गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में विदेशी निवेश – प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में विदेशी निवेश – प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना में संशोधन
भारिबैंक/2012-13/241 10 अक्तूबर 2012 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/ महोदय, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए क्षेत्र विशेष-शर्तों से संबंधित 28 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 137 के संलग्नक बी की क्रम सं. 24.2 के साथ पठित, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 1 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. सरकार से परामर्श करके यह निर्णय लिया गया है कि उल्लिखित परिपत्र की कतिपय शर्तों में संशोधन किया जाए। संशोधित शर्तें संलग्नक में दी गयी हैं। 3. 28 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 137 में क्रम सं. 24.2 में निहित अन्य सभी शर्तें यथावत बनी रहेंगी। 4. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संबंध में जारी 3 अक्तूबर 2012 के प्रेस नोट सं. 9 (2012 सीरीज) की प्रतिलिपि संलग्न है । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों / घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें। 6. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी) में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं । 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) 10 अक्तूबर 2012 का ए.पी.
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