अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय बोनस अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर जारी करना - स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय बोनस अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर जारी करना - स्पष्टीकरण
भारिबैंक/2013-14/428 6 जनवरी 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय बोनस अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर जारी करना - स्पष्टीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं फेमा. 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम (2ii) और विनियम 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार ईक्विटी शेयर, अनिवार्यत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयर और अनिवार्यत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रयोजनार्थ शेयरपूंजी के भाग माने जाते हैं। 2. कंपनी अधिनियम के, यथा लागू, उपबंधों के अंतर्गत किसी न्यायालय द्वारा अनुमोदित व्यवस्था योजना के तहत अनिवासी शेयरधारकों को सामान्य (जनरल) रिज़र्व से अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय बोनस अधिमानी शेयर जारी करने के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक को कुछ भारतीय कंपनियों से संदर्भ प्राप्त होते रहे हैं। अब तक रिज़र्व बैंक ऐसे मामलों में, मामले–दर-मामले के आधार पर, अनुमति प्रदान करता रहा है। समीक्षा करने पर एवं प्रक्रिया को तर्कसंगत तथा सरल बनाने के दृष्टिकोण से, यह निर्णय लिया गया है कि कंपनी अधिनियम के, यथा लागू, उपबंधों के तहत भारत में किसी न्यायालय द्वारा अनुमोदित व्यवस्था योजना के अंतर्गत भारतीय कंपनी अपने जनरल रिज़र्व से एडीआर/जीडीआर धारकों के न्यासी के तौर पर कार्य करने वाली डिपाज़िटरीज सहित अनिवासी शेयरधारकों को अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर आयकर प्राधिकारियों द्वारा आपत्ति नहीं होने की शर्त के अधीन जारी कर सकती है। 3. भारतीय कंपनियों को उल्लिखित सामान्य अनुमति जनरल रिज़र्व से केवल अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर बोनस के रूप में अनिवासी शेयरधारकों को जारी करने के लिए ही दी गई है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत अधिमानी शेयरों (अपरिवर्तनीय/प्रतिदेय अधिमानी शेयरों को छोड़कर) और परिवर्तनीय डिबेंचरों (आप्शनली परिवर्तनीय/अंशत: परिवर्तनीय डिबेंचरों को छोड़कर) का निर्गम अब तक की भांति 8 जून 2007 के ए.पी.(डीआई सीरीज़) परिपत्र सं.73 और 74 के अधीन होना जारी रहेगा। 4. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब विनियमावली में संशोधन कर दिया है और उसे 4 अक्तूबर 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 291/2013-आरबी के द्वारा अधिसूचित किया गया है जो 31 दिसंबर 2013 के जी.एस.आर. सं1 818(ई) द्वारा अधिसूचित की गयी है। 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय (रुद्र नारायण कर) |