बाह्य वाणिज्यिक उधार – फॉर्म 83 को युक्तिसंगत बनाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार – फॉर्म 83 को युक्तिसंगत बनाना
भारिबैंक/2011-12/620 26 जून 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार – फॉर्म 83 को युक्तिसंगत बनाना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय - समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 3/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 और बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित 31 जनवरी 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 60 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि ऋण पंजीकरण संख्या लेने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए जाने वाले फॉर्म 83 को युक्तिसंगत बनाया जाए ताकि विगत अवधि में किए गए उदारीकरण और युक्तिकरण उपायों को प्रतिबिंबित किया जा सके। तदनुसार, 1 जुलाई 2012 से ऋण पंजीकरण संख्या लेने के इच्छुक उधारकर्ता संशोधित फॉर्मेट में फॉर्म 83 (अनुबंध ।) प्रस्तुत करें। औसत परिपक्वता अवधि की गणना करने के लिए मार्गदर्शन हेतु एक उदाहरण अनुबंध ॥ में दिया गया है। 3. बाह्य वाणिज्यिक उधार की सभी अन्य शर्तें यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था, अपरिवर्तित बनी रहेंगी और अनुपालित की जाएंगी । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |