभूतियों के लिए प्रचलित प्रतिफल होगी।

(ii) ईसीबी देयता की तुलना में इक्विटि अनुपात प्रावधानों पर पुनः विचार करना:

यह निर्णय लिया गया है कि स्वचालित मार्ग के अंतर्गत प्रत्यक्ष विदेशी इक्विटि धारक से जुटाए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित ईसीबी देयता की तुलना में इक्विटि अनुपात को 7:1 तक बढ़ाया जाए। किसी संस्था द्वारा जुटाए गए सभी ईसीबी का जोड़ यदि 5 मिलियन अमरीकी डॉलर तक अथवा उसके समकक्ष है तो यह अनुपात लागू नहीं होगा।

(iii) ईसीबी के प्रयोजन से पात्र उधारकर्ताओं की सूची में विस्तार करना:

निम्नलिखित के लिए अनुमति प्रदान करने का निर्णय लिया गया है:

(ए) राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा विनियमित आवास वित्त कंपनियों को सभी ट्रैक के अंतर्गत ईसीबी का लाभ उठाने के लिए पात्र उधारकर्ता के रूप में। ऐसी संस्थाओं में बोर्ड अनुमोदित जोखिम प्रबंधन नीति होगी तथा वे ट्रैक-I के अंतर्गत जुटाए गए ईसीबी के संबंध में अपने ईसीबी एक्सपोजर को हर समय 100 प्रतिशत हेज करके रखेंगे।

(बी) महापत्तन न्यास अधिनियम, 1963 अथवा इंडियन पॉर्ट्स अधिनियम, 1908 के अंतर्गत गठित पोर्ट ट्रस्ट्स कंपनियों को सभी ट्रैक के अंतर्गत ईसीबी का लाभ उठाने के लिए पात्र उधारकर्ता के रूप में ऐसी संस्थाओं में बोर्ड अनुमोदित जोखिम प्रबंधन नीति होगी तथा वे ट्रैक-I के अंतर्गत जुटाए गए ईसीबी के संबंध में अपने ईसीबी एक्सपोजर को हर समय पर 100 प्रतिशत हेज करके रखेंगे।

(सी) रखरखाव, मरम्मत तथा जांच तथा मरम्मत (ओवरहौल) तथा माल भेजने का कारोबार करने वाली कंपनियाँ केवल भारतीय रुपये में मूल्यवर्गित ईसीबी जुटाएंगी।

(iv) ईसीबी के अंतिम-उपयोग से संबंधित प्रावधानों को तर्कसंगत बनाना:

वर्तमान में ट्रैक-I तथा उधारकर्ताओं की विशिष्ट श्रेणी के लिए एक सकारात्मक अंतिम-उपयोग सूची निर्धारित की गई है और ट्रैक II तथा III के लिए नकारात्मक/ प्रतिबंधात्मक अंतिम उपयोग सूची निर्धारित की गई है। अब यह निर्णय लिया गया है कि सभी ट्रैक्स के लिए केवल एक नकारात्मक/ प्रतिबंधात्मक (जिस सूची में शामिल मदों के लिए ईसीबी का उपयोग नहीं करना है) सूची बनाई जाए। सभी ट्रैक्स के लिए नकारात्मक सूची में निम्नलिखित को शामिल किया जाएगा:

(ए) भारत सरकार द्वारा अधिसूचित बुनियादी सुविधाएं उप- क्षेत्र की सुसंगत मास्टर सूची में परिभाषित किए गए अनुसार किफ़ायती दरों पर आवास, एसईज़ेड तथा औद्योगिक पार्क/ इंटिग्रेटेड टाउनशिप का निर्माण एवं विकास के लिए किए गए उपयोग को छोड़कर रियल इस्टेट में निवेश अथवा भूमि की खरीद।

(बी) पूंजी बाज़ार में निवेश

(सी) इक्विटि निवेश

जब ईसीबी को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष इक्विटि धारकों अथवा किसी समूह कंपनी से जुटाया गया हो तथा इस शर्त पर कि ऋण पांच वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता के लिए है, ऐसे मामलों को छोड़कर, ट्रैक I तथा III के लिए अतिरिक्त रूप से निम्नलिखित नकारात्मक/ प्रतिबंधित अंतिम उपयोग भी लागू होंगे:

(डी) कार्यशील पूंजी प्रयोजन

(ई) सामान्य कॉर्पोरेट प्रयोजन

(एफ़) रुपया ऋणों की चुकौती

अंततः सभी ट्रैक्स पर निम्नलिखित नकारात्मक/ प्रतिबंधात्मक अंतिम उपयोग भी लागू होंगे:

(जी) मद (ए) से (एफ़) तक के उपर्युक्त कार्यकलापों के लिए संस्थाओं को आगे उधार देना।

3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं॰ 5 के संबंधित पैराग्राफ को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

शेखर भटनागर
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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