RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79294778

बाह्य वाणिज्यिक उधार

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

एपी(डीआईआर सिरीज) परिपत्र क्र.36

नवंबर 14, 2003

प्रति
विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान सितंबर 5, 2000 और सितंबर 17, 2002 के क्रमानुसार ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 10 और 23 एवं भारत सरकार (वित्त मंत्रालय) की नवंबर 12, 2003 की प्रेस विज्ञप्ति एफ.सं.4(35)/2003-ईसीबी की ओर आकृष्ट किया जाता हैं ।

2. तदनुसार, हम वर्तमान ईसीबी नीति में, अगली समीक्षा तक, किए गए निम्नलिखित अस्थायीसंशोधनों की सूचना दे रहे हैं : -

i. उधारकर्ता की पात्रता

क) सितम्बर 5, 2000 ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र 10 के पैरा 3 के अनुसार, स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, कंपनी अधिनियम सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, सहकारी सोसाइटी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी जिसमें स्वामित्व/ साझेदारी प्रतिष्ठान शामिल हैं, बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते हैं । व्यक्ति, न्यास और सभी गैर लाभकमाऊ संगठन चाहे उनकी संवैधानिक प्रस्थिति कोई भी हो बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए पात्र नहीं रहेंगे । (सितंबर 17, 2002 का ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 23)। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया जाता है कि केवल सहकारी सोसाइटियाँ जिनका स्वरूप वाणिज्यिक है और जिनकी लेखा बहियाँ अद्यतन हैं एवं जिन्होंने बिना र्श्त सांविधिक लेखा परीक्षा के प्रावधानों का अनुपालन किया है, वाणिज्यिक उधार लेने के लिए पात्र होंगी ।

ख) कोई भी वित्तीय मध्यस्थ संस्था, नामत:, बैंक, विकास वित्तीय संस्था (डीएफआई)/ गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को स्वचालित मार्ग या भारतीय रिज़र्व बैंक मार्ग या सरकारी मार्ग के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति नहीं होगी ।

ii. गारंटी

किसी भी वित्तीय मध्यस्थ संस्था डनामत: बैंक विकास वित्तीय संस्था (डीएफआई) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफी) को समुद्रपारीय उधारदाता के समर्थन में उनके द्वारा उगाहे जानेवाले बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए अपने ग्राहकों की ओर से गारंटी देने की अनुमति नहीं होगी ।

iii. समग्र लागत की सीमा में संशोधन

किसी भी वाणिज्यिक उधार, सभी संबंधित मुद्रा के लिए जिसमें कि ऋण की उगाही की जा रही हो अथवा लागू बेंचमार्क, जैसा भी मामला हो, पर अधिकतम छह माह तक संशोधित निम्नलिखित लिबॉर लागू होगा : -

परियोजना की किस्म

वर्तमान (समग्र लागत)

संशेधित (समग्र लागत)

सामान्य परियोजना

300

150

ढांचा गत

400

250

दिर्घावधि

450

300

iv. अंतिम उपयोग

50 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति केवल निम्नलिखित अंतिम उपयोग के लिए होगी :-

क) उपस्कर आयात के लिए वित्तीय सहायता,
ख) ढांचागत परियोजनाओं की विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए

स्पष्ट किया जाता है कि बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिदेशों के आरतर्गत (जून 14, 2000 की सरकारी प्रेस विज्ञव्ति एफ सं.4(32)/2000-ईसीबी) निम्नलिखित क्षेत्र "ढांचागत क्षेत्र" के पात्र माने जाएंगे ।

(क)

बिजली

(ख)

दूरसंचार

(ग)

रेलवे

(घ)

पुलों सहित सड़कें

(ङ)

हवाई अड्डे

(च)

औद्यौगिक पार्क

(ज)

शहरी बुनियादी सुविधाएं- जल आपूति, स्वच्छता तथा जल-मल निकासी

वर्तमान दिशा-निर्देश , स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, बाह्य वाणिज्यिक उधारों पर लागू होंगे ।

(v) जोखिम से बचाव

उन मामलों में जहां पर कि स्वचालित मार्ग के अंतर्गत, रुपया खर्चों को पूरा करने के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधारों की उगाही की गई है , जब तक बिना बीमे के विदेशी मुद्रा प्राप्यों के रूप में स्वाभाविक हेजिंग न हो , प्राधिकृत व्यापारी को आहरण द्वारा गिरावट के समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उधारकर्ता का विदेशी मुद्रा के लिए जोखिम की हेजिंग की गयी है ।

(vi) बाह्य वाणिज्यिक उधार-आगमों को विदेश में रखना

प्रयोग न किये गये बाह्य वाणिज्यिक उधार से प्राप्त आय को  बकाया रहने तक विदेश में रखना होगा । इस संबंध में प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान "निधियों को विदेश में रखना " को नियंत्रित करने वाले क्रमश:13 जनवरी 2003 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज ) परिपत्र सं. 70 तथा 31 मई 2003 के ध ए.पी.(डीआईआर सिरीज ) परिपत्र सं. 104 की आकृष्ट किया जाता है।

3. उपर्युक्त संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे ।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना/देना ) विनियमावली , 2000 में संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों दे दें ।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन यदि कोई हो तो, उस पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

7. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें ।

भवदीय

(एफ.आर. जोसेफ)
मुख्य महा प्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?