परिचालन जोखिम के लिए पूंजी प्रभार की गणना हेतु मानकीकृत विधि (टीएसए) का कार्यान्वयन - आरबीआई - Reserve Bank of India
परिचालन जोखिम के लिए पूंजी प्रभार की गणना हेतु मानकीकृत विधि (टीएसए) का कार्यान्वयन
आरबीआइ/2009-10/372 31 मार्च 2010 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ महोदय परिचालन जोखिम के लिए पूंजी प्रभार की गणना कृपया 7 जुलाई 2009 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. 23/21.06.001/2009-10 का अवलोकन करें जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बैंकों को सूचित किया गया था कि वे 1 अप्रैल 2010 से परिचालन जोखिम के लिए मानकीकृत विधि तथा वैकल्पिक मानकीकृत विधि (एएसए) अपनाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 2. बासल II ढांचे में परिचालन जोखिम के पूंजी प्रभार की गणना की तीन विधियां दी गयी हैं जो उत्तरोत्तर रूप से अधिक परिष्कृत और जोखिम के प्रति अधिक संवेदनशील हैं । ये विधियां हैं - (i) मूल संकेतक विधि (बीआइए); (ii) मानकीकृत विधि (टीएसए); और (iii) उन्नत माप विधि (एएमए)। बीआइए का अनुसरण करने वाले बैंक सीधे एएमए अपना सकते हैं। तथापि, जैसा कि बैंकों को मालूम होगा, टीएसए के अंतर्गत परिचालन जोखिम प्रबंधन से संबंधित सभी गुणात्मक अपेक्षाएं एएमए की गुणात्मक अपेक्षाओं के अंग हैं । अत:, यदि कोई बैंक 2014 से पहले एएमए अपनाना नहीं चाहता, तो वह पहले टीएसए अपनाने पर विचार कर सकता है ताकि टीएसए के कार्यान्वयन के लिए किया गया कार्य एएमए की अपेक्षाओं को अंशत: पूरा करेगा, जब बैंक एएमए अपनाने पर विचार करेगा। इसी प्रकार, जिन बैंकों के पास पहले से ही विभिन्न कारोबार क्षेत्रों की सकल आय के तीन वर्ष के आँकड़े उपलब्ध हों, वे पहले टीएसए कार्यान्वित करने पर विचार कर सकते हैं। 3. टीएसए/एएसए से संबंधित दिशानिर्देश मुख्यतया बीसीबीएस दस्तावेज ‘पूंजी माप और पूंजी मानक पर अंतरराष्ट्रीय सहमति : जून 2006 (बासल II)’ पर आधारित हैं और उन्हें अनुबंध में प्रस्तुत किया गया है। 4. परिचालन जोखिम के लिए पूंजी प्रभार की गणना की मूल कार्यविधि वही है जो मूल संकेतक विधि (बीआइए) में थी क्योंकि परिचालन जोखिम के लिए सकल आय को ही एक्सपोज़र संकेतक माना गया है । तथापि, टीएसए में बैंक की गतिविधियों को आठ कारोबारी क्षेत्रों में वर्गीकृत (मैपिंग) करने की अपेक्षा है, जैसा कि दिशानिर्देशों के परिशिष्ट I में दर्शाया गया है । इसके अलावा, बैंकों को पचालन जोखिम प्रबंध के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करना होगा जिनमें प्रत्येक कारोबारी क्षेत्र की परिचालन हानि से संबंधित आँकड़ों को प्रस्तुत करना भी शामिल है, जैसा कि दिशानिर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है। 5. जो बैंक परिचालन जोखिम पूंजी के लिए टीएसए/एएसए अपनाना चाहते हैं वे 31 मार्च 2010 के बाद अनुबंध में दिये गये दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुपालन के समर्थन में एक आलेख के साथ औपचारिक आवेदनपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंपविवि.) को भेज सकते हैं । यह बात दोहरायी जाती है कि बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि वे टीएसए/एएसए अपनाने के साथ-साथ ऋण और बाज़ार जोखिमें की पूंजी गणना के लिए सरलतर विधियों का प्रयोग जारी रखें । भवदीय (बी. महापात्र) |