माल का आयात – आयात डाटा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS) - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल का आयात – आयात डाटा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS)
भा.रि.बैंक/2015-16/385 28 अप्रैल 2016 सभी श्रेणी–I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, माल का आयात – आयात डाटा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली (IDPMS) प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा-5 के साथ पठित भारत सरकार की 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर. 381(ई) के तहत प्रकाशित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000, जो माल के आयात से संबंधित है तथा इसके साथ पठित 24 अगस्त 2000 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 9, जिसमें आयात की प्रक्रिया एवं उससे संबंधित भुगतान के माध्यम/ तौर-तरीके तथा संबंधित विवरणियाँ प्रस्तुत करने संबंधी जानकारी दी गई है की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. भारतीय रिज़र्व बैंक ने सूचना प्रौद्योगिकी आधारित एक सघन प्रणाली शुरू करने के संबंध में सुझाव देने हेतु एक कार्यकारी समूह (अध्यक्ष : श्री ए.के.पाण्डेय, मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग) का गठन किया है, जिसमें सीमाशुल्क, विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT), विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ), भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापारी संघ (FEDAI) तथा कुछ चुनिन्दा प्राधिकृत व्यापारी बैंक (एडी बैंक) के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस प्रणाली से आयात संबंधी सभी लेनदेनों की प्रोसेसिंग आसानी से पूरी की जा सकती है तथा आयात लेनदेनों पर प्रभावी निगरानी व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इस कार्यकारी समूह ने सीमाशुल्क प्राधिकारियों तथा अन्य सभागियों के परामर्श से “निर्यात आँकड़ों की प्रक्रिया और निगरानी प्रणाली” (EDPMS) की भाँति सूचना प्रौद्योगिकी आधारित मजबूत और प्रभावी “आयात डेटा प्रोसेसिंग और निगरानी प्रणाली”(IDPMS) विकसित करने की अनुशंसा की है। 3. बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से आयात लेनदेनों की पहचान करने के लिए सीमाशुल्क विभाग द्वारा संबंधित बैंक का एडी कोड़, जिसकी सूचना आयातकों द्वारा दी जाती है, प्रदर्शित करने हेतु प्रविष्टि पत्र (Bill of Entry) को संशोधित किया जाएगा। सीमाशुल्क और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) से होने वाले आयात लेनदेन के प्राथमिक आँकड़े सबसे पहले भारतीय रिज़र्व बैंक के सुरक्षित सर्वर से गुजरेंगे और इसके बाद ये आँकड़े व्यापारी कोड के आधार पर आगे की लेनदेन प्रक्रिया हेतु संबंधित प्राधिकृत बैंकों के साथ शेयर किए जाएंगे। प्राधिकृत व्यापारी बैंक प्रत्येक अनुवर्ती कार्यकलाप, जैसे- दस्तावेज प्रस्तुतीकरण, जावक विप्रेषण संबंधी आँकड़े आदि के संबंध में IDPMS में प्रविष्टि करेंगे ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक के मुख्य डेटाबेस आँ वास्तविक समय (रीयल टाइम बेसिस) के आधार पर तत्काल आद्यतन किया जा सके। अत: यह आवश्यक है कि प्राधिकृत व्यापारी बैंक दैनिक आधार पर संबन्धित डाटा अपलोड और डाउनलोड किया करें। 4. ईडीआई (मैनुअल) सीमाशुल्क पोर्ट के मामले में, जब तक वे ईडीआई (कंप्यूटरीकृत) पोर्ट के रूप में अपग्रेड नहीं हो जाते हैं, तब तक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक आयातक द्वारा प्रस्तुत सीमाशुल्क की मुहर/ हस्ताक्षर युक्त मूल प्रविष्टि पत्र (बीओई) के आधार पर प्रविष्टि पत्र के आँकड़ों को अपलोड करेंगे। किसी भी परिस्थिति में, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के बैंक लेनदेनों को तब तक प्रोसैस नहीं करेंगे जब तक संबंधित प्रविष्टि पत्र IDPMS में प्रदर्शित न हो जाए। सीमाशुल्क विभाग निर्यातों के मामले में फिलहाल जिस प्रकार पोतलदान (शिपिंग) बिलों की प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजते हैं, उसी प्रकार वे मैनुअल प्रविष्टि पत्र (BoE) की प्रतिलिपि भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के साथ साझा करेंगे। 5. IDPMS का परिचालन शुरू करने संबंधी तिथि शीघ्र ही सूचित की जाएगी। अधिसूचित तारीख के अनुसार बकाया सभी आयात संबंधी प्रेषण IDPMS में अपलोड किए जाएंगे। साथ ही आयात लेनदेनों को सुचारु संसाधन और प्रविष्टि-पत्र को समाप्त करने तथा IDPMS में अग्रिम प्रेषण करने की सुविधा के लिए प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा निम्नलिखित दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाएगा :- 6. आयात बिलों को बट्टेखाते डालना (i) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक IDPMS में ऐसे बिलों को समाप्त करने के लिए विचार कर सकते हैं, जिनमें इन्वाइस मूल्य के 5% की सीमा तक की राशि को बट्टे खाते डालना शामिल है और ऐसे मामले रियायतें, विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव, भाड़े की राशि में परिवर्तन, बीमा आदि के कारण प्रविष्टि-पत्रों में घोषित राशि तथा वास्तविक प्रेषण राशि में आंशिक रूप से अंतर है। माल की गुणवत्ता संबंधी मामलों, वास्तविक मात्रा से कम लदान अथवा पोर्ट/ सीमाशुल्क/ स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा माल को नष्ट किए जाने के कारण बट्टे खाते डाले जाने के मामलों को इसमें शामिल राशि पर विचार किए बिना इस टिप्पणी के अधीन समाप्त