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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - ईसीबी का पुनर्निर्धारण (Re-schedulement of ECB) - क्रियाविधि का सरलीकरण

भारिबैंक/2013-14/584
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.128

9 मई 2014

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - ईसीबी का पुनर्निर्धारण
(Re-schedulement of ECB) - क्रियाविधि का सरलीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 9 फरवरी 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.33 में अंतर्विष्ट अनुदेशों की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को, अनुमोदन और स्वचालित दोनों मार्गों के तहत पहले लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों में आहरण द्वारा कमी (drawdown)/चुकौती अनुसूची में परिवर्तनों/ आशोधनों को, अनुमोदित करने के अधिकार, उनमें निहित शर्तों के तहत, दिए गए हैं। तथापि, बाह्य वाणिज्यिक उधार की मूल परिपक्वता अवधि की समाप्ति पर चुकौती अवधि में विस्तार (elongation)/रोलओवर (rollover) के लिए रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन लेना अपेक्षित है।

2. मौजूदा क्रियाविधि को सरल बनाने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधारों में आहरण द्वारा कमी (drawdown) अनुसूची और/अथवा चुकौती अनुसूची में परिवर्तनों के कारण बाह्य वाणिज्यिक उधारों के पुनर्निर्धारण को अनुमोदित करने के अधिकार, निम्नलिखित शर्तों के तहत, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों में प्रत्यायोजित किए जाएं :

  1. समग्र लागत सीमा में परिवर्तन, यदि कोई, हो, जिसका एक मात्र कारण बाह्य वाणिज्यिक उधारों के पुनर्निर्धारण और कार्योत्तर पुनर्निर्धारण से औसत परिपक्वता अवधि में परिवर्तन हो, किन्तु समग्र लागत सीमा और औसत परिपक्वता अवधि लागू दिशानिर्देशों के अनुरूप हो। इससे ब्याज दर और लागत (विदेशी मुद्रा में/भारतीय रुपए में) में कोई अतिरिक्त वृद्धि नहीं होनी चाहिए।

  2. बाह्य वाणिज्यिक उधार की परिपक्वता से पहले केवल एक बार पुनर्निर्धारण (re- schedulement) की अनुमति दी जा सकती है।

  3. यदि उधारदाता घरेलू बैंक की कोई विदेशी शाखा हो, तो पुनर्निर्धारण के मामले में लागू विवेकपूर्ण मानदंडों का अनुपालन होना चाहिए।

  4. पुनर्निर्धारण के कारण हुए परिवर्तनों को, संशोधित फॉर्म 83 के मार्फत सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को रिपोर्ट किया जाना चाहिए।

  5. पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, समग्र लागत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, अंतिम उपयोग (end-uses), आदि के संबंध में लागू सभी दिशानिर्देशों का अनुपालन बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में होना चाहिए।

  6. उधारकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक की चूककर्ता/सतर्कता सूची में तथा प्रवर्तन निदेशालय की जांच के अधीन न हो।

3. यह सुविधा स्वचालित और अनुमोदन दोनों मार्गों के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के लिए उपलब्ध होगी। इस परिपत्र के उपबंध विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबी) पर लागू नहीं होंगे।

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति मेँ किए गए ये संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों और घटकों को अवगत कराएं ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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