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आयात डेटा प्रॉसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS) - आरबीआई - Reserve Bank of India

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आयात डेटा प्रॉसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS)

भा.रि.बैंक/2016-17/78
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 05

06 अक्तूबर 2016

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक

महोदया/महोदय,

आयात डेटा प्रॉसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS)

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्रा.व्या. श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 5 के साथ पठित दिनांक 28 अप्रैल 2016 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र संख्या 65, माल के आयात के संबंध में भारत सरकार की दिनांक 03 मई 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर.381(ई) के मार्फत जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 तथा दिनांक 24 अगस्त 2000 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.09 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें आयात के लिए भुगतानका तरीका /प्रकार,प्रक्रिया और संबंधित विवरणियों के प्रस्तुतिकरण की रूपरेखा दी गई है।

2. कारोबार में सुगमता को बढ़ावा देने और आयात लेनदेनों के भुगतान हेतु एक कारगर डेटा प्रॉसेसिंग प्रणाली तैयार करने एवं इनकी प्रभावी निगरानी के उद्देश्य से सीमा-शुल्क प्राधिकारियों एवं अन्य सहभागियों के परामर्श से आयात डेटा प्रॉसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS) विकसित की गई है। IDPMS का ब्यौरा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को ऊपर उल्लिखित दिनांक 28 अप्रैल 2016 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 65 के माध्यम से सूचित किया गया था और साथ ही बैंकों से यह भी अनुरोध किया गया था कि वे अपनी सॉफ्टवेयर प्रणाली में विनिर्दिष्ट सूचना फार्मेट एवं तकनीकी विशेषताओं के अनुरूप आईडीपीएमएस के अंतर्गत डेटा जनरेट/प्रस्तुत करने के लिए प्रौद्योगिकी संबंधी आवश्यक बदलाव के साथ तैयार रहे।

3. दिनांक 04 अक्तूबर 2016 के चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-Iबैंकों को अवगत कराया गया था कि दिनांक 10 अक्तूबर 2016 से IDPMS सक्रिय होगा और साथ ही उन्हें यह भी सूचित किया गया था कि वे आयात संबंधी लेनदेनों की रिपोर्टिंग और निगरानी के लिए IDPMS का उपयोग करे।

4. सीमा शुल्क विभाग द्वारा प्रवेश बिल (BoE) के फार्मेट में संशोधन किया गया है ताकि उसमें बैंक और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)के एडी कोड को क्रमशः 01 अप्रैल 2016 और 01 जून 2016 से प्रदर्शित किए जा सकें।ऊपर उल्लिखित तारीखों से आयात लेनदेन संबंधी प्राथमिक डेटा (सीमा शुल्क/एसईज़ेड) संबंधित ए.डी. बैंकों को IDPMS डेटाबेस में आगे की प्रॉसेसिंग के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। दिनांक 10 अक्तूबर 2016 से ए.डी. बैंकों के लिए IDPMS में सभी लेनदेनों की दैनिक आधार पर रिपोर्टिंग की जाएगी ताकि बाद की सभी गतिविधियों को दर्ज किया जा सके और आयात लेनदेनों की मॉनिटरिंग की जा सके।

5. 19 अगस्त 2016 को IDPMS का प्रयोक्ता स्वीकृति परीक्षण (यूएटी) लागू किया गया था और बैंकों को लॉग इन और इस प्रणाली से रू-ब-रू होकर इसका परिचय कर लेने हेतु अनुरोध किया गया था। प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को सलाह दी गई थी कि वे “बकाया आयात विप्रेषणों” संबंधी डेटा अपने पास तैयार रखें ताकिIDPMS में “आयात के बकाया विप्रेषण” संदेश पर इसे अपलोड किया जा सके।

6. IDPMS प्लैटफ़ार्म पर “इम्पोर्ट प्रोसैस” टैग के ‘हेल्प-मेनू’ में IDPMS की परिचालन प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया गया है। परिचलनात्मक अनुदेश / निदेश निम्नवत हैं:

i) प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपने आयातक ग्राहक द्वारा किए गए सभी आयतों के भुगतान संबंधी जावक विप्रेषणों, जिनके संबंध में विनिर्दिष्ट साक्ष्य दस्तावेज प्रस्तुत किए जा रहे हैं, के लिए जावक विप्रेषण संदेश (ORM) तैयार करेंगे।

ii) आयतों के सभी शेष भुगतान संबंधी जावक विप्रेषणों के लिए IDPMS में जावक विप्रेषण संदेश (ORM) तैयार करने की प्रक्रिया को 31 अक्तूबर 2016 तक पूरा किया जाना आवश्यक है।