किया जा सकता है कि इससे संबंधित दस्तावेज संतोषजनक रूप से प्रस्तुत किए गए हों। (ii) बट्टे खाते डालते समय प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को निम्नलिखित को अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए :- ए) यह मामला किसी सिविल अथवा आपराधिक वाद के अंतर्गत विचाराधीन मामले के अधीन नहीं है। बी) आयातक को प्रवर्तन निदेशालय अथवा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से अथवा प्रवर्तन एजेंसी के किसी ऐसी अन्य विधि के अंतर्गत कोई ऍडवर्स नोटिस न प्राप्त हुई हो; और सी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के पास एक ऐसी आंतरिक लेखा-परीक्षा अथवा निरीक्षण प्रणाली (प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा नियुक्त बाह्य लेखापरीक्षकों सहित) उपलब्ध होनी चाहिए, जो आयात बिलों को बट्टे खाते डालने संबंधी यादृच्छिक नमूनों जाँच/ राइट ऑफ के प्रतिशत आदि की जाँच करें। (iii) ऐसे मामलें, जो उपर्युक्त अनुदेशों में शामिल नहीं हैं / उक्त सीमा के बाहर हैं, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को संदर्भित किया जाए। उपर्युक्त दिशानिर्देश IDPMS में बिलों को समाप्त करने की सुविधा मात्र के लिए बनाए गए हैं और ये परिस्थिति परिवर्तित होने के मामले में राशि प्रेषित करने/ प्राप्त करने के लिए आयातक को किसी प्रकार से मुक्त नहीं करता। 7. समय बढ़ाना i) मात्रा अथवा गुणवत्ता अथवा संविदा की शर्तों को पूरा न करने, वित्तीय कठिनाइयों के कारण होने वाले विलंब और ऐसे मामलों, जहाँ आयातक ने विक्रेता के विरुद्ध कोई केस दायर किया है, के लिए बीजक मूल्य पर ध्यान दिए बिना प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक आयात के निपटान के लिए एक बार में छह माह की अवधि (अधिकतम तीन वर्षों की अवधि) तक के लिए समय बढ़ाए जाने पर विचार कर सकते हैं। ऐसे मामलों, जहाँ भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय बढ़ाने के लिए क्षेत्र विशेष (अर्थात् कच्चे, कटिंग किए हुए और पालिश वाले हीरे) से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, में यह लागू नहीं होगा। ii) समय विस्तार प्रदान करते समय प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक निम्नलिखित को अवश्य सुनिश्चित करें कि :- ए) बीजक में शामिल आयात लेनदेन प्रवर्तन निदेशालय/ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो अथवा किसी जाँच एजेंसी द्वारा जांच के अधीन न हों; बी) प्रेषण की तारीख से एक वर्ष से अधिक का समय विस्तार प्रदान करने हेतु विचार करते समय आयातक की कुल बकाया राशि 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर अथवा पिछले दो वर्षों के दौरान किए गए औसत आयात विप्रेषणों के 10 प्रतिशत, इसमें से जो कम हो, से अधिक न हो ; और सी) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा यदि समय-विस्तार प्रदान किया गया हो, ऐसे मामलों में वह तारीख, जब तक के लिए समय-विस्तार प्रदान किया गया है, को ‘टिप्पणी’ स्तंभ में इंगित किया जाए। iii) ऐसे मामलों, जो उक्त अनुदेशों के अंतर्गत शामिल नहीं हैं/ उक्त सीमा से बाहर हैं, को भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को संदर्भित किया जाए। 8. आयात के साक्ष्य के संबंध में अनुवर्ती कार्रवाई (i) वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को प्रत्येक वर्ष जून और दिसंबर को समाप्त छमाहियों को अर्धवार्षिक आधार पर फार्म बीईएफ में एक स्टेटमेंट प्रस्तुत करना होगा, जिसमें 100,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक राशि के ऐसे आयात लेनदेनों का ब्यौरा देना होगा, जहाँ आयातकों ने भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को बैंक-व्यापी आधार पर आनलाइन एक्सटेंशनेबल बिजनेस रिपोर्टिंग लैंग्वेज (XBRL) प्रणाली का प्रयोग करके विप्रेषण की तारीख से छह माह के भीतर आयात संबंधी उपयुक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में चूक की है। (ii) IDPMS शुरू हो जाने पर आयात में शामिल राशि पर ध्यान दिए बिना सभी बकाया आयात विप्रेषणों को सिस्टम में अपलोड किया जाएगा और अलग से अधिसूचित किए जाने की तारीख से बीईएफ स्टेटमेंट अलग से प्रस्तुत किया जाना बंद कर दिया जाएगा। (iii) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे आयात में शामिल राशि पर ध्यान दिए बिना आयात और निर्धारित समय के भीतर प्रेषण करने संबंधी साक्ष्य प्रस्तुत करने के संबंध में अनुवर्ती कार्रवाई करें। 9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक एक प्रणाली (सिस्टम) लागू करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो कि सभी आयात लेनदेनों और तत्संबंधी विप्रेषणों को केवल IDPMS के माध्यम से ही प्रोसेस किया जा रहा है। इस संबंध में तारीख जल्द ही अधिसूचित की जाएगी। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को प्रस्तावित सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली को तत्काल अपनाने के लिए पूरी तैयारी कर लें। अपेक्षित संदेश के प्रारूप तथा तकनीकी विशिष्टताएं ई-मेल के माध्यम से प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों से शेयर की गई हैं। इन्हें वेबसाइट (https://edpms.rbi.org.in) पर भी रखा गया है। 10. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों तथा ग्राहकों को अवगत कराएं। 11. इस परिपत्र में निहित निर्देश फेमा, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदनों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं। भवदीय (ए.के.पांडेय) |