विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2015 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2015
भारिबैंक/2015-16/308 4 फरवरी 2016 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी और प्राधिकृत बैंक महोदया/महोदय, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर अचल संपत्ति प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 16 मई 2000 के ए.डी.(एम.ए. सीरीज़) परिपत्र सं. 11 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्राधिकृत व्यापारियों को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (जिसे इसके बाद अधिनियम कहा गया है) के अंतर्गत जारी विभिन्न नियमावलियों, विनियमावलियों, अधिसूचनाओं / निदेशों को सूचित किया गया था। समीक्षा करने पर यह आवश्यक समझा गया है कि समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली 2000 के तहत जारी विनियमों को संशोधित किया जाए। तदनुसार, भारत सरकार के परामर्श से, उक्त विनियमों का निरसन कर दिया गया है और उन्हें विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2015 से प्रतिस्थापित किया गया है। 2. इन विनियमों के अनुसार, भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा निम्नलिखित मामलों को छोडकर, भारत से बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण और अंतरण करने के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति आवश्यक होगी; ए) भारत में निवासी विदेशी नागरिक द्वारा भारत से बाहर धारित (held) संपत्ति; बी) किसी व्यक्ति द्वारा 8 जुलाई 1947 से पूर्व अथवा तक अर्जित संपत्ति जिसे रिज़र्व बैंक की अनुमति से धारित रखा गया है; सी) उपहार अथवा उत्तराधिकार के रूप में अर्जित संपत्ति;
डी) विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते रखना) विनियमावली, 2015 के अनुसार रखे गए निवासी विदेशी मुद्रा खाते में जमा निधियों से खरीदी गई संपत्ति; ई) किसी ऐसे रिश्तेदार, जो भारत से बाहर का निवासी है, के साथ संयुक्त रूप में अर्जित संपत्ति, बशर्ते इस बाबत भारत से निधियों का कोई बहिर्प्रवाह (outflow) न हो; एफ) भारत में निवासी किसी ऐसे व्यक्ति से संपत्ति का उत्तराधिकार अथवा उपहार में अर्जन जिसने ऐसी संपत्ति को उसके अर्जन के समय लागू विदेशी मुद्रा संबंधी उपबंधों के अनुसार उसे अर्जित किया हो। 3. कोई भारतीय कंपनी जिसके समुद्रपारीय कार्यालय हों, वह अपने व्यवसाय और आवासीय प्रयोजनों के लिए भारत से बाहर अचल संपत्ति का अर्जन (अधिग्रहण) कर सकती है, बशर्ते तत्संबंध में किए जाने वाले विप्रेषण प्रारंभिक एवं आवर्ती खर्चों के लिए क्रमश: निम्नलिखित सीमाओं से अधिक नहीं होंगे: ए) विगत दो वित्तीय वर्षों के दौरान भारतीय एंटिटी की औसत वार्षिक बिक्री/आय अथवा पण्यावर्त के 15% अथवा निवल मालियत के 25%, में से जो भी उच्चतर हो; बी) विगत दो वित्तीय वर्षों के दौरान भारतीय एंटिटी की औसत वार्षिक बिक्री/आय अथवा पण्यावर्त के 10% । 4. इन विनियमों के प्रयोजन हेतु, किसी व्यक्ति के रिश्तेदार का अभिप्राय उसके पति/उसकी पत्नी, भाई, अथवा बहन अथवा उसके पूर्वापर (lineal ascendant or descendant) वंशज/जों से है। 5. 21 जनवरी 2016 के जीएसआर सं. 95(ई) के जरिए 21 जनवरी 2016 की अधिसूचना सं. फेमा. 7(आर)/2015-आरबी के द्वारा नए विनियम अधिसूचित किए गए हैं और वे 21 जनवरी 2016 से लागू हैं। उपर्युक्त परिवर्तनों को सम्मिलित करने के लिए 2015-16 के मास्टर निदेश सं.12 (विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत अचल संपत्ति का अधिग्रहण (अर्जन) और अंतरण) को तदनुसार अद्यतन कर दिया गया है। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय, (बी. पी. कानूनगो) |