जावक विप्रेषण संदेश (ORM) का प्रवेश बिल (BoE) के साथ सेटलमेंट करना

iii) आयातक द्वारा घोषित किए गए ए.डी. कोड़ के आधार पर बैंक IDPMS प्लैटफ़ार्म के “BoE मास्टर” से EDI पोर्ट द्वारा जारी किए गए प्रवेश बिल (BoE) डाउनलोड करें। नॉन-EDI पोर्ट के मामले में, IDPMS में आयातक के एडी बैंक “मैन्युअल BOE रिपोर्टिंग” मेसेज के तहत ग्राहक / सीमाशुल्क कार्यालय से प्राप्त प्रवेश बिल (BoE) संबंधी विवरण को दैनिक आधार पर अपलोड करें।

iv) प्राधिकृत व्यापारी बैंक “BoE सेटलमेंट” मेसेज फ़ारमैट में आयात लेनदेनों के अग्रिम भुगतान संबंधी जावक विप्रेषण संदेश (ORM) हेतु प्रवेश बिल (BoE) विवरण (BoE नंबर, पोर्ट कोड़ एवं तारीख) दर्ज करें।

v) BoE प्राप्त होने के बाद यदि भुगतान किया गया है, तो ऐसे मामलों में ए.डी. बैंक अपने आयातक ग्राहक द्वारा किए गए आयात भुगतनों के संबंध में “BoE सेटलमेंट” मेसेज फ़ारमैट में जावक विप्रेषण संदेश (ORM) तैयार करें।

vi) एक प्रवेश बिल (BoE) हेतु अनेक जावक विप्रेषण संदेश (ORM) एवं एक जावक विप्रेषण संदेश (ORM) हेतु अनेक प्रवेश बिल (BoE) सेटल किए जा सकते हैं।

अवधि विस्तार एवं बट्टे खाते डालना (राइट ऑफ)

vii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस संबंध में मौजूदा दिशा-निर्देशों में दी गई निर्धारित अवधि से अधिक अवधि हेतु प्रवेश बिल (BoE) प्रस्तुत करने के लिए विस्तार दे सकते हैं। इस प्रकार की विस्तृत अवधि का विवरण “BoE एक्सटैन्शन” मेसेज के तहत IDPMS में रिपोर्ट किया जाए एवं “एक्सटैन्शन डेट” कॉलम में ए.डी. बैंक द्वारा दी गई विस्तारित तिथि का विवरण दर्ज किया जाए ।

viii) कुछ परिचलनात्मक कारणों से BoE में घोषित मूल्य और वास्तविक विप्रेषण राशि में अन्तर हों और यदि ए.डी. बैंक आयातक द्वारा इस संबंध में प्रस्तुत किए गए कारणों की सदाशयता से संतुष्ट हों, तो प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इन्वाइस में दर्ज मूल्य के 5% तक की राशि को राइट ऑफ करते हुए IDPMS में ऐसे BoE /ORM’s को समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं।

ix) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक उन BoE /ORM’s को उनके मूल्य पर विचार किए बिना समाप्त कर सकते हैं, जिनमें माल की गुणवत्ता संबंधी मामले; दिये गए ऑर्डर से कम मात्रा में माल का शिपमेंट प्राप्त होना; अथवा इस संबंध में जारी मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसरण में पोर्ट/ सीमाशुल्क/ स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा माल को नष्ट किया जाना आदि मामलों में यदि आयातक द्वारा उचित दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की जाए एवं ए.डी. बैंक इससे संतुष्ट हो। ए.डी. बैंक IDPMS में उचित “एडजस्टमेंट इंडिकेटर” के साथ ऐसे BoE /ORM’s को सेटल और समाप्त कर सकते हैं।

x) BoE /ORM’s को राइट ऑफ करने एवं उन्हें समाप्त करने संबंधी यह परिचलनात्मक दिशा-निर्देश इस संबंध में जारी मौजूदा दिशा-निर्देशों के अधीन हैं और केवल IDPMS में बिलों को समाप्त करने के लिए हैं औरे यह परिस्थितियों में बदलाव के कारण आयातक को विप्रेषण करने अथवा राशि प्राप्त करने से कोई छूट नहीं देते हैं।

xi) राइट ऑफ करने एवं समापन संबंधी ऐसे मामले, जो ऊपर उल्लिखित मौजूदा दिशा-निर्देशों में शामिल नहीं हैं, को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को आवश्यक अनुमोदन हेतु संदर्भित किया जाए।

आयात के साक्ष्य हेतु अनुवर्ती कार्रवाई (फॉलो-अप)

xii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा इस विषय पर मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसरण में आयात के साक्ष्य की प्रस्तुति हेतु फॉलो-अप किया जाना आवश्यक है।

7. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों एवं घटकों को अवगत कराएं।

8. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश सं.17/2015-16 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है।

9. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।

भवदीय

(ए. के. पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक

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