सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में अन्य प्रतिभूतियों में निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
भारिबैंक/2011-12/244 3 नवंबर 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदया/ महोदय, सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में अन्य प्रतिभूतियों में निवेश प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों (प्रा.व्या.श्रेणी I) का ध्यान 29 अप्रैल 2011 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 55 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश की सीमा 5 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़ाकर 25 बिलियन अमरीकी डालर की गयी थी। यह बढ़ोत्तरी इस शर्त के साथ दी गई कि ऐसे लिखतों की शेष परिपक्वता अवधि 5 वर्ष या उससे अधिक हो, निवेश के लिए अवरुद्धता अवधि 3 वर्ष हो और "इंफ्रास्ट्रक्चर" शब्द का अर्थ मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में यथा परिभाषित "इंफ्रास्ट्रक्चर" शब्द से है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान 9 अगस्त 2011 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 8 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशक का तात्पर्य उसमें परिभाषित अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशक से है और उन्हें मुचुअल फंड योजना की यूनिटों में 3 बिलियन अमरीकी डालर की सीमा तक निवेश करने की अनुमति दी गई है जो इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश की 25 बिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा के तहत है। 2. इस संबंध में समीक्षा करने पर निम्नलिखित निर्णय लिया गया है: i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनियों के रूप में वर्गीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों में भी 25 बिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा के तहत विदेशी संस्थागत निवेशकों को निवेश करने की अनुमति भी होगी। ii) 25 बिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा के तहत विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश में से 5 बिलियन अमरीकी डालर तक की सीमा के लिए अवरुद्धता अवधि तीन वर्ष से घटाकर एक वर्ष की जाती है। अवरुद्धता अवधि की गणना विदेशी संस्थागत निवेशक/कों द्वारा की गई प्रथम खरीद की तारीख से मानी जाएगी। iii) 5 वर्ष की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि एवं उल्लिखित विनिर्देशन अब से विदेशी संस्थागत निवेशक द्वारा लिखत की प्रथम खरीद के समय की मूल परिपक्वता अवधि के आधार पर मानी/गिनी जाएगी। iv) उल्लिखित मद सं. (i) और (iii) में दिए गए परिवर्तन मुचुअल फंड कर्ज (debt) योजनाओं की यूनिटों में अर्हता प्राप्त विदेशी संस्थागत निवेशक द्वारा किए गए निवेश/शों में से 3 बिलियन की सीमा में भी लागू होंगे। 3. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-‚आरबी द्वारा यथा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का निर्गम अथवा अंतरण) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से संबंधित अपने घटकों/ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीया, (मीना हेमचंद्र) |