भारत में विदेशी निवेश - पंजीकृत विदेशी संविभाग निवेशकों (FPI), सेबी के पास पंजीकृत दीर्घावधि निवेशकों और अनिवासी भारतीयों द्वारा भारतीय कंपनियों के अपरिवर्तनीय/मोचनीय अधिमानी शेयरों अथवा डिबेंचरों में सहभागिता
भारिबैंक/2013-14/632 6 जून 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत में विदेशी निवेश - पंजीकृत विदेशी संविभाग निवेशकों (FPI), सेबी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (मूल विनियमावली) की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs), अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs), पंजीकृत विदेशी संविभाग निवेशकों (RFPIs) और सेबी के पास पंजीकृत दीर्घावधि निवेशकों द्वारा प्रत्यावर्तनीय आधार पर सरकारी प्रतिभूतियां और भारतीय कंपनियों द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचर (NCDs)/ बांड, उनमें दी गई शर्तों और भारतीय रिज़र्व बैंक तथा सेबी द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट सीमाओं में, खरीदे जा सकते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs)/विदेशी संविभाग निवेशकों (FPIs), अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) और सेबी के पास पंजीकृत दीर्घावधि निवेशकों द्वारा कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में निवेश की वर्तमान सीमा 51 बिलियन अमरीकी डालर है। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 6 जनवरी 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 84 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार कंपनी अधिनियम के, यथा लागू, उपबंधों के तहत भारत में किसी न्यायालय द्वारा अनुमोदित व्यवस्था योजना के अंतर्गत भारतीय कंपनी को अपने जनरल रिज़र्व से एडीआर/जीडीआर धारकों के न्यासी के तौर पर कार्य करने वाली डिपाज़िटरीज सहित अनिवासी शेयरधारकों को अपरिवर्तनीय/मोचनीय अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर, आयकर प्राधिकारियों द्वारा आपत्ति नहीं होने की शर्त के अधीन, जारी करने की अनुमति दी गई है। 3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs), अर्हता प्राप्त विदेशी निवेशकों (QFIs) जिन्हें पंजीकृत विदेशी संविभाग निवेशक माना गया है, पंजीकृत विदेशी संविभाग निवेशकों (RFPIs), सेबी के पास पंजीकृत दीर्घावधि निवेशकों - सरकारी धन निधियों (SWFs), बहु उद्देश्यीय एजेंसियों, पेंशन/बीमा/धमादा निधियों, विदेशी केंद्रीय बैंकों को प्रत्यावर्तनीय आधार पर 6 जनवरी 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 84 के अनुसार कार्पोरेट कर्ज में 51 बिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा में निवेश करने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा, अनिवासी भारतीय भी प्रत्यावर्तनीय और अप्रत्यावर्तनीय दोनों में से किसी भी आधार पर उक्त अपरिवर्तनीय/मोचनीय अधिमानी शेयरों अथवा डिबेंचरों में निवेश कर सकते हैं। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों / ग्राहकों को अवगत कराएं। 5. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मूल विनियमावली में 30 मई 2014 के जीएसआर सं.371(ई) के मार्फत 22 मई 2014 की अधिसूचना सं. फेमा. 304/2014-आरबी के जरिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (पांचवां संशोधन) विनियमावली, 2014 द्वारा संशोधन कर दिए हैं। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (बी.पी.कानूनगो) |
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