फार्मास्युटिकल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
फार्मास्युटिकल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - स्पष्टीकरण
भारिबैंक/2013-14/567 21 अप्रैल 2014 सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - स्पष्टीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों का ध्यान 9 दिसंबर 2011 के ए॰पी॰ (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.56 तथा समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है। उल्लिखित अधिसूचना की अनुसूची 1 के अनुसार, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत ग्रीनफ़ील्ड निवेशों (Greenfield investments) में 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है तथा सरकारी अनुमोदित मार्ग के तहत ब्राउनफील्ड निवेशों (brownfield investments) में (अर्थात मौजूदा कंपनियों में निवेश) 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है। 2. फार्मास्युटिकल क्षेत्र से संबंधित मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की अब समीक्षा की गयी है और तत्काल प्रभाव से यह निर्णय लिया गया है कि `गैर प्रतियोगी उपबंध' (non-compete clause) की अनुमति न देने की शर्त सहित मौजूदा नीति, भारत सरकार, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) द्वारा विशेष परिस्थितियों में दिये गए अनुमोदन के सिवाय, जारी रहेगी । 3. इस संबंध में औद्द्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (DIPP), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी 8 जनवरी 2014 के प्रेस नोट सं॰1 (2014 सीरीज) की प्रतिलिपि संलग्न है। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत कराएं । 5. रिजर्व बैंक ने अब विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2014 के द्वारा इस विषय से संबंधित विनियमों को संशोधित कर दिया है जो 7 अप्रैल 2014 के जीएसआर सं. 270 (ई) के जरिए 3 मार्च 2014 की अधिसूचना सं.फेमा.296/2014-आरबी द्वारा अधिसूचित की गई है। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीय, (सी॰डी॰श्रीनिवासन) |