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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति –हेजिंग संबंधी प्रावधानों की समीक्षा

भारिबैंक/2018-19/79
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.15

26 नवंबर 2018

सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति –हेजिंग संबंधी प्रावधानों की समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने’ से संबंधित समय-समय पर यथासंशोधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं. 05 के पैराग्राफ 2.4.2 तथा 2.5 तथा 6 नवंबर 2018 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.11 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार ट्रैक-I के अंतर्गत 3 तथा 5 वर्ष के बीच की न्यूनतम औसत परिपक्वता वाले विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गिकृत ईसीबी जुटाने वाले कतिपय पात्र उधारकर्ताओं को अपने ईसीबी एक्सपोजर को अनिवार्यतः पूर्ण रूप से हेज करना आवश्यक है।

2. मौजूदा प्रावधानों की पुनः समीक्षा करने के पश्चात, भारत सरकार के परामर्श से, यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त मास्टर निदेश के पैराग्राफ 2.4.2(vi) में दिए गए अनुसार पात्र उधारकर्ताओं द्वारा ईसीबी ढांचे के ट्रैक-I के अंतर्गत 3 तथा 5 वर्ष के बीच की परिपक्वता के लिए जुटाई गई ईसीबी के लिए अनिवार्य रूप से हेज कवरेज को 100 प्रतिशत से घटाकर 70 प्रतिशत किया जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाता है कि उक्त दायरे के अंतर्गत आने वाली किन्तु इस परिपत्र की तारीख से पूर्व जुटाई गई ईसीबी को अपने मौजूदा हेज को बकाया ईसीबी एक्सपोजर के केवल 70 प्रतिशत तक अनिवार्यतः बनाए रखना जारी रखा जाए ।

3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं॰ 5 के संबंधित पैराग्राफ को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीया

(वंदना खरे)
महाप्रबंधक

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